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नीतीश कैबिनेट में दलित-भूमिहार-ब्रह्मण-यादव-राजपूत सब हैं, लेकिन मुस्लिम नहीं - बिहार कैबिनेट

नीतीश कैबिनेट में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है, लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम चेहरा को शामिल नहीं किया गया है.

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Published : Nov 19, 2020, 7:11 PM IST

पटना. तारीख... 16 नवंबर, दोपहर के 4.30 बजे... जगह राजभवन का राजेन्द्र मंडप... नीतीश कुमार ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के शपथ ली. नीतीश के साथ अन्य 14 मंत्रियों ने भी शपथ ली. कैबिनेट में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया, लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम चेहरा को शामिल नहीं किया गया. हालांकि कहा जा रहा है कि जब कैबिनेट का विस्तार होगा, तब इन्हें भी शामिल किया जा सकता है.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में केवल जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन वे सभी चुनाव हार गए. ऐसे में अब किसी एमएलसी को ही मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि नीतीश के मंत्रिमंडल में मुस्लिम को छोड़कर दलित, भूमिहार, ब्रह्मण, यादव और राजपूत शामिल हैं.

गौरतलब है कि इस बार बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी 24 से घटकर 19 हो गई है. 2015 विधानसभा चुनाव में 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार AIMIM के पांच और आरजेडी के 8 विधायक ही जीत सके हैं. इसके अलावा चार कांग्रेस से और 1-1 सीपीआई (एम) और बीएसपी से हैं.

बिहार में मुस्लिमों की बड़ी आबादी

बिहार में 15 फीसदी मुस्लिम आबादी है. पिछली बार नीतीश सरकार में खुर्शीद उर्फ फिरोज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा. माना जा रहा है कि अब मंत्रिमंडल के विस्तार के समय ही इसमें मुस्लिम चेहरा शामिल हो सकता है, क्योंकि जेडीयू में मुस्लिम पार्षद हैं और उन्हें नीतीश कुमार कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं.

कब कितने मुस्लिम विधायक

बता दें कि 1952 से लेकर 2020 तक सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 में चुने गए थे. साल 1985 में 34 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. बता दें कि बिहार में 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था और उस वक्त 24 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. साल 2010 में 16 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे.

पटना. तारीख... 16 नवंबर, दोपहर के 4.30 बजे... जगह राजभवन का राजेन्द्र मंडप... नीतीश कुमार ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के शपथ ली. नीतीश के साथ अन्य 14 मंत्रियों ने भी शपथ ली. कैबिनेट में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया, लेकिन आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम चेहरा को शामिल नहीं किया गया. हालांकि कहा जा रहा है कि जब कैबिनेट का विस्तार होगा, तब इन्हें भी शामिल किया जा सकता है.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए में केवल जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, लेकिन वे सभी चुनाव हार गए. ऐसे में अब किसी एमएलसी को ही मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि नीतीश के मंत्रिमंडल में मुस्लिम को छोड़कर दलित, भूमिहार, ब्रह्मण, यादव और राजपूत शामिल हैं.

गौरतलब है कि इस बार बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी 24 से घटकर 19 हो गई है. 2015 विधानसभा चुनाव में 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार AIMIM के पांच और आरजेडी के 8 विधायक ही जीत सके हैं. इसके अलावा चार कांग्रेस से और 1-1 सीपीआई (एम) और बीएसपी से हैं.

बिहार में मुस्लिमों की बड़ी आबादी

बिहार में 15 फीसदी मुस्लिम आबादी है. पिछली बार नीतीश सरकार में खुर्शीद उर्फ फिरोज अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे लेकिन इस चुनाव में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा. माना जा रहा है कि अब मंत्रिमंडल के विस्तार के समय ही इसमें मुस्लिम चेहरा शामिल हो सकता है, क्योंकि जेडीयू में मुस्लिम पार्षद हैं और उन्हें नीतीश कुमार कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं.

कब कितने मुस्लिम विधायक

बता दें कि 1952 से लेकर 2020 तक सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 में चुने गए थे. साल 1985 में 34 विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. बता दें कि बिहार में 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था और उस वक्त 24 मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. साल 2010 में 16 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे.

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