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राज्यसभा चुनाव: मझधार में RCP की नैया, नालंदा से ही खोजा जा रहा विकल्प - ईटीवी बिहार न्यूज

राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election 2022) में आरसीपी सिंह की उम्मीदवारी (RCP Singh Rajya Sabha candidature) को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है. जेडीयू ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. भले ही सीएम नीतीश कुमार कह रहे हैं कि समय पर प्रत्याशी की घोषणा हो जायेगी उहापोह की स्थिति बनी हुई है. पढ़ें पूरी खबर.

(Union Minister RCP Singh
(Union Minister RCP Singh
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Published : May 23, 2022, 9:33 PM IST

Updated : May 24, 2022, 6:43 AM IST

पटना: बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले राज्य का सियासी पारा सातवें आसमान पर है. जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) इसके केंद्र बिंदु हैं. राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार से नामांकन शुरू हो रहा है लेकिन जेडीयू में सस्पेंस (Doubt on RCP Singh Rajya Sabha candidature) बरकरार है. अभी भी प्रत्याशी के नाम का औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं किया गया है. इसके चलते अटकलों का बाजार गर्म है. कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि आरसीपी सिंह का विकल्प भी खोजा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: आरसीपी की राज्यसभा उम्मीदवारी पर सस्पेंस बरकरार, बड़ा सवाल सीएम नीतीश का भरोसेमंद कौन ?

आरसीपी का राजनीतिक भविष्य: जनता दल यूनाइटेड में आरसीपी सिंह नीति निर्धारक की भूमिका में माने जाते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने लेकिन राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं. नीतीश कुमार ने राज्यसभा उम्मीदवार के नाम पर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है.

जदयू के कोटे में राज्यसभा की एक सीट जायेगी. एक सीट के लिए 42 विधायकों की जरूरत है. जदयू के पास एक राज्यसभा सीट के लिए पर्याप्त संख्या बल है. आरसीपी सिंह को लेकर किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि पार्टी के अंदर जद्दोजहद होगी. दरअसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की लड़ाई ने नीतीश कुमार के लिए आगे गड्ढा और पीछे खाई वाली स्थिति उत्पन्न कर दी है. पार्टी नेताओं ने राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर गेंद नीतीश कुमार के पाले में डाल दिया है और अंतिम फैसला उन्हें ही लेना है.

जातिगत गणित का भी ख्याल: आपको बता दें कि नालंदा में कुर्मी जाति की बहुलता है. 60% आबादी कुर्मी जाति की है. नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह, श्रवण कुमार और सांसद कौशलेंद्र नालंदा से आते हैं. एक ही जाति से हैं. खास बात यह है कि नालंदा की राजनीति में कुर्मी जाति में उपजाति को साधने की कवायद भी की जाती रही है. नीतीश कुमार की उपजाति अवधिया कुर्मी है तो आरसीपी सिंह समसमार कुर्मी जाति से आते हैं. आरसीपी सिंह को अगर राज्यसभा नहीं भेजा जाता है तो वैसी स्थिति में उन्हीं की जाति से आने वाले पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील पर दांव लगाया जा सकता है.

देखें रिपोर्ट

कई विकल्पों पर विचार: पूर्व आईएएस मनीष कुमार वर्मा नालंदा सही आते हैं और उन्होंने वीआरएस लिया है. फिलहाल वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी के रूप में काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार दूसरे विकल्प के रूप में मनीष कुमार वर्मा को राज्यसभा भेज सकते हैं. तीसरा नाम अली अशरफ फातमी का है जो अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. वे राजद छोड़ जदयू में शामिल हुए हैं. अल्पसंख्यक कार्ड खेलने के क्रम में अली अशरफ फातमी पर दांव लगाया जा सकता है. इंजीनियर सुनील पर लगाया दांव जा सकता है.

'आरसीपी सिंह को भेजना या नहीं भेजना जदयू का आंतरिक मामला है लेकिन हम लोग चाहते हैं कि मोदी कैबिनेट में आरसीपी सिंह अच्छे मंत्री हैं. उन्हें राज्य सभा भेजा जाये.'-अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता.

'मीडिया में कई तरह की खबरें चल रही हैं. विधायकों को पटना रहने को कहा गया है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है. जहां तक सवाल राज्यसभा चुनाव का है तो उस पर नीतीश कुमार को अंतिम फैसला लेना है और वह उचित समय पर मीडिया को इस बाबत जानकारी दे देंगे.'-अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता.

'कद्दावर नेता और केंद्र की सरकार में मंत्री के टिकट को लेकर अगर उहापोह की स्थिति है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी में क्या कुछ चल रहा होगा.'-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार.

'नीतीश कुमार धर्मसंकट की स्थिति में हैं. ललन सिंह और आरसीपी सिंह के झगड़े को सुलझाना उनके लिए आसान काम नहीं है. आरसीपी सिंह विकल्प के रूप में वह इंजीनियर सुनील या मनीष कुमार वर्मा पर दांव लगा सकते हैं.' डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक.

ये भी पढ़ें: राज्यसभा उम्मीदवारों के सवाल पर बोले नीतीश-'आप चिंता मत करिए, समय पर होगी घोषणा'

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पटना: बिहार में राज्यसभा की 5 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. चुनाव से ठीक पहले राज्य का सियासी पारा सातवें आसमान पर है. जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) इसके केंद्र बिंदु हैं. राज्यसभा चुनाव के लिए मंगलवार से नामांकन शुरू हो रहा है लेकिन जेडीयू में सस्पेंस (Doubt on RCP Singh Rajya Sabha candidature) बरकरार है. अभी भी प्रत्याशी के नाम का औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं किया गया है. इसके चलते अटकलों का बाजार गर्म है. कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि आरसीपी सिंह का विकल्प भी खोजा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: आरसीपी की राज्यसभा उम्मीदवारी पर सस्पेंस बरकरार, बड़ा सवाल सीएम नीतीश का भरोसेमंद कौन ?

आरसीपी का राजनीतिक भविष्य: जनता दल यूनाइटेड में आरसीपी सिंह नीति निर्धारक की भूमिका में माने जाते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने लेकिन राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं. नीतीश कुमार ने राज्यसभा उम्मीदवार के नाम पर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है.

जदयू के कोटे में राज्यसभा की एक सीट जायेगी. एक सीट के लिए 42 विधायकों की जरूरत है. जदयू के पास एक राज्यसभा सीट के लिए पर्याप्त संख्या बल है. आरसीपी सिंह को लेकर किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि पार्टी के अंदर जद्दोजहद होगी. दरअसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की लड़ाई ने नीतीश कुमार के लिए आगे गड्ढा और पीछे खाई वाली स्थिति उत्पन्न कर दी है. पार्टी नेताओं ने राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर गेंद नीतीश कुमार के पाले में डाल दिया है और अंतिम फैसला उन्हें ही लेना है.

जातिगत गणित का भी ख्याल: आपको बता दें कि नालंदा में कुर्मी जाति की बहुलता है. 60% आबादी कुर्मी जाति की है. नीतीश कुमार, आरसीपी सिंह, श्रवण कुमार और सांसद कौशलेंद्र नालंदा से आते हैं. एक ही जाति से हैं. खास बात यह है कि नालंदा की राजनीति में कुर्मी जाति में उपजाति को साधने की कवायद भी की जाती रही है. नीतीश कुमार की उपजाति अवधिया कुर्मी है तो आरसीपी सिंह समसमार कुर्मी जाति से आते हैं. आरसीपी सिंह को अगर राज्यसभा नहीं भेजा जाता है तो वैसी स्थिति में उन्हीं की जाति से आने वाले पूर्व विधायक इंजीनियर सुनील पर दांव लगाया जा सकता है.

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कई विकल्पों पर विचार: पूर्व आईएएस मनीष कुमार वर्मा नालंदा सही आते हैं और उन्होंने वीआरएस लिया है. फिलहाल वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के परामर्शी के रूप में काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार दूसरे विकल्प के रूप में मनीष कुमार वर्मा को राज्यसभा भेज सकते हैं. तीसरा नाम अली अशरफ फातमी का है जो अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. वे राजद छोड़ जदयू में शामिल हुए हैं. अल्पसंख्यक कार्ड खेलने के क्रम में अली अशरफ फातमी पर दांव लगाया जा सकता है. इंजीनियर सुनील पर लगाया दांव जा सकता है.

'आरसीपी सिंह को भेजना या नहीं भेजना जदयू का आंतरिक मामला है लेकिन हम लोग चाहते हैं कि मोदी कैबिनेट में आरसीपी सिंह अच्छे मंत्री हैं. उन्हें राज्य सभा भेजा जाये.'-अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता.

'मीडिया में कई तरह की खबरें चल रही हैं. विधायकों को पटना रहने को कहा गया है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है. जहां तक सवाल राज्यसभा चुनाव का है तो उस पर नीतीश कुमार को अंतिम फैसला लेना है और वह उचित समय पर मीडिया को इस बाबत जानकारी दे देंगे.'-अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता.

'कद्दावर नेता और केंद्र की सरकार में मंत्री के टिकट को लेकर अगर उहापोह की स्थिति है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी में क्या कुछ चल रहा होगा.'-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार.

'नीतीश कुमार धर्मसंकट की स्थिति में हैं. ललन सिंह और आरसीपी सिंह के झगड़े को सुलझाना उनके लिए आसान काम नहीं है. आरसीपी सिंह विकल्प के रूप में वह इंजीनियर सुनील या मनीष कुमार वर्मा पर दांव लगा सकते हैं.' डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक.

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Last Updated : May 24, 2022, 6:43 AM IST
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