पटना: बिहार के 19 नगर निगमों समेत कुल 263 नगर निकायों में अब मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव (election of Mayor Deputy Mayor in Bihar) होगा. इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब वार्ड पार्षद के बजाए सीधे जनता ही मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करेगी. इस नई व्यवस्था से कई तरह की परेशानियों से निजात मिल जाएगी. आए दिन किसी ना किसी नगर निगम में मेयर या डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की खबर आती है. अब जब जनता सीधे मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव करेगी तो अविश्वास प्रस्ताव का सिस्टम भी खत्म हो जाएगा.
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दरअसल, नए नियम के तहत अब वार्ड पार्षद मेयर या डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं कर सकेंगे. यह चुनाव सीधे जनता करेगी. बिहार के 19 नगर निगमों और 244 नगर निकायों में सभापति, उपसभापति के चुनाव में भी यही व्यवस्था लागू हो जाएगी. इसी वर्ष नगर निकाय के चुनाव अप्रैल-मई में होने वाले हैं. सरकार इसे प्राथमिकता के तौर पर लागू करने की कोशिश में है. इसी वजह से कैबिनेट की स्वीकृति के बाद प्रस्ताव राजभवन भेजा गया है. इन सबके बीच बजट सत्र में सरकार इस विधेयक को पास कराने की तैयारी में भी है.
बिहार के विधि मंत्री प्रमोद कुमार (Bihar Law Minister Pramod Kumar) ने ईटीवी भारत को बताया कि आए दिन अलग-अलग नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने और इसमें भ्रष्टाचार के खेल की बात सामने आती है. जब मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव मुखिया की तरह ही जनता करेगी तो इस पर रोक लग जाएगी. विकास के कार्य भी तेजी से हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि बजट सत्र में हम इस संशोधन विधेयक को प्राथमिकता से पास कराएंगे और इसी वर्ष जिन नगर पालिकाओं के चुनाव होने हैं, उसमें नई व्यवस्था के तहत ही चुनाव होगा.
आपको बता दें कि बिहार में अब पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, बिहार शरीफ, आरा, बक्सर, छपरा, पूर्णिया, बेतिया, सिवान, दरभंगा, मोतिहारी, सीतामढ़ी, सहरसा, कटिहार, मुंगेर और समस्तीपुर समेत कुल 19 नगर निगम हैं. नगर पालिका एक्ट की धारा 23 (1) और धारा 25 में बदलाव की सिफारिश कैबिनेट द्वारा की गई है. धारा 23 (1) के अनुसार वार्ड पार्षद अपनी पहली बैठक में बहुमत से मेयर और डिप्टी मेयर को चुनते हैं. अब इस धारा में संशोधन के बाद नगर पालिका क्षेत्र के मतदाता सूची में दर्ज वोटर प्रत्यक्ष रूप से मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कर सकेंगे.
वहीं, धारा 25 के मुताबिक मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ एक तिहाई पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे जबकि संशोधन के बाद मेयर और डिप्टी मेयर को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा नहीं हटाया जा सकेगा. इनके त्यागपत्र देने या मृत्यु होने या किसी आपराधिक मामले में 6 माह तक फरार रहने की स्थिति में हटाया जा सकेगा.
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