पटना: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) के हालिया आदेश में अमेजन पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इसके देखते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders) ने अमेजन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई (Action Against Amazon) की मांग की है. कैट का कहना है कि बिहार समेत पूरे देश ने कहा कि न केवल ई-कॉमर्स व्यापार बल्कि ऑफलाइन खुदरा व्यापार को नियंत्रित करने और हावी होने के अपने छिपे हुए एजेंडे का अनुसरण करने के साथ-साथ अमेजन संभावित प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने के प्रयास में जुटा है.
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बता दें कि पिछले तीन साल से अधिक समय से कैट अमेजन की अवांछनीय व्यापारिक तरीकों का लगातार विरोध करता आ रहा है. सीसीआई का आदेश इस विरोध का परिणाम है. कैट बिहार के चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक सोनार व महासचिव डॉ. रमेश गांधी ने संयुक्त वक्तव्य में कहा की बेशक भारतीय कॉरपोरेट्स के साथ हमारे मतभेद हैं लेकिन हम किसी भी विदेशी कम्पनी को स्वदेशी प्रतिस्पर्धा का सफाया करने की अनुमति नहीं देंगे. यह स्पष्ट है की जो भी कोई कम्पनी भारत के कानून एवं नियमों का पालन नहीं करेगी, कैट मुकाबले एवं संघर्ष के लिए तैयार है.
कैट ने कहा की यह आदेश सभी को एक कड़ा संदेश देता है कि भारतीय नियामकों को अब विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा हल्के में नहीं लिया जा सकता है. कैट ने संकेत दिया कि यूपी और पंजाब सहित आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कानून के अनुसार अमेजन पर कार्रवाई की मांग व्यापारिक समुदाय के बीच एक प्रमुख मुद्दा हो सकता है.
कैट बिहार उपाध्यक्ष मुकेश नंदन व संयुक्त महासचिव आर सी मल्होत्रा ने कहा की देश की मीडिया ने समय-समय पर महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर देशव्यापी सार्थक बहस की सदा पहल की है. यह मामला देश के विशाल रिटेल एवं ई-कॉमर्स व्यापार से सीधे तौर पर जुड़ा है. विदेशी कंपनियों द्वारा प्रतिस्पर्धा को समाप्त करने के लिए भारतीय कंपनियों को अधिग्रहित करने जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा है. इस दृष्टि से इस विषय पर भी मीडिया द्वारा एक राष्ट्रीय बहस कराये जाने की जरूरत है.
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कैट महिला उपाध्यक्ष पुष्पम झा व अमृता सिंह ने कहा कि अमेजन ने इस मामले में सीसीआई को दिए अपने जवाब में कैट को 'अजनबी' कहा है. यह अत्यधिक अपमानजनक है. इस अनावश्यक टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हुए सोनार एवं गांधी ने कहा कि अमेजन द्वारा कदाचार और कानूनों और नीतियों के उल्लंघन से देश के व्यापारियों को बड़ी क्षति हुई है. इसमें प्रमुख रूप से मोबाइल व्यापार सहित 2 लाख से अधिक दुकानें बंद हो गई हैं. जिसका मुख्य कारण अमेजन, ब्रांड कंपनियों और सरकारी बैंकों सहित विभिन्न बैंकों के शातिर त्रिपक्षीय सांठगांठ है.
इसलिए छोटे व्यवसायों को और अधिक तबाही से बचाने के लिए कैट को हस्तक्षेप करने का एक स्पष्ट अधिकार है. कैट के इस रूख को सुप्रीम कोर्ट और सीसीआई दोनों ने मान्यता दी है क्योंकि इस मामले में कैट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी. इस पर समयबद्ध निपटान का आदेश दिया गया था जिसे बाद में सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
अमेजन के जानबूझकर किए गए कृत्यों के मद्देनजर धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, बेईमान प्रलोभन, बेईमानी छुपाने और धोखे के मौजूदा मामले के मद्देनजर कैट ने केंद्र सरकार से अमेजन के वर्तमान ई-कॉमर्स व्यापार पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है. चूंकि यह अधिनियम फेमा और एफडीआई नीति का भी उल्लंघन करता है, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय को तुरंत इस मामले का संज्ञान लेने और अमेजन के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की भी मांग की है.
सरकारी नियामक सीसीआई का आदेश एक ठोस सबूत हैं और इसलिए ईडी को अमेजन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. यदि अभी भी अमेजॉन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो यह माना जाएगा कि सरकार पर किन्हीं अदृश्य शक्तियों का प्रभाव है. विदेशी वित्त पोषित कंपनियों को देश के अपने व्यापार और व्यापारियों की तबाही की कीमत पर भी कुछ भी करने की अनुमति है.
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