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नीतीश के नालंदा में 6 साल पहले अस्पताल बना, अब खंडहरनुमा इमारत में चरते हैं मवेशी !

नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था खराब (Health System is Bad in Nalanda) है. डुमरावां गांव में 6 साल पहले करोड़ों रुपये खर्च करके स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोला था. ताकि इस गांव और आसपास के लोग यहां बेहतर इलाज करा सकें, मगर बेहतर इलाज के बजाय अस्पताल कैंपस में गांव के ही लोग जानवर बांधते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

PHC का हाल बेहाल
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Published : May 29, 2022, 4:53 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों वेंटिलेटर पर चल रहा है. ये हम नहीं बल्कि यह दृश्य देख कर कह सकते हैं. नीचे वीडियो में आप भी देख सकते हैं. दरअसल दीपनगर इलाके के डुमरावां गांव में स्थित अस्पताल का यह हाल है. इस संबंध में गांव के लोग बताते हैं कि अस्पताल तो आज से 6 वर्ष पहले बना दिया गया. मगर अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ और भवन पूरी तरह जर्जर हो गया. जब-जब चुनाव आता है तो इस विधानसभा के विधायक और सरकार में मंत्री श्रावण कुमार (Minister Shravan Kumar) आते हैं और वादा करके चले जाते हैं. जब जीत हो जाती है तो एक बार भी नजर देने नहीं आते हैं.

ये भी पढ़ें- बक्सर में निजी अस्पताल में प्रसूता की मौत, परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर किया हंगामा

अस्पताल का हाल बेहाल: ग्रामीणों की माने तो यहां सिर्फ बुखार, सिर दर्द का ही दवा उपलब्ध है. अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती है मगर आते नहीं है, एएनएम नर्स ही इलाज और दवा देती हैं. एएनएम नर्स का कहना है कि इस अस्पताल में इलाज किया जाता है. बुखार और दर्द का दवा भी उपलब्ध है. परेशानी है की बाथरूम बना हुआ नहीं है. मरीज के लिए एक भी बेड नहीं है, जहां बेड लगाना था, वहां गांव के ही लोग जानवर बांध देते हैं और जानवर का चारा रखते हैं. जिससे परेशानी होती है. गांव के महिलाओं का कहना है कि यहां का दवा से बीमारी ठीक नहीं होता है तो प्राइवेट हॉस्पिटल जाते हैं.

अस्पताल में जानवर बांधा जाता है: स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में करोड़ों रुपये खर्च करके स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया ताकि इस गांव और आसपास के लोग यहां बेहतर इलाज करा सकें मगर बेहतर इलाज के बजाय अस्पताल कैंपस, परिसर में गांव के ही लोग जानवर बांध देते हैं, हद तो तब हो गई जब मरीज के इलाज के लिए रूम में बेड लगाने की जगह जानवर का चारा रखा जाता है.

'यहां ये परेशानी है कि सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. अस्पताल तो बहुत पहले बन गया, लेकिन इसका सुरक्षा व्यवस्था कुछ भी नहीं है. थोड़ा बहुत दवा मिलता है. सर्दी-खांसी का दवा मिलता है. और कुछ नहीं है. कोई सुरक्षा नहीं है. यहां कोई व्यवस्था नहीं है तो चारा रख देता है. गंभीर बीमारी का इलाज करना बिहार शरीफ जाना पड़ता है.' - नारद, ग्रामीण

ये भी पढ़ें- बांका के बाराहाट में रेल लाइन के किनारे मिला घायल युवक, अस्पताल जाने से पहले हुई मौत

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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिला नालंदा में स्वास्थ्य व्यवस्था इन दिनों वेंटिलेटर पर चल रहा है. ये हम नहीं बल्कि यह दृश्य देख कर कह सकते हैं. नीचे वीडियो में आप भी देख सकते हैं. दरअसल दीपनगर इलाके के डुमरावां गांव में स्थित अस्पताल का यह हाल है. इस संबंध में गांव के लोग बताते हैं कि अस्पताल तो आज से 6 वर्ष पहले बना दिया गया. मगर अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ और भवन पूरी तरह जर्जर हो गया. जब-जब चुनाव आता है तो इस विधानसभा के विधायक और सरकार में मंत्री श्रावण कुमार (Minister Shravan Kumar) आते हैं और वादा करके चले जाते हैं. जब जीत हो जाती है तो एक बार भी नजर देने नहीं आते हैं.

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अस्पताल का हाल बेहाल: ग्रामीणों की माने तो यहां सिर्फ बुखार, सिर दर्द का ही दवा उपलब्ध है. अस्पताल में डॉक्टर की तैनाती है मगर आते नहीं है, एएनएम नर्स ही इलाज और दवा देती हैं. एएनएम नर्स का कहना है कि इस अस्पताल में इलाज किया जाता है. बुखार और दर्द का दवा भी उपलब्ध है. परेशानी है की बाथरूम बना हुआ नहीं है. मरीज के लिए एक भी बेड नहीं है, जहां बेड लगाना था, वहां गांव के ही लोग जानवर बांध देते हैं और जानवर का चारा रखते हैं. जिससे परेशानी होती है. गांव के महिलाओं का कहना है कि यहां का दवा से बीमारी ठीक नहीं होता है तो प्राइवेट हॉस्पिटल जाते हैं.

अस्पताल में जानवर बांधा जाता है: स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव में करोड़ों रुपये खर्च करके स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया ताकि इस गांव और आसपास के लोग यहां बेहतर इलाज करा सकें मगर बेहतर इलाज के बजाय अस्पताल कैंपस, परिसर में गांव के ही लोग जानवर बांध देते हैं, हद तो तब हो गई जब मरीज के इलाज के लिए रूम में बेड लगाने की जगह जानवर का चारा रखा जाता है.

'यहां ये परेशानी है कि सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. अस्पताल तो बहुत पहले बन गया, लेकिन इसका सुरक्षा व्यवस्था कुछ भी नहीं है. थोड़ा बहुत दवा मिलता है. सर्दी-खांसी का दवा मिलता है. और कुछ नहीं है. कोई सुरक्षा नहीं है. यहां कोई व्यवस्था नहीं है तो चारा रख देता है. गंभीर बीमारी का इलाज करना बिहार शरीफ जाना पड़ता है.' - नारद, ग्रामीण

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