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मुजफ्फरपुर में धूमधाम हुई भगवान विश्वकर्मा की अराधना, चौक स्थित मंदिर में हुई विशेष पूजा

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में धूमधाम से विश्वकर्मा पूजा का आयोजन किया गया. शहर के चांदनी चौक स्थित भगवान विश्वकर्मा मंदिर में विशेष पूजा की व्यवस्था की गयी थी. पढ़ें पूरी खबर.

Muzaffarpur
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Published : Sep 18, 2021, 7:27 AM IST

मुजफ्फरपुर: देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Worship of Lord Vishwakarma) पूरे शहर में श्रद्धा और उल्लास के वातावरण में हुई. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के चांदनी चौक स्थित भगवान विश्वकर्मा के मंदिर में भव्य पूजा का आयोजन किया गया. जहा पूरे विधि-विधान से देव शिल्पी विश्वकर्मा की पूजा की गई. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे. कहते हैं कि इनकी पूजा से जीवन में कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती है.

ये भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं बिहार के किस गांव में होती है चमगादड़ की पूजा? ग्रामीण करते हैं 'बादुर' की रक्षा

मुजफ्फरपुर के विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी ललित झा के अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था. इसलिए विश्वकर्मा जी को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है. ऐसी मान्यता है विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तु की संतान थे. रावण की लंका, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, इंद्र के लिए वज्र, भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा हुआ माना जाता है.

देखें रिपोर्ट

हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा निर्माण एवं सृजन के देवता कहे जाते हैं. इस दिन विशेष रूप से औजार, मशीन तथा सभी औद्योगिक कंपनियों, दुकानों आदि की पूजा करने का विधान है. इसलिए प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में हम सभी हर त्योहार को तिथि के अनुसार मनाते हैं. विश्वकर्मा पूजा हमेशा से ही 17 सितंबर को ही मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: कोरोना अनुदान में गड़बड़ी: मृतकों की लिस्ट में जीवित का नाम, मंजू ने कहा- जिंदा हूं मैं

मुजफ्फरपुर: देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Worship of Lord Vishwakarma) पूरे शहर में श्रद्धा और उल्लास के वातावरण में हुई. इस अवसर पर मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के चांदनी चौक स्थित भगवान विश्वकर्मा के मंदिर में भव्य पूजा का आयोजन किया गया. जहा पूरे विधि-विधान से देव शिल्पी विश्वकर्मा की पूजा की गई. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर थे. कहते हैं कि इनकी पूजा से जीवन में कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती है.

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मुजफ्फरपुर के विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी ललित झा के अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा था. इसलिए विश्वकर्मा जी को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है. ऐसी मान्यता है विश्वकर्मा जी ब्रह्मा जी के पुत्र वास्तु की संतान थे. रावण की लंका, कृष्ण जी की द्वारका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ, इंद्र के लिए वज्र, भगवान शिव के लिए त्रिशूल, विष्णु जी के सुदर्शन चक्र और यमराज के कालदंड समेत कई चीजों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा द्वारा हुआ माना जाता है.

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हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा निर्माण एवं सृजन के देवता कहे जाते हैं. इस दिन विशेष रूप से औजार, मशीन तथा सभी औद्योगिक कंपनियों, दुकानों आदि की पूजा करने का विधान है. इसलिए प्रत्येक वर्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में हम सभी हर त्योहार को तिथि के अनुसार मनाते हैं. विश्वकर्मा पूजा हमेशा से ही 17 सितंबर को ही मनाया जाता है.

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