गया: जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र नक्सली इलाका सोनदाहा में दो दशक बाद लोकतंत्र का गीत गाया गया. दो दशक पहले इस जंगली इलाका में चुनाव के वक्त सन्नाटा पसरा रहता था. सोनदाहा से सटे डुमरीनाला, मोहरांव, मुरैनिया, महावीरगंज, छावनियां, बाराटांड, मंझियावां, सखुआही, चपरा, बनकट ऐसे आदि गांव में मतदान करने के लिए कोई नहीं निकलता था.
दो दशक बाद गाया गया लोकतंत्र गीत
जिले के सोनदाहा के जंगली इलाका दुर्गम रास्ता इन गांवों के ग्रामीणों को लोकतंत्र के जश्न में शरीक होने से रोक देता था. वहीं इस वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन सोनदाहा की वादियों की फिजा पूरी तरह बदलती नजर आई. सोनदाहा में बनाए गए सीआरपीएफ/153 बटालियन का अस्थाई कैंप और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया था. इसके बाद प्रशासन ने वहां से सोनदाहा (236, 236 क ) और बाराटांड (235) में तीन वरदान केंद्र बनाए गए थे. सोनदाहा के मतदान बिना डरे वोट डालने के लिए मतदान केंद्र तक पहुंच रहे थे.
मतदाताओं में देखी गई उत्साह
सोनदाहा किचन की घाटी में लोकतंत्र के गीत भी सुनाई दी. महिलाओं ने बताया कि वे करीब दो दशक बाद वोट देने आई हैं. उनके गांव में मतदान केंद्र बनाया गया है. छमनिया की शंकर देवी ने बताया की मतदान करने का एक ऐसा उत्साह सोनदाहा में पहले कभी नहीं देखने को मिला था. सोनदाहा के रामनुज कुमार कहते है कि दुर्गम घाटी और जंगली इलाका में रहने वाले ग्रामीण का यह उत्साह लाजमी भी था.
नक्सलियों ने आईडी बम लगाकर उड़ाया था मतदान केंद्र
एक साल पहले इसी सोनदाहा गांव में बने स्कूल में मतदान केंद्र को नक्सलियों ने आईडी बम लगाकर उड़ा दिया था. इससे लोगों में काफी दहशत बना हुआ था. सुबह 7:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक मतदान करने के लिए लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही थी. हर जंगल में चारों ओर सीआरपीएफ के जवान फ्लैग मार्च कर रहे थे. सीआरपीएफ के अधिकारी घोर जंगल में ड्रोन कैमरा से निगरानी करें क्षेत्र का जायजा ले रहे थे, जिससे कहीं पर किसी प्रकार के नक्सलियों के माध्यम से घटना को अंजाम न दे.