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बोधगया में गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन, गुरु-शिष्य के महिमा का किया गया बखान

बोधगया में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2022) के अवसर पर आध्यात्मिक सत्संग (Satsang on Occasion Of Guru Purnima) हुआ. जिसमें बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के भी लोग शामिल हुए. इस दौरान गुरु और शिष्य के महत्व को लोगों के बीच बताया गया.

गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन
गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन
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Published : Jul 13, 2022, 4:35 PM IST

गया: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया (Holy Land Bodh Gaya) स्थित निगमा मोनेस्ट्री में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) के अवसर पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन किया (Spiritual Satsang Organized In Bodhgaya) गया. जिसमें सूबे के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों के भी सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. इस दौरान गुरु और शिष्य के महत्व को लोगों के बीच समझाया गया. साथ ही भव्य भंडारा का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रामाश्रय सत्संग, मथुरा से आए आचार्य डॉ. ऋषि कुमार मुकुल शामिल हुए. जहां भक्तों ने उनका आशीर्वचन लिया.

ये भी पढ़ें- Guru Purnima Festival: ईश्वर से पहले की जाती है गुरु की पूजा, इस विधि से करें आराधना

बोधगया में गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन

गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन : इस मौके पर आचार्य. डॉ. ऋषि कुमार मुकुल ने कहा कि- 'आज का दिन बड़ा ही पावन दिन है, क्योंकि आज गुरु पूर्णिमा है. इस मौके पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें लोगों को गुरु और शिष्य के महिमा के बारे में बताया गया है. सभी व्यक्तियों को अपने जीवन में किसी भी एक व्यक्ति को गुरु मानना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए. क्योंकि गुरु ही जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है. ऐसे में आज बिहार के विभिन्न जिलों एवं दूसरे राज्यों से आए लोगों ने यहां भाग लिया है. जिनके बीच गुरु और शिष्य के महत्व को व्याख्यान के माध्यम से बताया गया है.'

'रामाश्रय सत्संग मथुरा, उप केंद्र गया के बोधगया के निगमा मोनेस्ट्री में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. मुख्य रूप से यह दो दिनों का कार्यक्रम था. लेकिन आज गुरु पूर्णिमा के दिन भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जहां गुरु और शिष्य के रिश्ते की महिमा को मांडित किया गया है. आचार्य ऋषि कुमार मुकुल के मुखारविंद से लोगों ने उनके प्रवचन को सुना है. सैकड़ों समाजसेवियों ने इस आध्यात्मिक सत्संग को सफल बनाने का कार्य किया है. जिन्होंने निस्वार्थ भाव से लंगर से लेकर भंडारा और अन्य कार्यों में अपनी जिम्मेदारी निभाई है. ये लोग धन्यवाद के पात्र हैं. प्रत्येक वर्ष साल में एक बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों के भी लोग भाग लेते हैं.' - निखिल कुमार, समाजसेवी

गया: भगवान बुद्ध की पावन ज्ञान भूमि बोधगया (Holy Land Bodh Gaya) स्थित निगमा मोनेस्ट्री में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima Festival) के अवसर पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन किया (Spiritual Satsang Organized In Bodhgaya) गया. जिसमें सूबे के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों के भी सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. इस दौरान गुरु और शिष्य के महत्व को लोगों के बीच समझाया गया. साथ ही भव्य भंडारा का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रामाश्रय सत्संग, मथुरा से आए आचार्य डॉ. ऋषि कुमार मुकुल शामिल हुए. जहां भक्तों ने उनका आशीर्वचन लिया.

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बोधगया में गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन

गुरु पूर्णिमा पर आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन : इस मौके पर आचार्य. डॉ. ऋषि कुमार मुकुल ने कहा कि- 'आज का दिन बड़ा ही पावन दिन है, क्योंकि आज गुरु पूर्णिमा है. इस मौके पर यहां कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें लोगों को गुरु और शिष्य के महिमा के बारे में बताया गया है. सभी व्यक्तियों को अपने जीवन में किसी भी एक व्यक्ति को गुरु मानना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए. क्योंकि गुरु ही जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है. ऐसे में आज बिहार के विभिन्न जिलों एवं दूसरे राज्यों से आए लोगों ने यहां भाग लिया है. जिनके बीच गुरु और शिष्य के महत्व को व्याख्यान के माध्यम से बताया गया है.'

'रामाश्रय सत्संग मथुरा, उप केंद्र गया के बोधगया के निगमा मोनेस्ट्री में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. मुख्य रूप से यह दो दिनों का कार्यक्रम था. लेकिन आज गुरु पूर्णिमा के दिन भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जहां गुरु और शिष्य के रिश्ते की महिमा को मांडित किया गया है. आचार्य ऋषि कुमार मुकुल के मुखारविंद से लोगों ने उनके प्रवचन को सुना है. सैकड़ों समाजसेवियों ने इस आध्यात्मिक सत्संग को सफल बनाने का कार्य किया है. जिन्होंने निस्वार्थ भाव से लंगर से लेकर भंडारा और अन्य कार्यों में अपनी जिम्मेदारी निभाई है. ये लोग धन्यवाद के पात्र हैं. प्रत्येक वर्ष साल में एक बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जिसमें बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा दूसरे राज्यों के भी लोग भाग लेते हैं.' - निखिल कुमार, समाजसेवी

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