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दु:खों से मुक्ति दिलाती है 18 फीट ऊंची बौद्ध देवी ग्रीन तारा की मूर्ति - मां तारा मंदिर

तारा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नावाकेचिन ने बताया कि ये मंदिर हिन्दू और बौद्ध धर्म का संगम हैं. हिन्दू धर्म मे तारा देवी को शक्ति के रूप में पूजते हैं और बौद्ध धर्म में तारा देवी को करुणा के रूप में पूजा जाता है.

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Published : Jan 31, 2020, 7:46 AM IST

Updated : Jan 31, 2020, 8:10 AM IST

गया: बोधगया स्थित बौद्ध मंदिर में शक्ति और शांति के प्रतीक को दर्शाता तारा देवी मंदिर है. ये मंदिर 44 फिट ऊंची है. इसके शीर्ष पर 18 फिट ऊंची बौद्ध ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा स्थापित है. बोधगया में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां तारा देवी की कुल 21 प्रतिमा है.

तारा देवी की 21 प्रतिमा
बोधगया में ग्रीन तारा देवी मंदिर में ग्राउंड फ्लोर सहित तीसरे मंजिल तक मां तारा देवी की कुल 21 मूर्ति है. मंदिर के ऊपर 18 फिट ऊंची बंगाल में बनी फाइवर की ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा है. मंदिर के शीर्ष पर रखी यह मूर्ति 3 किलोमीटर दूरी से दिखाई पड़ती है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की मूर्ति है. यह मंदिर तांत्रिक मंडल चक्रसंवर पर आधारित है.

पेश है रिपोर्ट

हिंदू और बौद्ध धर्म का संगम
तारा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नावाकेचिन ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण डुक जेतवन चेरिटेबल ट्रस्ट के अधीन हुआ है. इसकी स्थापना तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ग्यारहवां रिनपोछे ने कराया है. ये मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म का संगम हैं. हिन्दू धर्म मे तारा देवी को शक्ति के रूप में पूजते हैं और बौद्ध धर्म में तारा देवी को करुणा के रूप में पूजा जाता है.

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बौद्ध मंदिर में स्थापित मां तारा देवी की प्रतिमा

1 जनवरी के खोला गया मंदिर
बता दें कि ये मंदिर बोधगया के महाबोधि मंदिर से 2 किलोमीटर दूर स्थित है. मंदिरर का उद्घाटन 2019 के नवम्बर माह में किया गया, लेकिन आम लोगों के लिए 1 जनवरी 2020 से खोला गया. इस मंदिर में दर्शन करने देश-विदेश के श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं.

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मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की प्रतिमा

यह भी पढ़ें- बौद्ध महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति, नामचीन गायकों ने दर्शकों को किया मदहोश

गया: बोधगया स्थित बौद्ध मंदिर में शक्ति और शांति के प्रतीक को दर्शाता तारा देवी मंदिर है. ये मंदिर 44 फिट ऊंची है. इसके शीर्ष पर 18 फिट ऊंची बौद्ध ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा स्थापित है. बोधगया में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां तारा देवी की कुल 21 प्रतिमा है.

तारा देवी की 21 प्रतिमा
बोधगया में ग्रीन तारा देवी मंदिर में ग्राउंड फ्लोर सहित तीसरे मंजिल तक मां तारा देवी की कुल 21 मूर्ति है. मंदिर के ऊपर 18 फिट ऊंची बंगाल में बनी फाइवर की ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा है. मंदिर के शीर्ष पर रखी यह मूर्ति 3 किलोमीटर दूरी से दिखाई पड़ती है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की मूर्ति है. यह मंदिर तांत्रिक मंडल चक्रसंवर पर आधारित है.

पेश है रिपोर्ट

हिंदू और बौद्ध धर्म का संगम
तारा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नावाकेचिन ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण डुक जेतवन चेरिटेबल ट्रस्ट के अधीन हुआ है. इसकी स्थापना तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ग्यारहवां रिनपोछे ने कराया है. ये मंदिर हिंदू और बौद्ध धर्म का संगम हैं. हिन्दू धर्म मे तारा देवी को शक्ति के रूप में पूजते हैं और बौद्ध धर्म में तारा देवी को करुणा के रूप में पूजा जाता है.

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बौद्ध मंदिर में स्थापित मां तारा देवी की प्रतिमा

1 जनवरी के खोला गया मंदिर
बता दें कि ये मंदिर बोधगया के महाबोधि मंदिर से 2 किलोमीटर दूर स्थित है. मंदिरर का उद्घाटन 2019 के नवम्बर माह में किया गया, लेकिन आम लोगों के लिए 1 जनवरी 2020 से खोला गया. इस मंदिर में दर्शन करने देश-विदेश के श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं.

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मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध की प्रतिमा

यह भी पढ़ें- बौद्ध महोत्सव में रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति, नामचीन गायकों ने दर्शकों को किया मदहोश

Intro:ज्ञान के धरती पर बौद्ध मंदिर में शक्ति और शांति के प्रतीक को दर्शाता तारा देवी मंदिर है। ये मंदिर 44 फिट ऊंची हैं इसके शीर्ष पर 18 फिट ऊंची बौद्ध ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा स्थापित है। बोधगया में इकलौता 21 तारा देवी के प्रतिमा और मंदिर को देखने देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं।


Body:बोधगया में ग्रीन तारा देवी मंदिर में तारा देवी की 21 मूर्ति ग्राउंड फ्लोर सहित तीन मंजिले तक हैं। मन्दिर की ऊंचाई 44 फुट हैं और उसके ऊपर 18 फिट के बंगाल से बना फाइवर के ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा है। मंदिर के ऊँचाई और उसके शीर्ष पर विशाल मूर्ति रहने से तीन किलोमीटर दूर से दिखाई पड़ता हैं। मन्दिर बड़ी खासियत हैं मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध के मूर्ति स्थापित हैं। यह मंदिर तांत्रिक मंडल चक्रसंवर पर आधारित हैं। तारा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नावाकेचिन ने मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए कहा ये मंदिर का निर्माण डुक जेतवन चेरिटेबल ट्रस्ट के अधीन हुआ है। ये मंदिर भारत एक मात्र मन्दिर है इसका स्थापना तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ग्यारवा रिनपोछे ने कराया हैं। ये मंदिर एक तरह से हिन्दू और बौद्ध धर्म का संगम हैं। हिन्दू धर्म मे तारा देवी को शक्ति के रूप में पूजते है वही बौद्ध धर्म तारा देवी को करुणा के रूप में पूजा जाता है। ऐसे दोनो धर्म मे तारा देवी को तांत्रिक देवी के रूप माना जाता है। भारत के एकमात्र तारा देवी के मंदिर को देखने देश विदेश के श्रद्धालु आते है सिक्कम राज्य से मूंगा चुंग के परिवार इस मंदिर को देखने आए थे ,मूंगा चुंग ने कहा बोधगया में ये मंदिर का बड़ा महत्व है। तारा देवी का सारा स्वरूप को यहां प्रतिमा के रूप रखा गया है। मंदिर को देखकर बहुत अच्छा लगा।


Conclusion:आपको बता दे ये मंदिर बोधगया के महाबोधि मंदिर से 2 किलोमीटर दूर में स्थित हैं मन्दिर का उद्घाटन 2019 के नवम्बर माह में कर दिया गया था लेकिन आम लोगो के लिए एक जनवरी 2020 से खोला गया हैं । ये मंदिर देश विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिये सौगात हैं।
Last Updated : Jan 31, 2020, 8:10 AM IST
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