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बेगूसराय में सरकार के फरमान का शिक्षकों ने किया विरोध, जलाई आदेश की प्रति

बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) को लेकर शिक्षा विभाग के फरमान का शिक्षकों ने विरोध शुरू कर दिया है. शिक्षक संघ और शिक्षकों से जुड़े अन्य संगठनों ने भी सरकार से अविलंब इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. बेगूसराय में शिक्षकों ने अपर मुख्य सचिव के आदेश की प्रति जलाकर विरोध प्रदर्शित किया. पढ़ें पूरी खबर.

Begusarai Teachers protest
Begusarai Teachers protest
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Published : Jan 29, 2022, 8:00 PM IST

बेगूसराय: बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने और नशामुक्ति अभियान को गति देने के लिए शिक्षा विभाग आदेश का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है. शिक्षकों से लेकर शिक्षक संगठनों तक ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. शिक्षक संगठनों ने विरोध दर्ज कराते हुए बिहार सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगाया है. उन्होंने इसे सरकारी विद्यालयों में पढ़े रहे छात्रों के साथ क्रूर मजाक बताया है. बेगूसराय में शिक्षकों ने विरोध (Begusarai Teachers protest) दर्ज कराते हुए अपर मुख्य सचिव के आदेश की प्रति जलाई.

शिक्षकों ने यह भी पूछा है कि क्या सरकार का पुलिस तंत्र और खुफिया विभाग फेल हो गया है जो इस प्रकार का आदेश (Bihar Education Department notification) निर्गत किया गया. शिक्षको ने कहा है कि सरकार शिक्षकों को पढ़ाने का काम करने देगी या ऐसे ही आदेशों में उलझाकर गरीब-गुरबों के बच्चों को शिक्षा से दूर कर देगी? इन सभी प्रकरणों पर त्वरित एवं तीखी प्रतिक्रिया देते हुए टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट ने विभाग द्वारा निर्गत पत्र की प्रति जला कर विरोध दर्ज कराया.

शिक्षकों द्वारा सरकार के आदेश का विरोध

ये भी पढ़ें: बेगूसराय में रोजगार और दुकान के नाम पर लाखों की ठगी, पीड़ित बोले- पुलिस ठीक से नहीं कर रही है जांच

संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारी द्वारा जारी किया गया पत्र शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है. इसमे यह अंकित है कि शिक्षकों को जनगणना, आपदा एवं निर्वाचन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में नहीं लगाया जा सकता.

वहीं, दूसरी ओर उसी आदेश में यह भी अंकित है कि जानकारी देने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा लेकिन बिहार के सत्येंद्र दुबे जैसे ईमानदार अभियंता का नाम जब प्रधानमंत्री कार्यालय से लिक हो जाता है. इस कारण उनकी हत्या तक हो जाती है तो इसकी क्या गारंटी है कि शिक्षकों का नाम लीक नहीं होगा. हम बिहार में शिक्षक के रूप में पदस्थापित हुए हैं और हमारा काम बच्चो को शिक्षा देना है न कि ऐसे उलूल-जुलूल कार्यों को करना.

ये भी पढ़ें: बेगूसराय में एक व्यक्ति ने रिश्तेदार पर किया जानलेवा हमला, भीड़ ने एक को पकड़कर पुलिस को सौंपा

वही, संघ के जिला महामंत्री ज्ञान प्रकाश ने कहा कि एक ओर सरकार शिक्षकों की जान जोखिम में डालकर इस प्रकार का काम करवाना चाहती है तो दूसरी ओर जब यही शिक्षक अपने लिए बेहतर सुविधाओं की मांग करते हैं तो इन्हें स्थानीय निकाय का कर्मी बताकर पल्ला झाड़ लेती है. बेहतर वेतन की बात तो दूर जो वेतन अभी वह दे रही है, वह भी समय से नहीं दे पाती है.

क्या शिक्षा विभाग के सबसे वरीय पदाधिकारी को यह नहीं पता कि शिक्षक का काम शिक्षण होता है. चौकीदारी या अन्य कार्य नहीं. विभाग पहले ही दर्जनों कामों में शिक्षकों को उलझाए हुए है. अब एक और आदेश निर्गत कर वह शिक्षकों में भय का माहौल उत्पन्न करना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: बेगूसरायः शादी समारोह में स्टेनगन और कट्टा लहराने का वीडियो वायरल

कार्यक्रम में संघ के जिला उपाध्यक्ष रामकरण चौरसिया, कोषाध्यक्ष रवि कुमार, जिला प्रवक्ता रंधीर कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी रौशन यादव, बेगूसराय प्रखंड अध्यक्ष अभिषेक रंजन, भगवानपुर प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, मटिहानी के जयशंकर कुमार, नितिन प्रकाश, अनुराग कुमार, विक्रांत कुमार, चंदन कुमार, अजय कुमार, सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे.

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बेगूसराय: बिहार में शराबबंदी को सफल बनाने और नशामुक्ति अभियान को गति देने के लिए शिक्षा विभाग आदेश का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है. शिक्षकों से लेकर शिक्षक संगठनों तक ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. शिक्षक संगठनों ने विरोध दर्ज कराते हुए बिहार सरकार की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगाया है. उन्होंने इसे सरकारी विद्यालयों में पढ़े रहे छात्रों के साथ क्रूर मजाक बताया है. बेगूसराय में शिक्षकों ने विरोध (Begusarai Teachers protest) दर्ज कराते हुए अपर मुख्य सचिव के आदेश की प्रति जलाई.

शिक्षकों ने यह भी पूछा है कि क्या सरकार का पुलिस तंत्र और खुफिया विभाग फेल हो गया है जो इस प्रकार का आदेश (Bihar Education Department notification) निर्गत किया गया. शिक्षको ने कहा है कि सरकार शिक्षकों को पढ़ाने का काम करने देगी या ऐसे ही आदेशों में उलझाकर गरीब-गुरबों के बच्चों को शिक्षा से दूर कर देगी? इन सभी प्रकरणों पर त्वरित एवं तीखी प्रतिक्रिया देते हुए टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट ने विभाग द्वारा निर्गत पत्र की प्रति जला कर विरोध दर्ज कराया.

शिक्षकों द्वारा सरकार के आदेश का विरोध

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संघ के जिला अध्यक्ष मुकेश कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारी द्वारा जारी किया गया पत्र शिक्षा का अधिकार अधिनियम एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है. इसमे यह अंकित है कि शिक्षकों को जनगणना, आपदा एवं निर्वाचन के अतिरिक्त किसी अन्य कार्य में नहीं लगाया जा सकता.

वहीं, दूसरी ओर उसी आदेश में यह भी अंकित है कि जानकारी देने वालों का नाम गुप्त रखा जाएगा लेकिन बिहार के सत्येंद्र दुबे जैसे ईमानदार अभियंता का नाम जब प्रधानमंत्री कार्यालय से लिक हो जाता है. इस कारण उनकी हत्या तक हो जाती है तो इसकी क्या गारंटी है कि शिक्षकों का नाम लीक नहीं होगा. हम बिहार में शिक्षक के रूप में पदस्थापित हुए हैं और हमारा काम बच्चो को शिक्षा देना है न कि ऐसे उलूल-जुलूल कार्यों को करना.

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वही, संघ के जिला महामंत्री ज्ञान प्रकाश ने कहा कि एक ओर सरकार शिक्षकों की जान जोखिम में डालकर इस प्रकार का काम करवाना चाहती है तो दूसरी ओर जब यही शिक्षक अपने लिए बेहतर सुविधाओं की मांग करते हैं तो इन्हें स्थानीय निकाय का कर्मी बताकर पल्ला झाड़ लेती है. बेहतर वेतन की बात तो दूर जो वेतन अभी वह दे रही है, वह भी समय से नहीं दे पाती है.

क्या शिक्षा विभाग के सबसे वरीय पदाधिकारी को यह नहीं पता कि शिक्षक का काम शिक्षण होता है. चौकीदारी या अन्य कार्य नहीं. विभाग पहले ही दर्जनों कामों में शिक्षकों को उलझाए हुए है. अब एक और आदेश निर्गत कर वह शिक्षकों में भय का माहौल उत्पन्न करना चाहते हैं.

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कार्यक्रम में संघ के जिला उपाध्यक्ष रामकरण चौरसिया, कोषाध्यक्ष रवि कुमार, जिला प्रवक्ता रंधीर कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी रौशन यादव, बेगूसराय प्रखंड अध्यक्ष अभिषेक रंजन, भगवानपुर प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, मटिहानी के जयशंकर कुमार, नितिन प्रकाश, अनुराग कुमार, विक्रांत कुमार, चंदन कुमार, अजय कुमार, सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे.

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