नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ-व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता वार्ता जल्द ही संपन्न होगी. जयशंकर ने दूसरे सीआईआई इंडिया नॉर्डिक बाल्टिक बिजनेस कॉन्क्लेव में अपने संबोधन में कहा कि 'भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद एक मजबूत भारत-नॉर्डिक-बाल्टिक आठ के लिए नए रास्ते खोल सकती है. महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर सहयोग कर सकती है और आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन को सुनिश्चित कर सकती है.'
मंत्री ने कहा कि भा'रत का प्रतिभा पूल, डिजिटल अपनाना और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र ई-गवर्नेंस, डिजिटल नवाचार, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और अन्य अग्रणी उद्योगों में बाल्टिक क्षेत्र की प्रमुखता के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है.' उन्होंने बताया कि नॉर्डिक-बाल्टिक-8 (एनबी8) देश सामूहिक रूप से दो ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं.
जयशंकर ने आगे कहा कि 'नॉर्डिक-बाल्टिक आठ देशों के साथ भारत का संयुक्त माल व्यापार वर्तमान में लगभग 7.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.' उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और नॉर्डिक-बाल्टिक आठ देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाने चाहिए. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले कुछ वर्षों में NB8 देशों के साथ भारत का जुड़ाव स्पष्ट रूप से बढ़ा है.
उन्होंने आगे कहा कि 'हमने दिसंबर 2021 में तेलिन में और इस साल मार्च में विनियस में अपने दूतावास खोले. हम बहुत जल्द लातविया में एक रेजिडेंट दूतावास खोलेंगे. इसके विपरीत, फिनलैंड ने मुंबई में एक वाणिज्य दूतावास खोला है. भारत व फिनलैंड और भारत से डेनमार्क के बीच सीधी उड़ानें हमारे देशों के बीच गतिशीलता की सुविधा प्रदान कर रही हैं.'
घनिष्ठ व्यवसाय-से-व्यवसाय सहयोग के लिए NB8 देशों के साथ उचित संस्थागत ढांचे भी स्थापित किए जा रहे हैं. फिनलैंड के साथ, भारत ने स्थिरता साझेदारी, डिजिटलीकरण और शिक्षा संवाद स्थापित किया है. डेनमार्क के साथ, भारत की हरित रणनीतिक साझेदारी जल समाधान, पवन ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और कृषि में सहयोग को मजबूत और सुविधाजनक बना रही है.
उन्होंने आगे दोहराया कि भारत फरो आइलैंड्स और ग्रीनलैंड के साथ भी मजबूत सहयोग की उम्मीद कर रहा है. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि 'स्वीडन के साथ, उद्योग परिवर्तन के लिए हमारा नेतृत्व, जिसे लीडआईटी पहल कहा जाता है, 18 देशों और 19 प्रमुख वैश्विक कंपनियों से जुड़ गया है.' इसे एक बड़े विकास के रूप में देखा जा सकता है कि भारत और आइसलैंड लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में भू-तापीय ऊर्जा के दोहन पर मिलकर काम कर रहे हैं.