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बिहार में पढ़ाई का ऐसा जुनून : 500 मीटर तक पगडंडियों पर एक पांव से स्कूल जाती है 10 साल की सीमा

कहते हैं अगर किसी के अंदर जज्बा हो.. तो परिस्थितियां कैसी भी हो मंजिल तक इंसान पहुंच ही जाता है. बिहार के जमुई जिले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. यहां के खैरा प्रखंड के फतेहपुर गांव की रहने वाली सीमा (divyang girl child sima) की कहानी को जानकर आज हर कोई हैरान है. पढ़ें पूरी खबर...

10 Year divyang girl from jamui
10 Year divyang girl from jamui
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Published : May 25, 2022, 3:50 PM IST

Updated : May 25, 2022, 6:19 PM IST

जमुईः किसा भी इंसान के लिए विपरीत परिस्थितियों में अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं होता है. आज हम आपको इसकी बानगी बताने जा रहे हैं. कहानी है जिले के खैरा प्रखंड एक छोटे से गांव फतेहपुर की. जहां एक 10 साल की दिव्यांग बच्ची सीमा (10 Year divyang girl from jamui inspirational story) अपने सपनों को उड़ान देने में जुटी है. शरीर से एक पैर कट चुका है, लेकिन हौसले के पंख इतने मजबूत हैं कि पढ़ लिखकर बुलंदी तक पहुंचने की ठान ली है. पढ़ने का जुनून ऐसा कि एक पैर से हर दिन 500 मीटर पगडंडियों पर चलकर सीमा स्कूल आती और जाती है.

ये भी पढ़ें - कद छोटा, हौसला बुलंद! मैट्रिक की परीक्षा दे रहा शमशेर अंसारी बनना चाहता है IAS ऑफिसर

दो साल पहले हुई थी हादसे का शिकारः परिवार वालों ने बताया कि सीमा लगभग दो साल पहले एक हादसे का शिकार हो गई थी. एक ट्रैक्टर की चपेट में आकर वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. सीमा की जान बचाने के लिए डॉक्टर को एक पैर काटना पड़ा था. लेकिन सीमा हिम्मत नहीं हारी. ठीक होने के बाद ये बच्ची फिर से अपना सारा काम करने लगी. यहां तक कि सीमा एक पैर पर धंटों तक खड़ी रहती है. ''बच्ची हमारे स्कूल के कक्षा चार में पढ़ती है. जब हमने इसे स्कूल आते देखा तो मन में आया कि इस बच्ची के लिए कुछ करना चाहिए. इसलिऐ हमनें इसके स्कूल आते-जाते एक छोटा सा वीडियो क्लिप बनाकर ट्विटर पर डाल दिया. फिर मीडिया के माध्यम से खबर लोगों तक पहुंच गई.''- गौतम गुप्ता, सीमा के स्कूल के टीचर

सपने को पूरा करने में जुटी बच्चीः जमुई की रहने वाली ये दिव्यांग बच्ची फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में चौथी क्लास की छात्रा है. सीमा के शिक्षक कहते हैं कि यह बुलंद हौसले वाली बच्ची है. एक पैर नहीं होने के बावजूद पगडंडियों पर चलकर खुद स्कूल पहुंच जाती है. बिना किसी पर बोझ बने अपनी शिक्षा पूरी करना चाहती है. महादलित समुदाय से आने वाली दिव्यांग छात्रा सीमा का सपना पढ़-लिखकर टीचर बनने का है, वो बड़े होकर बच्चों को पढ़ाना चाहती है. तमाम परेशानियों के बावजूद वो स्कूल जाती है और अपने सपने को पूरा करने में जुटी है. सीमा पांच भाई-बहन हैं.

बच्चों के साथ सीमा.
बच्चों के साथ सीमा.

स्कूल जाने की जिद करती थी सीमाः सीमा की मां बेबी देवी कहती हैं कि दूसरे बच्चों को देखकर स्कूल जाने की जिद करती थी. जिस कारण नाम लिखवाना पड़ा. सरकारी कोई मदद नहीं है. ईंटा पारते हैं. बच्ची के पिता बाहर मजदूरी करते हैं और कोई काम नहीं है. खेती बारी रोजी रोजगार कुछ नहीं है. किसी तरह परिवार का भरण पोषण होता है. बच्ची पढ़ना चाहती है, इसलिए हमलोग भी चाहते हैं कि पढ़ ले.

''हम लोग काफी गरीब हैं. बेटी जब गांव के बच्चों को स्कूल जाते देखती थी तो वो जिद करती थी. फिर किसी तरह स्कूल में नाम लिखवा गया. हमलोगों के पास इतने पैसे भी नहीं होते की बच्ची को किताब कॉपी खरीद कर दे सकें. ये सब भी स्कूल के शिक्षक ही मुहैया करवाते हैं. मुझे मेरी बेटी पर गर्व है. बच्ची पढ़ लिखकर नाम रौशन करेगी. सरकार भी मदद करे ताकि बच्ची पढ़कर लिखकर अपना भविष्य बना सके.''- बेबी देवी, सीमा की मां

''बच्ची के मम्मी पापा ईंटा पारने गए हुए थे. सीमा मां पापा को खाना पहुंचाने जा रही थी, तभी रोड पार करते समय एक ट्रैक्टर ने ठोकर मार दी. इलाज के दौरान जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा. दो साल पहले दुर्घटना का शिकार हो गई थी. बच्ची पढ़ना चाहती है. हमलोग भी चाहते हैं कि इसका भविष्य बने. अभी तक तो कोई मदद नहीं मिल पाई है. सरकार से विनती है की बच्ची को आगे पढ़ाई में मदद करे.''- लक्ष्मी देवी, सीमा की दादी

सीमा के घर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीमः वहीं, दादा नौरंगी प्रसाद कहते हैं कि इंदिरा आवास भी नहीं है. ना ही आज तक शौचालय बना. कच्चे छप्पर के मकान में रहते हैं. किसी तरह अभी मजदूरी करके घर परिवार चलता है. उधर सोशल मीडिया पर बच्ची के वायरल वीडियो को देखकर एक्टर सोनू सूद भी बच्ची की मदद करने के लिए आगे आए हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम भी सीमा के घर पहुंची और उसके लिए कृत्रिम पैर बनाने की बात कही. वहीं जमुई के डीएम अवनिश कुमार सिंह ने बच्ची को ट्राई साइकिल भी दी है. इधर अभिनेता सोनू सूद ने भी मदद की हाथ बढ़ाई है.

ट्राइसाइकिल देते डीएम.
ट्राइसाइकिल देते डीएम.

''जैसा ही ज्ञात हुआ कि दिव्यांग बच्ची सारी चुनौतियों के बावजूद स्कूल पढ़ने के लिए जा रही है, ये हम सबों के लिए बहुत ही प्रोत्साहित करने वाली खबर थी. खैरा प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव का हमलोगों ने विजिट किया है. जिला प्रशासन के पदाधिकारी भी पहुंचे हैं. अभी एक ट्राई साइकिल मंगवाकर बच्ची को दिया गया है. साथ ही सामाजिक सहयोग से बच्ची को प्रोत्साहन राशि का चेक भी दिया गया है. जहां सीमा रहती है उस टोले का भी हमने भ्रमण किया है. कुछ कच्चे घर बने हुऐ हैं. हमलोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऐसे लोगों को नया घर भी देंगे. कुछ लोग हैं जिनके पास भूमि का स्वामित्व नहीं है ऐसे लोगों के लिए अनुमंडल पदाधिकारी को कहा गया है की सर्वे करा लें. ऐसे व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर हमलोग पर्चा देना शुरू कर देंगे''- अवनीश कुमार सिंह, डीएम, जमुई

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जमुईः किसा भी इंसान के लिए विपरीत परिस्थितियों में अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं होता है. आज हम आपको इसकी बानगी बताने जा रहे हैं. कहानी है जिले के खैरा प्रखंड एक छोटे से गांव फतेहपुर की. जहां एक 10 साल की दिव्यांग बच्ची सीमा (10 Year divyang girl from jamui inspirational story) अपने सपनों को उड़ान देने में जुटी है. शरीर से एक पैर कट चुका है, लेकिन हौसले के पंख इतने मजबूत हैं कि पढ़ लिखकर बुलंदी तक पहुंचने की ठान ली है. पढ़ने का जुनून ऐसा कि एक पैर से हर दिन 500 मीटर पगडंडियों पर चलकर सीमा स्कूल आती और जाती है.

ये भी पढ़ें - कद छोटा, हौसला बुलंद! मैट्रिक की परीक्षा दे रहा शमशेर अंसारी बनना चाहता है IAS ऑफिसर

दो साल पहले हुई थी हादसे का शिकारः परिवार वालों ने बताया कि सीमा लगभग दो साल पहले एक हादसे का शिकार हो गई थी. एक ट्रैक्टर की चपेट में आकर वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. सीमा की जान बचाने के लिए डॉक्टर को एक पैर काटना पड़ा था. लेकिन सीमा हिम्मत नहीं हारी. ठीक होने के बाद ये बच्ची फिर से अपना सारा काम करने लगी. यहां तक कि सीमा एक पैर पर धंटों तक खड़ी रहती है. ''बच्ची हमारे स्कूल के कक्षा चार में पढ़ती है. जब हमने इसे स्कूल आते देखा तो मन में आया कि इस बच्ची के लिए कुछ करना चाहिए. इसलिऐ हमनें इसके स्कूल आते-जाते एक छोटा सा वीडियो क्लिप बनाकर ट्विटर पर डाल दिया. फिर मीडिया के माध्यम से खबर लोगों तक पहुंच गई.''- गौतम गुप्ता, सीमा के स्कूल के टीचर

सपने को पूरा करने में जुटी बच्चीः जमुई की रहने वाली ये दिव्यांग बच्ची फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में चौथी क्लास की छात्रा है. सीमा के शिक्षक कहते हैं कि यह बुलंद हौसले वाली बच्ची है. एक पैर नहीं होने के बावजूद पगडंडियों पर चलकर खुद स्कूल पहुंच जाती है. बिना किसी पर बोझ बने अपनी शिक्षा पूरी करना चाहती है. महादलित समुदाय से आने वाली दिव्यांग छात्रा सीमा का सपना पढ़-लिखकर टीचर बनने का है, वो बड़े होकर बच्चों को पढ़ाना चाहती है. तमाम परेशानियों के बावजूद वो स्कूल जाती है और अपने सपने को पूरा करने में जुटी है. सीमा पांच भाई-बहन हैं.

बच्चों के साथ सीमा.
बच्चों के साथ सीमा.

स्कूल जाने की जिद करती थी सीमाः सीमा की मां बेबी देवी कहती हैं कि दूसरे बच्चों को देखकर स्कूल जाने की जिद करती थी. जिस कारण नाम लिखवाना पड़ा. सरकारी कोई मदद नहीं है. ईंटा पारते हैं. बच्ची के पिता बाहर मजदूरी करते हैं और कोई काम नहीं है. खेती बारी रोजी रोजगार कुछ नहीं है. किसी तरह परिवार का भरण पोषण होता है. बच्ची पढ़ना चाहती है, इसलिए हमलोग भी चाहते हैं कि पढ़ ले.

''हम लोग काफी गरीब हैं. बेटी जब गांव के बच्चों को स्कूल जाते देखती थी तो वो जिद करती थी. फिर किसी तरह स्कूल में नाम लिखवा गया. हमलोगों के पास इतने पैसे भी नहीं होते की बच्ची को किताब कॉपी खरीद कर दे सकें. ये सब भी स्कूल के शिक्षक ही मुहैया करवाते हैं. मुझे मेरी बेटी पर गर्व है. बच्ची पढ़ लिखकर नाम रौशन करेगी. सरकार भी मदद करे ताकि बच्ची पढ़कर लिखकर अपना भविष्य बना सके.''- बेबी देवी, सीमा की मां

''बच्ची के मम्मी पापा ईंटा पारने गए हुए थे. सीमा मां पापा को खाना पहुंचाने जा रही थी, तभी रोड पार करते समय एक ट्रैक्टर ने ठोकर मार दी. इलाज के दौरान जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा. दो साल पहले दुर्घटना का शिकार हो गई थी. बच्ची पढ़ना चाहती है. हमलोग भी चाहते हैं कि इसका भविष्य बने. अभी तक तो कोई मदद नहीं मिल पाई है. सरकार से विनती है की बच्ची को आगे पढ़ाई में मदद करे.''- लक्ष्मी देवी, सीमा की दादी

सीमा के घर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीमः वहीं, दादा नौरंगी प्रसाद कहते हैं कि इंदिरा आवास भी नहीं है. ना ही आज तक शौचालय बना. कच्चे छप्पर के मकान में रहते हैं. किसी तरह अभी मजदूरी करके घर परिवार चलता है. उधर सोशल मीडिया पर बच्ची के वायरल वीडियो को देखकर एक्टर सोनू सूद भी बच्ची की मदद करने के लिए आगे आए हैं. जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम भी सीमा के घर पहुंची और उसके लिए कृत्रिम पैर बनाने की बात कही. वहीं जमुई के डीएम अवनिश कुमार सिंह ने बच्ची को ट्राई साइकिल भी दी है. इधर अभिनेता सोनू सूद ने भी मदद की हाथ बढ़ाई है.

ट्राइसाइकिल देते डीएम.
ट्राइसाइकिल देते डीएम.

''जैसा ही ज्ञात हुआ कि दिव्यांग बच्ची सारी चुनौतियों के बावजूद स्कूल पढ़ने के लिए जा रही है, ये हम सबों के लिए बहुत ही प्रोत्साहित करने वाली खबर थी. खैरा प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव का हमलोगों ने विजिट किया है. जिला प्रशासन के पदाधिकारी भी पहुंचे हैं. अभी एक ट्राई साइकिल मंगवाकर बच्ची को दिया गया है. साथ ही सामाजिक सहयोग से बच्ची को प्रोत्साहन राशि का चेक भी दिया गया है. जहां सीमा रहती है उस टोले का भी हमने भ्रमण किया है. कुछ कच्चे घर बने हुऐ हैं. हमलोग प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऐसे लोगों को नया घर भी देंगे. कुछ लोग हैं जिनके पास भूमि का स्वामित्व नहीं है ऐसे लोगों के लिए अनुमंडल पदाधिकारी को कहा गया है की सर्वे करा लें. ऐसे व्यक्ति को 15 दिनों के अंदर हमलोग पर्चा देना शुरू कर देंगे''- अवनीश कुमार सिंह, डीएम, जमुई

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Last Updated : May 25, 2022, 6:19 PM IST
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