पटना: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो चुकी है. आज 14 अप्रैल को छठा दिन है. इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. आचार्य रामशंकर दुबे ने बताया कि छठे दिन मां कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है. कात्यायनी मां का स्वरूप सोने की तरह चमकीला है. शेर पर सवार चारभुजा वाली है. माता के चारों भुजाओं में अस्त्र-शास्त्र है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन सुबह स्नान करके पीले रंग का वस्त्र धारण करके पूजा की शुरुआत करनी चाहिए.
कैसे करें पूजा: आचार्य रामशंकर दुबे ने बताया कि पूजा शुरू करने से पहले फूल माला अक्षत फूल की थाली सजा ले. शुद्ध गंगाजल से माता रानी को स्नान कराएं. हाथ में फूल और गंगाजल लेकर के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फूल, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और कुमकुम माता को अर्पित करें. गाय के दूध का पंचामृत बनाएं. मेवा मिष्ठान का भोग लगाएं. इसके बाद घी का दीपक जलाकर मां की आरती उतारे. दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
क्या है मान्यताः महिषासुर को वरदान मिला था कि कोई भी पुरुष कभी उसे पराजित या उसका अंत नहीं कर सकता है. इसलिए किसी का डर नहीं था. देखते-देखते वह देव लोक पर भी अपना कब्जा कर लिया. तब ब्रह्मा विष्णु और महादेव ने उसका विनाश करने के लिए अपने-अपने तेज से एक देवी को उत्पन्न किया. देवी की उत्पति महर्षि कात्यान के यहां आश्विन महीने के कृष्ण चतुर्दशी को हुई थी.
महिषासुर का वधः इसके बाद महर्षि ने शुक्ल सप्तमी अष्टमी और नवमी तक देवी की अपने आश्रम में विधिवत पूजा की है और दशमी को देवी के स्वरूप ने महिषासुर का वध किया. यही कारण है कि देवी के इस स्वरूप को देवी कात्यायनी के नाम से जाना जाता है. आचार्य ने बताया कि दुर्गा के स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व है. माता को शहद अति प्रिय है. देवी की पूजा गृहस्थ और विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के साथ-साथ शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में तरक्की करने वालों के लिए बहुत ही लाभदायक है.
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