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घायल पशुओं का इलाज, 3 साल में 4500 से अधिक बेजुबानों की सेवा, ऐसे शुरू हुआ 'मिशन' - World Animal Welfare Day

घायल पशुओं का इलाज कर 'ट्रीट ऑन स्ट्रीट' जीवनदाई साबित हो रही है. 3 साल में 4500 से अधिक बेजुबानों की सेवा कर चुकी है.

TREATMENT OF INJURED ANIMALS
घायल पशुओं का इलाज (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 4, 2024, 7:17 PM IST

भरतपुर: युवा उच्च शिक्षा हासिल कर अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनते हैं, लेकिन भरतपुर के कुछ युवाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं को छोड़कर बेजुबानों की सेवा करने को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया है. गलियों में घूमने वाले भूखे और घायल पशुओं और पक्षियों के दर्द भरे हालातों को देखकर युवाओं ने ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के माध्यम से बेजुबानों की सेवा का बीड़ा उठाया. बीते तीन साल में युवाओं ने अपनी संस्था के माध्यम से साढ़े 4 हजार से अधिक बेजुबानों का इलाज किया और उन्हें आश्रय दिया. युवाओं की इस पहल में भरतपुर नगर निगम और कुछ भामाशागों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया.

ऐसे शुरू हुआ सेवा का मिशन : ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के फाउंडर मेंबर प्रशांत ने बताया कि करीब 3 साल पहले वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था और लाइब्रेरी जाते समय वहां एक भूखे घायल श्वान को देखा. उसका इलाज करवाया और उसे भोजन दिया. उसके बाद श्वान के एक बच्चे को भी भोजन दिया और उसे लोहागढ़ किले परिसर के एक कमरे में रख दिया. धीरे-धीरे जो भी भूखा और घायल बेजुबान जानवर मिलता, उसकी मदद करते और उसे कमरे में रख देते. वहां करीब 30-40 बेजुबान जानवर इकट्ठा हो गए. ऐसे में पुरातत्व विभाग वालों ने हमारे खिलाफ संपत्ति पर अतिक्रमण करने का मुकदमा दर्ज करा दिया.

बेजुबानों की सेवा (ETV Bharat Bharatpur)

प्रशांत ने बताया कि उसके बाद एक अन्य स्थान पर जीवों को रखने लगे. वहां भी जीवों की संख्या काफी बढ़ गई तो लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. लोगों ने हमारी शिकायत कर दी और मजबूरन बेजुबान वहां से भी बेघर हो गए. उसके बाद हमारा काम भरतपुर नगर निगम की नजर में पड़ा. नगर निगम ने ट्रीट ऑन स्ट्रीट के भरतपुर बस स्टैंड के पास जगह उपलब्ध कराई. अब यहीं पर बेजुबानों की सेवा करते हैं.

हजारों का इलाज और सेवा : प्रशांत ने बताया कि तीन साल पहले शुरू यह मिशन अब पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ रहा है. प्रशांत के साथ हर्ष, मुकेश, विजय, शशि आदि जुड़ते गए. बीते तीन साल में संस्था के माध्यम से 3 हजार से अधिक बेजुबानों की सेवा कर चुके हैं. प्रशांत ने बताया कि गलियों में घायल मिलने वाले बेजुबानों को उठाकर लाते हैं, उनकी सेवा और उपचार करते हैं, उसके बाद छोड़ देते हैं. जो ज्यादा बीमार या असहाय होते हैं, उन्हें संस्था अपने पास रखकर उनकी सेवा करती है.

पढ़ें : कर्रा रोग का कहर : जिम्मेदार आए हरकत में, 32 गांवों में कैंप, 17 मोबाइल वेटनरी टीमें तैनात - Karra Disease

प्रशांत ने बताया कि बेजुबानों की सेवा के लिए नगर निगम ने जगह उपलब्ध कराई. एक व्यवसाई ने एंबुलेंस दान की. इसी तरह लोगों से मिलने वाली आर्थिक व अन्य तरह की मदद से ही बेजुबानों की सेवा का यह मिशन आगे बढ़ रहा है. प्रशांत ने बताया कि अब बेजुबानों की सेवा ही जीवन का ध्येय बन गया है. अब हमारा लक्ष्य इन बेजुबानों के लिए उपचार संबंधी सभी सुविधाओं से युक्त अस्पताल खोलने का है.

भरतपुर: युवा उच्च शिक्षा हासिल कर अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनते हैं, लेकिन भरतपुर के कुछ युवाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं को छोड़कर बेजुबानों की सेवा करने को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया है. गलियों में घूमने वाले भूखे और घायल पशुओं और पक्षियों के दर्द भरे हालातों को देखकर युवाओं ने ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के माध्यम से बेजुबानों की सेवा का बीड़ा उठाया. बीते तीन साल में युवाओं ने अपनी संस्था के माध्यम से साढ़े 4 हजार से अधिक बेजुबानों का इलाज किया और उन्हें आश्रय दिया. युवाओं की इस पहल में भरतपुर नगर निगम और कुछ भामाशागों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया.

ऐसे शुरू हुआ सेवा का मिशन : ट्रीट ऑन स्ट्रीट संस्था के फाउंडर मेंबर प्रशांत ने बताया कि करीब 3 साल पहले वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था और लाइब्रेरी जाते समय वहां एक भूखे घायल श्वान को देखा. उसका इलाज करवाया और उसे भोजन दिया. उसके बाद श्वान के एक बच्चे को भी भोजन दिया और उसे लोहागढ़ किले परिसर के एक कमरे में रख दिया. धीरे-धीरे जो भी भूखा और घायल बेजुबान जानवर मिलता, उसकी मदद करते और उसे कमरे में रख देते. वहां करीब 30-40 बेजुबान जानवर इकट्ठा हो गए. ऐसे में पुरातत्व विभाग वालों ने हमारे खिलाफ संपत्ति पर अतिक्रमण करने का मुकदमा दर्ज करा दिया.

बेजुबानों की सेवा (ETV Bharat Bharatpur)

प्रशांत ने बताया कि उसके बाद एक अन्य स्थान पर जीवों को रखने लगे. वहां भी जीवों की संख्या काफी बढ़ गई तो लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. लोगों ने हमारी शिकायत कर दी और मजबूरन बेजुबान वहां से भी बेघर हो गए. उसके बाद हमारा काम भरतपुर नगर निगम की नजर में पड़ा. नगर निगम ने ट्रीट ऑन स्ट्रीट के भरतपुर बस स्टैंड के पास जगह उपलब्ध कराई. अब यहीं पर बेजुबानों की सेवा करते हैं.

हजारों का इलाज और सेवा : प्रशांत ने बताया कि तीन साल पहले शुरू यह मिशन अब पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ रहा है. प्रशांत के साथ हर्ष, मुकेश, विजय, शशि आदि जुड़ते गए. बीते तीन साल में संस्था के माध्यम से 3 हजार से अधिक बेजुबानों की सेवा कर चुके हैं. प्रशांत ने बताया कि गलियों में घायल मिलने वाले बेजुबानों को उठाकर लाते हैं, उनकी सेवा और उपचार करते हैं, उसके बाद छोड़ देते हैं. जो ज्यादा बीमार या असहाय होते हैं, उन्हें संस्था अपने पास रखकर उनकी सेवा करती है.

पढ़ें : कर्रा रोग का कहर : जिम्मेदार आए हरकत में, 32 गांवों में कैंप, 17 मोबाइल वेटनरी टीमें तैनात - Karra Disease

प्रशांत ने बताया कि बेजुबानों की सेवा के लिए नगर निगम ने जगह उपलब्ध कराई. एक व्यवसाई ने एंबुलेंस दान की. इसी तरह लोगों से मिलने वाली आर्थिक व अन्य तरह की मदद से ही बेजुबानों की सेवा का यह मिशन आगे बढ़ रहा है. प्रशांत ने बताया कि अब बेजुबानों की सेवा ही जीवन का ध्येय बन गया है. अब हमारा लक्ष्य इन बेजुबानों के लिए उपचार संबंधी सभी सुविधाओं से युक्त अस्पताल खोलने का है.

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