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राजस्थान में वैशाख पूर्णिमा पर होगी वन्यजीव गणना, जानिए कैसे होगी गणना - WILDLIFE CENSUS in rajasthan

राजस्थान में वन्य जीव गणना की तैयारियां चल रही है. ये गणना 23 और 24 मई को वॉटर होल पद्धति से होगी. इस दरमियानी पूर्णिमा रात होने से रात को जानवर गणना करने वाले को आसानी से नजर आ जाएंगे. वनविभाग इस गणना के आंकड़ों के आधार पर राज्य में वन्यजीवों के आंकडे़ जारी करेगा.

WILDLIFE CENSUS in rajasthan
राजस्थान में वैशाख पूर्णिमा पर होगी वन्यजीव गणना (photo etv bharat jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 22, 2024, 3:55 PM IST

जयपुर. प्रदेश में वैशाख पूर्णिमा पर वन्यजीवों की गणना शुरू की जाएगी. यह गणना वाटर होल पद्धति से 23 से 24 मई को राजस्थान के सभी जंगलों में होगी. इसके तहत जंगलों में वाटर पॉइंट्स पर लगातार 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी. वहां, पानी पीने आने वाले वन्यजीवों को गिना जाएगा. वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमी मचान पर बैठकर 24 घंटे वन्यजीवों की गणना करेंगे.

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने बताया कि 23 मई को गुरुवार सुबह 8:00 बजे से वन्यजीव गणना शुरू होगी और 24 मई को शुक्रवार सुबह 8:00 बजे तक चलेगी. इसके बाद वन्यजीव गणना के आंकड़े एकत्रित करके वन मुख्यालय अरण्य भवन भेजे जाएंगे. उपाध्याय के मुताबिक वन्यजीव गणना से पहले दो दिन पूर्व अभ्यास प्रशिक्षण करवाया गया है. इस गणना में बाघ, बघेरे और अन्य वन्यजीवों की संख्या का आंकलन किया जाएगा. वन्यजीव गणना की वन मुख्यालय से मॉनिटरिंग की जाएगी.

पढ़ें: बुद्ध पूर्णिमा को होगी वन्यजीवों की गणना, गोडावण की संख्या का भी पता लग सकेगा

गत वर्ष नहीं हो पाई थी गणना: पिछले वर्ष बेमौसम बरसात की वजह से वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी. ऐसे में इस बार वन्यजीव गणना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना से वन्यजीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मिल पाएंगे.

कैमरे भी लगाए: डीसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक वाटर हॉल पद्धति पर वन्यजीवों की गणना की जाएगी. जंगलों में मचान पर बैठकर वॉटर हॉल पर वन्यजीवों की गिनती की जाएगी. कई जगह पर वाटर पॉइंट पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं, जहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद होगी.

एनटीसीए प्रोटोकॉल से होगी टाइगर रिजर्व में गणना: प्रदेश में रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की गणना एनटीसीए प्रोटोकॉल से की जाती है. ऐसे में इन टाइगर रिजर्व के अलावा 27 सेंचुरी क्षेत्र में वन्यजीवों को वाटर हॉल सेंसस के जरिए गिना जाता है. इस साल वन्यजीव गणना में पैंथर, भालू और भेड़ियों की तादाद पर नजर रहेगी. इसके साथ ही जंगलों में नीलगाय, सियागोश और चौसिंगा जैसे वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का भी पता लग पाएगा.

इसे भी पढ़ें: इस राष्ट्रीय उद्यान में अब ऐसे होगी वन्यजीवों की गणना, जानें पानी से क्या है कनेक्शन

जयपुर में आमागढ़, नाहरगढ़ व गलता में होगी गणना: राजधानी जयपुर की बात की जाए तो झालाना वन, गलता- आमागढ़ वन क्षेत्र और नाहरगढ़ वन क्षेत्र में गणना की जाएगी. यह गणना सभी जगह वाटर होल पद्धति से होगी. क्योंकि वन्यजीव गणना में मुख्य आधार सभी जल स्रोत होते हैं. जयपुर रेंज प्रादेशिक क्षेत्र की बात की जाए तो करीब 44 वाटर पॉइंट्स पर वन्यजीवों की गिनती होगी. इनमें से 23 वाटर पॉइंट झालाना लेपर्ड रिजर्व के हैं. 13 वाटर पॉइंट आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व के और 7 वाटर पॉइंट अन्य जगहों के हैं.

24 से अधिक प्रजातियों की होगी गणना: वन्यजीव गणना में भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली, सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना जाएगा. हालांकि, प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां है.

जयपुर. प्रदेश में वैशाख पूर्णिमा पर वन्यजीवों की गणना शुरू की जाएगी. यह गणना वाटर होल पद्धति से 23 से 24 मई को राजस्थान के सभी जंगलों में होगी. इसके तहत जंगलों में वाटर पॉइंट्स पर लगातार 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी. वहां, पानी पीने आने वाले वन्यजीवों को गिना जाएगा. वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमी मचान पर बैठकर 24 घंटे वन्यजीवों की गणना करेंगे.

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने बताया कि 23 मई को गुरुवार सुबह 8:00 बजे से वन्यजीव गणना शुरू होगी और 24 मई को शुक्रवार सुबह 8:00 बजे तक चलेगी. इसके बाद वन्यजीव गणना के आंकड़े एकत्रित करके वन मुख्यालय अरण्य भवन भेजे जाएंगे. उपाध्याय के मुताबिक वन्यजीव गणना से पहले दो दिन पूर्व अभ्यास प्रशिक्षण करवाया गया है. इस गणना में बाघ, बघेरे और अन्य वन्यजीवों की संख्या का आंकलन किया जाएगा. वन्यजीव गणना की वन मुख्यालय से मॉनिटरिंग की जाएगी.

पढ़ें: बुद्ध पूर्णिमा को होगी वन्यजीवों की गणना, गोडावण की संख्या का भी पता लग सकेगा

गत वर्ष नहीं हो पाई थी गणना: पिछले वर्ष बेमौसम बरसात की वजह से वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी. ऐसे में इस बार वन्यजीव गणना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना से वन्यजीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मिल पाएंगे.

कैमरे भी लगाए: डीसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक वाटर हॉल पद्धति पर वन्यजीवों की गणना की जाएगी. जंगलों में मचान पर बैठकर वॉटर हॉल पर वन्यजीवों की गिनती की जाएगी. कई जगह पर वाटर पॉइंट पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं, जहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद होगी.

एनटीसीए प्रोटोकॉल से होगी टाइगर रिजर्व में गणना: प्रदेश में रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की गणना एनटीसीए प्रोटोकॉल से की जाती है. ऐसे में इन टाइगर रिजर्व के अलावा 27 सेंचुरी क्षेत्र में वन्यजीवों को वाटर हॉल सेंसस के जरिए गिना जाता है. इस साल वन्यजीव गणना में पैंथर, भालू और भेड़ियों की तादाद पर नजर रहेगी. इसके साथ ही जंगलों में नीलगाय, सियागोश और चौसिंगा जैसे वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का भी पता लग पाएगा.

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जयपुर में आमागढ़, नाहरगढ़ व गलता में होगी गणना: राजधानी जयपुर की बात की जाए तो झालाना वन, गलता- आमागढ़ वन क्षेत्र और नाहरगढ़ वन क्षेत्र में गणना की जाएगी. यह गणना सभी जगह वाटर होल पद्धति से होगी. क्योंकि वन्यजीव गणना में मुख्य आधार सभी जल स्रोत होते हैं. जयपुर रेंज प्रादेशिक क्षेत्र की बात की जाए तो करीब 44 वाटर पॉइंट्स पर वन्यजीवों की गिनती होगी. इनमें से 23 वाटर पॉइंट झालाना लेपर्ड रिजर्व के हैं. 13 वाटर पॉइंट आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व के और 7 वाटर पॉइंट अन्य जगहों के हैं.

24 से अधिक प्रजातियों की होगी गणना: वन्यजीव गणना में भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली, सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना जाएगा. हालांकि, प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां है.

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