जयपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर राजधानी में करीब 25 स्थान पर पथ संचलन का आयोजन हुआ. प्रत्येक संचलन में करीब 150 से 500 स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरे. वहीं, घोष (आरएसएस का बैंड) की स्वर लहरियों ने शहरवासियों को अपनी ओर आकर्षित किया. इस दौरान विभिन्न मोहल्ला विकास समितियों और सामाजिक संगठनों की ओर से स्वयंसेवकों के पथ संचलन पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 6 उत्सवों में से एक विजयादशमी को संघ अपने स्थापना दिवस के रूप में भी मनाता है. शनिवार को जयपुर में करीब 25 स्थानों पर पहले शस्त्र पूजन हुआ, इसके बाद पथ संचलन किया गया. इस दौरान स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में कदम से कदम मिलाते हुए देश में एकता और अखंडता का संदेश देते दिखे. इससे पहले स्वयंसेवकों ने वर्ष भर चलने वाले शारीरिक कार्यक्रम दंड, योग, सूर्य नमस्कार, नियुद्ध और घोष का प्रदर्शन भी किया. कार्यक्रमों में संघ से जुड़े वरिष्ठ प्रचारक और कार्यकर्ताओं ने अपने संबोधन में आतंकवाद, उग्रवाद समेत अन्य देश विरोधी ताकतों से निपटने के लिए समाज को हमेशा तत्पर रहने का संदेश दिया. साथ ही शस्त्र पूजन का महत्व भी बताया.
वहीं, जयपुर के पुराने पौण्ड्रिक नगर का विजयदशमी कार्यक्रम चौगान स्टेडियम में हुआ, जहां मुख्य अतिथि के रूप में गोविंद देव जी मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और जस्टिस जेके रांका मौजूद रहे. वहीं, विद्या भारती के संगठन मंत्री शिवप्रसाद मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे. यहां मुख्य अतिथियों की ओर से शस्त्र पूजन किया गया. वहीं, शिव प्रसाद ने संघ कार्य को ईश्वरीय कार्य बताते हुए कहा कि सनातन धर्म के बारे में भी बताया. साथ ही कहा कि स्वयंसेवकों का संघ की शाखाओं में शारीरिक और मानसिक विकास होता है. अनुशासन सीखने को मिलता है, जो समाज का विकास करने में भी योगदान देता है. इसके बाद ये संचलन चौगान स्टेडियम से पुरानी बस्ती, गणगौरी बाजार और ब्रह्मपुरी से गुजरा.
इस दौरान स्वयंसेवकों ने घोष से निकली स्वर लहरियों पर अनुशासन के साथ कदम बढ़ाए. स्वयंसेवकों ने आनक (साइड ड्रम), त्रिभुज (ट्रायंगल) वंशी (बांसुरी) शंख (बिगुल) और प्रणव (बॉस ड्रम) के साथ किरण, उदय, श्रीराम, सोनभद्र सहित विभिन्न घोष रचनाओं का वादन भी किया.