दूदू. राजस्थान के कई जिले पानी किल्लत से जूझ रहे हैं और भीषण गर्मी के चलते पानी की एक एक बूंद के लिए लोग मोहताज हो रहे हैं. दूदू जिले के सांभरलेक क्षेत्र में नमक बनता है और अत्यधिक मात्रा में खारा और फ्लोराइड युक्त पानी पाया जाता है. ऐसे में पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए कई संस्थाएं आगे आ रहीं हैं और घरों में वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए टांके बनाकर शुद्ध और मीठा पेयजल उपलब्ध करा रही हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य और जिंदगी में बदलाव आने लगा है.
सांभरलेक क्षेत्र में लगातार गिरते भू-जल स्तर से पानी में फ्लोराइड की मात्रा अत्यधिक होने से लोग पेट दर्द सहित हड्डियां कमजोर होने व हाथ पैरों के जोड़ों के दर्द से परेशान थे. ऐसे में समस्याओं से निजात पाने के लिए अब ग्रामीण बारिश के पानी को टांकों में एकत्रित कर साल भर शुद्ध मीठा पानी उपयोग में ले रहे हैं. इससे लोगों को पानी का महत्व समझ आने लगा है और लोग पानी की बूंद बूंद को सहेज कर टांकों में एकत्रित कर रहे हैं.
वर्षा का पानी छत के जरिए पहुंचता है टांके में : सांभरलेक क्षेत्र के तीन दर्जन से ज्यादा गांवों में वर्षा के जल को संग्रहण करने के लिए टांके बनाए जा रहे हैं. टांकों को मकान की छत से जोड़ा गया है, जहां वर्षा का जल एकत्रित हो जाता है और पूरे साल टांके से पानी पीने सहित अन्य कामों में लिया जा रहा है. घरों के साथ ही निजी और सरकारी स्कूलों में भी एक लाख लीटर पानी के टांके बनाए जा रहे हैं, ताकि क्षेत्र में लगातार बढ़ रही पानी की समस्या से निजात मिल सके.
सांभर में फ्लोराइड और जलस्तर के यह हालात : सांभर ब्लॉक के कई गांवों में जल स्तर 300 से 400 फीट की गहराई में चला गया है. सांभर ब्लॉक के कुछ स्थानों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 16.4 मिली ग्राम प्रति लीटर तक मिली है, जबकि अनुमान्य दर एक मिलीग्राम प्रति लीटर है. वहीं, सांभर झील के पानी में यह दर 2.41 मिलीग्राम प्रति लीटर है.
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ग्रामीण क्षेत्र में हर घर में टांके बनाने का लक्ष्य : ग्रामीण क्षेत्र में खारे पानी से निजात दिलाने के लिए जल भागीरथी फाउंडेशन लोगों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. संस्था की ओर से टांके बनाने के लिए उपयुक्त जगह का चयन किया जाता है और उसके बाद टांके बनाने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है. साथ ही टांका सही से बने इसको लेकर मॉनिटरिंग भी की जाती है. सांभरलेक क्षेत्र के 30 गांवों में अब तक 2500 टांके बनाए जा चुके हैं. आने वाले 4 से 5 साल में 60 से अधिक गांवों के प्रत्येक घरों में टांके बनाने का लक्ष्य रखा है, ताकि वर्षा के जल की बर्बादी को रोक सकें और शुद्ध और मीठा पानी प्रत्येक परिवार को मिल सके.
जल संरक्षण को लेकर जागरूकता की मुहिम : ग्रामीण क्षेत्र में लगातार गिरते जल स्तर और फ्लोराइड युक्त पानी के संकट से जूझ रहे लोगों के लिए जल भागीरथी फाउंडेशन की ओर से हर घर टांके बनाए जा रहे हैं. इसको लेकर गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और लोगों को जल पंचायत से जोड़कर वर्षा के जल को संरक्षित करने और उससे होने वाले फायदे के बारे में बताया जा रहा है. इसको लेकर लोगों में लगातार जागरूकता भी आई है और लोग अब आगे चलकर अपने घरों में वर्षा का जल एकत्रित करने के लिए टांके बना रहे हैं, जिससे साल भर शुद्ध और मीठा पानी मिल सके.