डूंगरपुर. गर्मियां आते ही पानी की किल्लत बढ़ गई है. शहर से लेकर गांवों तक लोग पानी की परेशानी से जूझ रहे हैं. खराब व सूख चुके हैं. हैंड पंपों ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है. घटते जलस्तर के कारण जिलेभर में 13 प्रतिशत हैंड पंप सूख गए. जलदाय विभाग तीन प्रतिशत हैंड पंप खराब होने का दावा कर रहा है, जबकि हकीकत में इससे ज्यादा हैंड पंप खराब हैं. लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं.
जिले के कई गांवों में नल योजना से पानी की सप्लाई होती है, लेकिन जिले के अधिकांश गांव सिर्फ हैंड पंपों पर निर्भर हैं. ऐसे अनेक गांवों में हैंड पंप खराब हो गए. इससे लोगों की परेशानी बढ़ गई. गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर से लेकर गांवों तक पानी की किल्लत शुरू हो गई है. इसके बावजूद गांवों में खराब हैंड पंपों को सुधारने का कोई अभियान नहीं चलाया गया.
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एक हजार से अधिक हैंड पंप खराब: जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता मूलचंद ने बताया कि जिले में जलदाय विभाग और पंचायतीराज के तहत 47 हजार 271 हैंड पंप हैं, जिनमें से 915 खराब हैंड पंप रिपेयर कर दिए गए हैं, जबकि 1 हजार 246 हैंड पंप खराब हो चुके हैं और रिपेयर लायक भी नहीं हैं. वहीं, 5 हजार 984 हैंड पंप सुख चुके हैं. इनमें जल निचले स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बारिश आने के बाद ये फिर से चालू हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल गर्मी में लोगों को इनसे पानी नहीं मिलेगा. ऐसे में गर्मी के मौसम में हैंड पंप का घटता जलस्तर लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है.
270 हैंड पंप में एक्सट्रा पाइप लगाए: गिरते भूजलस्तर की वजह से पानी गहराई में चला गया है. विभाग ने 270 हैंड पंप में एक्सट्रा पाइप लगाकर उन्हें फिर से चालू कर दिया, लेकिन पानी ज्यादा गहरा होने के बाद ये कब तक लोगों की प्यास बुझाएंगे, ये बड़ा सवाल है.
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खराब हैंड पंप ज्यादा, मिस्त्री गिनती के: जलदाय विभाग और पंचायतीराज विभाग दोनों को मिलाकर जिले में 45 हजार से ज्यादा हैंड पंप हैं, जबकि मिस्त्री के नाम पर जिले में केवल 1 फीटर, 61 मिस्त्री और 22 हेल्पर हैं. ऐसे में प्रति हैंड पंप मिस्त्री के जिम्मे 3 से 4 या इससे ज्यादा हैंड पंप रिपेयरिंग का जिम्मा है. पंचायतीराज विभाग के पास साधनों की भी कमी है. पंचायतीराज के पास पाइप नहीं मिलने पर जलदाय विभाग अपने पाइप से काम चला रहा हैं. जिले में 40 प्रतिशत हैंड पंप जलदाय विभाग ओर 60 प्रतिशत पंचायतीराज विभाग के हैं.