वाराणसी : महादेव की नगरी काशी, जिसे मंदिरों का शहर कहा जाता है. यहां छोटे-बड़े कितने मंदिर हैं, इसका अंदाजा शायद किसी को भी नहीं है. मंदिरों के शहर में विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रमुख माना जाता है.
इस मंदिर के आस-पास बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो अपने पुरातन पद्धति और पौराणिकता के लिए जाने जाते हैं, लेकिन समय के साथ इन मंदिरों की देखरेख और मंदिर के प्रॉपर ट्रस्ट न होने की वजह से इनका संरक्षण होना मुश्किल हो जाता है.
ऐसे में विश्वनाथ मंदिर इन मंदिरों के संरक्षण और सुरक्षा के साथ यहां पर होने वाले नियमित कार्यों के लिए प्रयास करने जा रहा है. दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर कार्य करने जा रहा है.
जिस तरह से तिरुपति बालाजी, मीनाक्षी टेंपल समेत अन्य बड़े मंदिर दक्षिण भारत के छोटे मंदिरों का ख्याल रखते हैं, वैसे ही विश्वनाथ मंदिर न्यास और प्रशासन मिलकर यह कार्य करेंगे.
विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की प्लानिंग के संदर्भ में कमिश्नर कौशल राज शर्मा का कहना है कि पहले की अपेक्षा विश्वनाथ मंदिर की आमदनी में कई गुना ज्यादा वृद्धि हुई है जो सालाना आय 8 करोड़ रुपए हुआ करती थी, वह बढ़कर लगभग 60 करोड़ के आसपास पहुंच गई है.
यह श्रद्धालुओं की वजह से ही संभव हो पाया है. श्रद्धालुओं की बढ़ रही संख्या के कारण प्रतिवर्ष विश्वनाथ मंदिर न्यास की आमदनी चढ़ने के रूप में बढ़ रही है, इसलिए सामाजिक कार्यों में खर्च करने के लिए भी हम रोज नई प्लानिंग कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों हमने विश्वनाथ मंदिर न्यास के प्रयास से अस्पतालों को खाना उपलब्ध करवाने की सेवा की शुरुआत की और अब मंदिर न्यास की तरफ से छोटे मंदिरों के संरक्षण और सुविधाओं में वृद्धि की प्लानिंग की जा रही है.
इसके तहत हमने हाल ही में विश्वनाथ मंदिर के निकट शक्तिपीठ में शामिल विशालाक्षी मंदिर के पूजन पाठ में सहयोग प्रदान करना शुरू किया है और हम नित्य प्रतिदिन मंदिर को अपनी तरफ से पूजन सामग्री और 16 श्रृंगार सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं.
इसके अलावा विश्वनाथ मंदिर उन क्षेत्रों में भी अपना विस्तार करने जा रहा है जो आदिवासी क्षेत्र हैं, जैसे चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर इन क्षेत्रों में भी बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो बहुत पुरातन हैं और इनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है. ऐसे मंदिरों की सूची भी हमारे द्वारा तैयार करवाई जा रही है, ताकि इनका भी संरक्षण और पूजन पाठ का कार्य शुरू किया जा सके.
विश्वनाथ मंदिर की तरफ से फिलहाल विशालाक्षी मंदिर के अतिरिक्त नौ गौरी के अन्य मंदिर जिसमें सौभाग्य गौरी, ललिता गौरी, मुख निर्मालिका गौरी के अलावा नवदुर्गा के कई मंदिर जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, विशालाक्षी व अन्य मंदिरों के अतिरिक्त जो छोटे शिवालय हैं, उनमें पूजन पाठ और पुजारी रखने के अतिरिक्त अन्य कार्य शुरू करने की तैयारी की जा रही है.
हाल ही में विश्वनाथ मंदिर ने व्यास जी के तहखाने में भी पुजारी की नियुक्ति न्यायालय के आदेश पर की है. अब अन्य छोटे मंदिरों के संरक्षण पर विश्वनाथ मंदिर कार्य करेगा और पूजन पाठ से लेकर नियमित भोग, आरती की व्यवस्था विश्वनाथ मंदिर अपनी तरफ से करेगा और वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा.