हल्द्वानी: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने मदरसों में रामायण पढ़ाने का फैसला लिया है. वक्फ बोर्ड के फैसले के बाद मामला तूल पकड़ने लगा है. मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है तो वहीं उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने मदरसों में रामायण पढ़ाये जाने को समर्थन दिया है.
मदरसों में रामायण पढ़ाने का अल्पसंख्यक आयोग ने किया समर्थन: उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार मदरसों में संस्कृत और इंग्लिश की पढ़ाई करवा रही है. मुस्लिम बच्चे संस्कृत और इंग्लिश पढ़ रहे हैं. यहां तक कि मदरसों में एनसीईआरटी की शिक्षा व्यवस्था भी लागू की गयी है. ऐसे में अगर मदरसों में रामायण पढ़ायी जाती है तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पढ़ाई से ज्ञान मिलता है. बहुत से हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग हैं जो एक दूसरे के धर्म का ज्ञान लेते हैं.
कांग्रेस को विरोध करने पर लिया आड़े हाथ: मजहर नईम ने कहा कि रामायण की पढ़ाई कराने से ज्ञान की प्राप्ति होगी. इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोग ही केवल इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के लोगों को केवल राजनीति करनी है. मजहर नईम ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक मुसलमानों को धोखा देने का काम किया है, जिसका नतीजा है कि आज तक मुस्लिम समुदाय शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे रहा है.
उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाई जाएगी रामायण: गौरतलब है कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से संबद्ध मदरसों में अब रामायण पढ़ाई जाएगी. रामायण को मदरसे के पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल किया जाएगा. नये पाठ्यक्रम के अनुसार उत्तराखंड के मान्यता प्राप्त 117 मदरसों में रामायण पढ़ाई जाएगी. इसकी शुरुआत चार जिलों से की जाएगी. रामायण पाठ्यक्रम के तहत भगवान राम की कहानी को आगामी शैक्षणिक सत्र से देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर के मदरसों में पढ़ाया जाएगा. मदरसों में रामायण पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भी भर्तियां भी की जाएंगी.
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