शिमला: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने शिमला में कहा कि शानन प्रोजेक्ट के मामले में केंद्र सरकार किसी का फेवर नहीं करेगी. केंद्र इस मामले में न्यूट्रल रहेगा. हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ एक उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद मीडिया से चर्चा में मनोहर लाल ने कहा कि बीबीएमबी में हिमाचल के एरियर के दावे पर उन्होंने कहा कि ये मल्टी स्टेट मैटर है. आपस में मिल-बैठकर इसका समाधान निकाला जाएगा.
मनोहर लाल ने कहा, "शानन प्रोजेक्ट की लीज अवधि खत्म हो गई है. इस मामले में भी संबंधित राज्यों में कुछ मतभेद हैं. पंजाब सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गई है. केंद्र सरकार को इस मामले में एक शपथ पत्र देना है. ऐसे में केंद्र किसी का फेवर नहीं करेगा, जो भी नियमों के अनुसार कार्रवाई होगी, वो ही अमल में लाई जाएगी. पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 का अध्ययन किया जाएगा. जो भी न्यायपूर्वक बात होगी, वही केंद्र का मत रहेगा".
उल्लेखनीय है कि दो सौ करोड़ रुपए की सालाना कमाई वाले शानन बिजलीघर की लीज अवधि मार्च 2024 में खत्म हो गई है. अब ये प्रोजेक्ट हिमाचल को वापिस मिलना है. कल यानी शुक्रवार को इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी है. शानन प्रोजेक्ट 110 मेगावाट का है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ये प्रोजेक्ट अस्तित्व में आया था और इसे लेकर 99 साल की लीज का समझौता हुआ था. पंजाब सरकार इस परियोजना को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती.
हिमाचल सरकार ने केंद्र से हस्तक्षेप कर शानन बिजलीघर हिमाचल को वापिस दिलाने की गुहार लगाई थी. शिमला में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के साथ मीटिंग के दौरान भी हिमाचल सरकार ने इस पर अपना पक्ष रखा था. हिमाचल का मानना है कि शानन परियोजना वाला क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है. ये परियोजना पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत नहीं आती है.
Reviewed significant Power, Housing and Urban projects alongside Chief Minister Shri @SukhuSukhvinder & PWD & Urban Development Minister @VikramadityaINC Ji.
— Manohar Lal (@mlkhattar) November 7, 2024
Our discussions focused on strengthening infrastructure and ensuring sustainable growth for all in Himachal Pradesh. pic.twitter.com/pqdQZlV64A
लिहाजा इसे हिमाचल को वापिस किया जाना चाहिए. इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने हिमाचल को आश्वस्त किया है कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट का अध्ययन कर नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी और किसी राज्य विशेष का फेवर नहीं किया जाएगा. ऊर्जा मंत्री के साथ मीटिंग में हिमाचल के शहरी विकास विभाग की परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई. साथ ही बीबीएमबी के नवंबर 1996 से 2011 अक्टूबर तक की बकाया 13066 मिलियन यूनिट बिजली के एरियर की अदायगी की मांग की गई. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय मंत्री के देश के सभी राज्यों में जाकर मीटिंग करने की पहल का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार के साथ दो घंटे की मीटिंग से राज्य का पक्ष केंद्र के सामने प्रस्तुत हुआ है.
बीबीएमबी को लेकर निकलेंगे कोई रास्ता: हिमाचल प्रदेश सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) परियोजना पर भी उपजे विवाद को केंदीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष उठाया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी तय की है. इस विषय पर पूछे गए सवाल के जवाब में खट्टर ने कहा कि बैठक में शानन प्रोजेक्ट और बीबीएमबी पर चर्चा हुई है. इसमें भी हिमाचल ने कलेम किया है कि प्रदेश को 7.19 फीसदी हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. क्योंकि ये मल्टीस्टेट अफेयर है. इसलिए आपस में बैठकर कुछ विषय आगे बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इस बारे में पंजाब से भी बात करके आपस में बैठकर कोई न कोई रास्ता निकालेंगे.
बता दें कि बीबीएमबी के तीन प्रोजेक्ट हिमाचल की भूमि पर बने हैं. इनमें भाखड़ा डैम पावर प्रोजेक्ट, डैहर पावर प्रोजेक्ट व पौंग डैम पावर प्रोजेक्ट शामिल हैं. वर्ष 2011 से हिमाचल को इन तीन परियोजनाओं की बिजली में बढ़ा हुआ हिस्सा मिलना शुरू हो गया है, लेकिन भाखड़ा परियोजना में 1966 से, डैहर प्रोजेक्ट में 1977 से व पौंग बांध परियोजना में 1978 से एरियर बकाया है. ये रकम 4500 करोड़ रुपए से अधिक है.
8 हजार करोड़ किए आवंटित: हिमाचल सरकार ने जाठियादेवी में एक एंटी-मैग्नेट टाउनशिप के स्वामित्व का भी अनुरोध किया है. जिस पर मनोहर खट्टर ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के तहत भारत भर में 10 एंटी-मैग्नेट टाउनशिप विकसित करने के लिए 8 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. जिनमें पहाड़ी राज्यों में दो शामिल हैं. टाउनशिप के लिए हिमाचल प्रदेश के प्रस्ताव का प्राथमिकता के साथ मूल्यांकन किया जाएगा. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने 2030 तक सौर परियोजनाओं सहित 5,000 गीगा वाट अक्षय ऊर्जा विकसित करने के अपने लक्ष्य के साथ तालमेल बिठाते हुए हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए समर्थन का आश्वासन दिया. राज्य और केंद्र सरकारों ने शहरी विकास के लिए हिमाचल प्रदेश की प्राथमिकताओं और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चल रही परियोजनाओं पर चर्चा की.
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