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उदयपुर लोकसभा सीट : दो पूर्व अधिकारियों के बीच मुकाबला, क्या बाप बिगाड़ेगी खेल?

Loksabha Election 2024, उदयपुर लोकसभा सीट पर अगर बाप पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारा तो यहां त्रिकोणीय समीकरण बन सकते हैं. माना जा रहा है कि डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा सीट की तरह उदयपुर में भी बाप अपना प्रत्यक्ष उतार सकती है. ऐसे में कांग्रेस और भाजपा को कड़ी चुनौती मिलेगी.

Loksabha Election 2024
उदयपुर लोकसभा सीट पर दो पूर्व अधिकारियों के बीच मुकाबला
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 13, 2024, 2:18 PM IST

उदयपुर. दक्षिणी राजस्थान की उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां कांग्रेस और भाजपा ने दो पूर्व अधिकारियों को मैदान में उतारा है. जहां एक और कांग्रेस ने उदयपुर में पूर्व कलेक्टर रहे ताराचंद मीणा को टिकट दी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने पूर्व परिवहन आयुक्त रहे मन्नालाल रावत को मैदान में उतारा है. फिलहाल भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है, लेकिन इन सब के बीच बाप पार्टी की एंट्री हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला त्रिकोणीय और रोचक हो सकता है, क्योंकि डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा सीट की तरह उदयपुर में भी बाप अपना प्रत्याशी उतार सकती है.

उदयपुर में दो अधिकारियों के बीच दंगल : दो बार से लगातार भाजपा उदयपुर लोकसभा सीट से जीतती आ रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने एक पूर्व आईएएस अधिकारी को टिकट देकर माहौल बदलने की कोशिश की है. राजस्थान में विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो 200 में से 25 सीट ST वर्ग के लिए आरक्षित है, जिसमें अकेले उदयपुर डिवीजन 16 सीट ST आरक्षित है, इसी तरह से लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 3 सीट ST के लिए आरक्षित है, जिसमें से 2 सीट अकेले उदयपुर डिवीजन में है. यानी प्रदेश में उदयपुर डिवीजन आदिवासियों के लिहाज से बड़ा वोट बैंक माना जा सकता है. इसमें भी उदयपुर और डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट खास महत्व रखती है, जो ST वर्ग के लिए आरक्षित भी है. दोनों लोकसभा की सीटों के आंकड़े को देखें तो 16 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 7, कांग्रेस के पास 6 जबकि पहली बार चुनाव में उतरी BAP यानी भारतीय आदिवासी पार्टी के पास तीन सीट गई है. मूलत: आदिवासी समाज के दम पर विधानसभा चुनाव में BAP न केवल 3 सीटों जीत दर्ज की बल्कि सभी 16 सीटों पर वोट का बड़ा मार्जन भी हासिल किया है.

इसे भी पढ़ें : टिकट मिलने पर अशोक गहलोत से मिलने पहुंचे करण सिंह और ताराचंद मीणा, उचियारड़ा बोले- गजेंद्र सिंह की कार्यशैली सामने आई

कौन है ताराचंद मीणा : कांग्रेस ने अपनी सूची में उदयपुर (एसटी) सीट से ताराचंद मीणा को उम्मीदवार बनाया है. 60 वर्षीय ताराचंद मीणा उदयपुर में करीब 19 महीने तक जिला कलेक्टर रह चुके हैं. जिला कलेक्टर रहने के दौरान उन्होंने जनजाति बाहुल्य के कोटड़ा को लेकर मिशन कोटड़ा पर अच्छा काम करने की कोशिश की थी. इसके तहत जनजाति वर्ग के अधिकतम लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा दिलाने के साथ ही उन्हें साधने की कोशिश की थी. ताराचंद मीणा को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है. मीणा के उदयपुर जिला कलेक्टर के कार्यकाल के दौरान ही कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था. तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि मीणा जल्द ही कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी मीणा का झाडोल से कांग्रेस के प्रबल दावेदारों के रूप में नाम सामने आया था. ताराचंद मीणा पिछले तीन महीनों से APO चल रहे थे. इससे पहले उदयपुर में ही जनजाति विभाग के आयुक्त भी रह चुके हैं. मूल रूप से पाली के रहने वाले ताराचंद मीणा पिछले 5 सालों से उदयपुर संभाग में अलग-अलग पदों पर रहे हैं.

भाजपा ने इस अधिकारी पर लगाया दांव : उदयपुर से इस बार अर्जुन मीणा का पत्ता कट गया है. वहीं मन्नालाल रावत को भाजपा ने इस बार चुनावी मैदान में उतारा गया है. मन्नालाल रावत की उम्र 53 साल है और पिछले कई वर्षों से संघ से जुड़े हैं. उन्हें संघ के कार्यक्रमों के दौरान बौद्धिक भाषण के लिए बुलाया जाता रहा है. वे लगातार आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन और BTP, BAP के कई मुद्दों पर सोशल मीडिया पर लोगों से भिड़ते नजर आ चुके हैं. आदिवासी युवाओं को संघ से जोड़ने के लिए कई स्कूलों में अपने तेजस्वी भाषणों के लिए इन्हें विशेष रूप से पहचाना जाता है. हाल ही में रावत फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को उदयपुर जिले के खेरवाड़ा में वनवासी कल्याण परिषद के द्वारा संचालित एक हॉस्टल में ले गए थे. वहां अक्षय कुमार ने एक करोड़ रुपए देने की घोषणा भी की थी. रावत को संघ का पूरा समर्थन है. ऐसे में उन्हें टिकट मिलने के पीछे संघ की रणनीति ही काम आई है. मन्नालाल वर्तमान में राजस्थान में परिवहन विभाग में एडिशनल कमिश्नर है. वे लंबे समय तक उदयपुर में आरटीओ अधिकारी रह चुके हैं.

उदयपुर. दक्षिणी राजस्थान की उदयपुर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां कांग्रेस और भाजपा ने दो पूर्व अधिकारियों को मैदान में उतारा है. जहां एक और कांग्रेस ने उदयपुर में पूर्व कलेक्टर रहे ताराचंद मीणा को टिकट दी है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने पूर्व परिवहन आयुक्त रहे मन्नालाल रावत को मैदान में उतारा है. फिलहाल भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने नजर आ रही है, लेकिन इन सब के बीच बाप पार्टी की एंट्री हो सकती है. अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला त्रिकोणीय और रोचक हो सकता है, क्योंकि डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा सीट की तरह उदयपुर में भी बाप अपना प्रत्याशी उतार सकती है.

उदयपुर में दो अधिकारियों के बीच दंगल : दो बार से लगातार भाजपा उदयपुर लोकसभा सीट से जीतती आ रही है, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने एक पूर्व आईएएस अधिकारी को टिकट देकर माहौल बदलने की कोशिश की है. राजस्थान में विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो 200 में से 25 सीट ST वर्ग के लिए आरक्षित है, जिसमें अकेले उदयपुर डिवीजन 16 सीट ST आरक्षित है, इसी तरह से लोकसभा सीटों के लिहाज से देखें तो प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 3 सीट ST के लिए आरक्षित है, जिसमें से 2 सीट अकेले उदयपुर डिवीजन में है. यानी प्रदेश में उदयपुर डिवीजन आदिवासियों के लिहाज से बड़ा वोट बैंक माना जा सकता है. इसमें भी उदयपुर और डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट खास महत्व रखती है, जो ST वर्ग के लिए आरक्षित भी है. दोनों लोकसभा की सीटों के आंकड़े को देखें तो 16 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 7, कांग्रेस के पास 6 जबकि पहली बार चुनाव में उतरी BAP यानी भारतीय आदिवासी पार्टी के पास तीन सीट गई है. मूलत: आदिवासी समाज के दम पर विधानसभा चुनाव में BAP न केवल 3 सीटों जीत दर्ज की बल्कि सभी 16 सीटों पर वोट का बड़ा मार्जन भी हासिल किया है.

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कौन है ताराचंद मीणा : कांग्रेस ने अपनी सूची में उदयपुर (एसटी) सीट से ताराचंद मीणा को उम्मीदवार बनाया है. 60 वर्षीय ताराचंद मीणा उदयपुर में करीब 19 महीने तक जिला कलेक्टर रह चुके हैं. जिला कलेक्टर रहने के दौरान उन्होंने जनजाति बाहुल्य के कोटड़ा को लेकर मिशन कोटड़ा पर अच्छा काम करने की कोशिश की थी. इसके तहत जनजाति वर्ग के अधिकतम लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा दिलाने के साथ ही उन्हें साधने की कोशिश की थी. ताराचंद मीणा को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है. मीणा के उदयपुर जिला कलेक्टर के कार्यकाल के दौरान ही कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ था. तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि मीणा जल्द ही कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भी मीणा का झाडोल से कांग्रेस के प्रबल दावेदारों के रूप में नाम सामने आया था. ताराचंद मीणा पिछले तीन महीनों से APO चल रहे थे. इससे पहले उदयपुर में ही जनजाति विभाग के आयुक्त भी रह चुके हैं. मूल रूप से पाली के रहने वाले ताराचंद मीणा पिछले 5 सालों से उदयपुर संभाग में अलग-अलग पदों पर रहे हैं.

भाजपा ने इस अधिकारी पर लगाया दांव : उदयपुर से इस बार अर्जुन मीणा का पत्ता कट गया है. वहीं मन्नालाल रावत को भाजपा ने इस बार चुनावी मैदान में उतारा गया है. मन्नालाल रावत की उम्र 53 साल है और पिछले कई वर्षों से संघ से जुड़े हैं. उन्हें संघ के कार्यक्रमों के दौरान बौद्धिक भाषण के लिए बुलाया जाता रहा है. वे लगातार आदिवासी इलाकों में धर्म परिवर्तन और BTP, BAP के कई मुद्दों पर सोशल मीडिया पर लोगों से भिड़ते नजर आ चुके हैं. आदिवासी युवाओं को संघ से जोड़ने के लिए कई स्कूलों में अपने तेजस्वी भाषणों के लिए इन्हें विशेष रूप से पहचाना जाता है. हाल ही में रावत फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को उदयपुर जिले के खेरवाड़ा में वनवासी कल्याण परिषद के द्वारा संचालित एक हॉस्टल में ले गए थे. वहां अक्षय कुमार ने एक करोड़ रुपए देने की घोषणा भी की थी. रावत को संघ का पूरा समर्थन है. ऐसे में उन्हें टिकट मिलने के पीछे संघ की रणनीति ही काम आई है. मन्नालाल वर्तमान में राजस्थान में परिवहन विभाग में एडिशनल कमिश्नर है. वे लंबे समय तक उदयपुर में आरटीओ अधिकारी रह चुके हैं.

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