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सुखविंदर सरकार को 200 करोड़ सालाना कमाई की आस, अंग्रेजी हुकूमत के दौर का मामला, सुप्रीम कोर्ट में उम्मीदों के सोमवार का इंतजार - SC Hearing on Shanan Power Project

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Himachal Shanan Power Project: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर सुनवाई है. हिमाचल सरकार ने शानन पावर प्रोजेक्ट को पंजाब से वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. जिस पर कल सुनवाई होगी. इसके अलावा जेएसडब्ल्यू पावर प्रोजेक्ट पर भी कल ही सुनवाई लिस्टेड है.

Himachal Shanan Power Project
शानन पावर प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (ETV Bharat)

शिमला: कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश के खजाने की सेहत सुधारने के लिए सुखविंदर सिंह सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. सालाना 200 करोड़ रुपए कमा कर देने वाले शानन पावर प्रोजेक्ट को पंजाब से वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. सोमवार 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी. अंग्रेजी हुकूमत के समय के इस पावर प्रोजेक्ट पर हिमाचल का हक है. तय समझौते में 99 साल की लीज अवधि इस साल मार्च में पूरी हो चुकी है, लेकिन पंजाब इस कमाऊ पूत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. अब फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा. राज्य सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से तैयार किया हुआ है. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने कपिल सिब्बल व मुकुल रोहतगी आदि के रूप में अपना पक्ष रखने के लिए नामी वकील नियुक्त किए हैं.

जेएसडब्ल्यू केस पर भी सोमवार को सुनवाई

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज अवधि खत्म होने पर उसे हिमाचल को वापस करने से जुड़े मामले की सुनवाई होगी. इसके अलावा एक अन्य केस में भी हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. यदि जेएसडब्ल्यू (जिंदल स्टील वर्क्स) पावर परियोजना में रॉयल्टी की बढ़ोतरी वाला केस भी हिमाचल के हक में आता है तो उससे भी करीब 185 से 200 करोड़ रुपए सालाना की आय होगी. ये केस भी सोमवार को ही लिस्टेड है. जेएसडब्ल्यू किन्नौर में पावर प्रोजेक्ट संचालित कर रहा है और राज्य सरकार ने इसमें हिमाचल की 12 फीसदी रॉयल्टी को बढ़ाकर 18 फीसदी किया है. मामला हाईकोर्ट में चला था, लेकिन यहां राज्य सरकार हार गई है. अब सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने याचिका दाखिल की है.

Himachal Shanan Power Project
शानन पावर प्रोजेक्ट (ETV Bharat)

खजाने की कमजोर सेहत से चिंता में सरकार

आर्थिक संकट में घिरी हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार एक-एक पैसे के जुगाड़ के लिए जी-जान से जुटी है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया है कि 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. सरकार ने खजाने की मंद सेहत को सुधारने और उसे सेहतमंद बनाने के लिए कई नए फैसले लिए हैं. ग्रामीण इलाकों में मुफ्त पानी की सुविधा बंद की गई है. बिजली पर चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी खत्म की जा रही है. पहले बड़े उद्योगों की एक रुपए सब्सिडी खत्म कर 600 करोड़ रुपए सालाना का जुगाड़ किया गया और अब पानी के कनेक्शन सशुल्क कर दिए गए हैं. पहली अक्टूबर से ग्रामीण इलाकों में पानी के प्रति कनेक्शन पर सौ रुपए मासिक देने होंगे. इसके अलावा तीन सौ यूनिट से अधिक बिजली की खपत पर भी सब्सिडी खत्म की गई है. इन फैसलों के साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हक की लड़ाई के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.

पड़ोसी राज्यों ने मारी है हिमाचल के हक पर कुंडली

शानन प्रोजेक्ट आजादी से पहले का है. मंडी जिले के जोगिंदर नगर में स्थित इस प्रोजेक्ट पर पंजाब सरकार का कब्जा है. ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जमीन उपलब्ध करवाई थी. उस दौरान जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार लीज अवधि 99 साल रखी गई थी. यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था. भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था. वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था. उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन पावर हाउस पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा. पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था.

उल्लेखनीय है कि मंडी में जोगिंदर नगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन पावर हाउस वर्ष 1932 में केवल 48 मेगावाट क्षमता का था. बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया. बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया. अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट अतिरिक्त बढ़ाई गई है और ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है. राज्य सरकार में सीएम के ऊर्जा सलाहकार रामसुभग सिंह इन मामलों को देख रहे हैं और दिल्ली में डटे हुए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद निजी तौर पर केस की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में ₹1500 पेंशन के लिए ये महिलाएं न करें आवेदन, अब तक इतनी हजार महिलाओं के रद्द हो चुके हैं फॉर्म

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सरकार के सामने वेतन-पेंशन का संकट, अगले साल 3257 करोड़ रुपए के तौर पर ऊंट के मुंह में जीरे समान रह जाएगी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट

ये भी पढ़ें: "हिमाचल पर नहीं हैं कोई आर्थिक संकट, यदि ऐसा होता तो लागू नहीं होती OPS और महिलाओं के लिए ₹1500 पेंशन"

शिमला: कर्ज में डूबे हिमाचल प्रदेश के खजाने की सेहत सुधारने के लिए सुखविंदर सिंह सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं. सालाना 200 करोड़ रुपए कमा कर देने वाले शानन पावर प्रोजेक्ट को पंजाब से वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है. सोमवार 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी. अंग्रेजी हुकूमत के समय के इस पावर प्रोजेक्ट पर हिमाचल का हक है. तय समझौते में 99 साल की लीज अवधि इस साल मार्च में पूरी हो चुकी है, लेकिन पंजाब इस कमाऊ पूत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. अब फैसला सुप्रीम कोर्ट में होगा. राज्य सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से तैयार किया हुआ है. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने कपिल सिब्बल व मुकुल रोहतगी आदि के रूप में अपना पक्ष रखने के लिए नामी वकील नियुक्त किए हैं.

जेएसडब्ल्यू केस पर भी सोमवार को सुनवाई

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में शानन पावर प्रोजेक्ट की लीज अवधि खत्म होने पर उसे हिमाचल को वापस करने से जुड़े मामले की सुनवाई होगी. इसके अलावा एक अन्य केस में भी हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. यदि जेएसडब्ल्यू (जिंदल स्टील वर्क्स) पावर परियोजना में रॉयल्टी की बढ़ोतरी वाला केस भी हिमाचल के हक में आता है तो उससे भी करीब 185 से 200 करोड़ रुपए सालाना की आय होगी. ये केस भी सोमवार को ही लिस्टेड है. जेएसडब्ल्यू किन्नौर में पावर प्रोजेक्ट संचालित कर रहा है और राज्य सरकार ने इसमें हिमाचल की 12 फीसदी रॉयल्टी को बढ़ाकर 18 फीसदी किया है. मामला हाईकोर्ट में चला था, लेकिन यहां राज्य सरकार हार गई है. अब सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने याचिका दाखिल की है.

Himachal Shanan Power Project
शानन पावर प्रोजेक्ट (ETV Bharat)

खजाने की कमजोर सेहत से चिंता में सरकार

आर्थिक संकट में घिरी हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार एक-एक पैसे के जुगाड़ के लिए जी-जान से जुटी है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया है कि 2027 तक हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. सरकार ने खजाने की मंद सेहत को सुधारने और उसे सेहतमंद बनाने के लिए कई नए फैसले लिए हैं. ग्रामीण इलाकों में मुफ्त पानी की सुविधा बंद की गई है. बिजली पर चरणबद्ध तरीके से सब्सिडी खत्म की जा रही है. पहले बड़े उद्योगों की एक रुपए सब्सिडी खत्म कर 600 करोड़ रुपए सालाना का जुगाड़ किया गया और अब पानी के कनेक्शन सशुल्क कर दिए गए हैं. पहली अक्टूबर से ग्रामीण इलाकों में पानी के प्रति कनेक्शन पर सौ रुपए मासिक देने होंगे. इसके अलावा तीन सौ यूनिट से अधिक बिजली की खपत पर भी सब्सिडी खत्म की गई है. इन फैसलों के साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हक की लड़ाई के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.

पड़ोसी राज्यों ने मारी है हिमाचल के हक पर कुंडली

शानन प्रोजेक्ट आजादी से पहले का है. मंडी जिले के जोगिंदर नगर में स्थित इस प्रोजेक्ट पर पंजाब सरकार का कब्जा है. ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जमीन उपलब्ध करवाई थी. उस दौरान जो समझौता हुआ था, उसके अनुसार लीज अवधि 99 साल रखी गई थी. यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था. भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था. वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था. उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन पावर हाउस पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा. पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था.

उल्लेखनीय है कि मंडी में जोगिंदर नगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन पावर हाउस वर्ष 1932 में केवल 48 मेगावाट क्षमता का था. बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया. बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया. अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट अतिरिक्त बढ़ाई गई है और ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है. राज्य सरकार में सीएम के ऊर्जा सलाहकार रामसुभग सिंह इन मामलों को देख रहे हैं और दिल्ली में डटे हुए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद निजी तौर पर केस की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.

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