शहडोल: सोयाबीन खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है. मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में बड़े रकबे में सोयाबीन की खेती की जाती है. शहडोल जिले में भी धान के बाद सबसे ज्यादा बड़े रकबे में सोयाबीन की फसल लगाई जाती है. सोयाबीन के इसी फसल के दम पर आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले के कई किसानों ने आर्थिक समृद्धता भी हासिल की है. सोयाबीन की फसल अगर आप MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर बेचना चाहते हैं और किसी तरह की परेशानी में नहीं फंसना चाहते हैं, तो आपको सोयाबीन की फसल उपार्जन केंद्रों में बेचने जाने से पहले अपनी फसल को लेकर कई चीजों का ध्यान देना होगा.
कब तक चलेगी खरीदी?
कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि, ''सोयाबीन की खरीदी 25 अक्टूबर 2024 से चल रही है, जो की 31 दिसंबर 2024 तक किया जाना है. अभी सोयाबीन की खरीदी लगातार चलती रहेगी. सोयाबीन की खरीदी सप्ताह में सोमवार से लेकर शुक्रवार तक सुबह 8:00 बजे से शाम को 8:00 तक उपार्जन केंद्रों पर की जाती है. जिन किसानों ने अब तक अपने सोयाबीन को उपार्जन केंद्रों में नहीं बेचा है और एमएसपी पर अपनी सोयाबीन की फसल को बेचना चाहते हैं तो अभी दिसंबर तक का समय है. किसान समय से जाकर अपनी फसल को उपार्जन केंद्रों में बेच सकते हैं.''
कितने MSP पर बिक रहा सोयाबीन
मौजूदा साल में सोयाबीन में एमएसपी के दाम बढ़ाने के लिए किसानों ने लगातार मांग की और इसके लिए हड़ताल करते हुए ज्ञापन दिया. अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की. मौजूदा साल में किसानों से जो सोयाबीन उपार्जन केंद्रों में लिए जा रहे हैं, वो 4,892 रुपए प्रति क्विंटल MSP दर के हिसाब से खरीदे जा रहे हैं.
फसल बेचने से पहले कर लें ये काम
शहडोल कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी झारिया बताते हैं कि, ''जब भी किसान अपनी सोयाबीन की फसल को उपार्जन केंद्रों पर बेचने जाएं तो फसल को लेकर देख लें कि बेचने वाला सोयाबीन साफ हो, उपार्जन केंद्र में ले जाने से पहले सोयाबीन से कचरा साफ करके लाना चाहिए. फसल से कचरे की बिनाई कर लें फसल को छान लें, जिससे फसल की शुद्धता बनी रहे.'' पैरामीटर के मुताबिक, विजातीय तत्व 2%, नमी 12%, क्षतिग्रस्त या घुने हुए दाने हैं तो 3%, सिकुड़े हुए या बदरंग दाने हैं तो 5%, जो विजातीय टूटे हुए दाने जिसमें दरार आ जाती है, वो 15 प्रतिशत तक अनुमति के योग्य हैं.
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ऐसे में MSP से धोना पड़ सकता है हाथ
अगर बताए हुए तय मानकों के आधार पर आपकी फसल उपार्जन केंद्रों में नहीं पाई जाती है, तो आपको फिर से फसल को शुद्ध करने छंटाई बिनाई करने और उसे तय मानकों पर लाने को कहा जाएगा, उसके बाद ही आपकी फसल खरीदी जाएगी. अगर आप इन तय मानकों के आधार पर अपनी फसल को उपार्जन केंद्रों पर नहीं ले जाते हैं तो आपको MSP से भी हाथ धोना पड़ सकता है. क्योंकि फिर MSP दर पर आपकी फसल उपार्जन केंद्रों में नहीं खरीदी जाएगी. ऐसे में अगर आप अपनी फसलों को उपार्जन केंद्रों में बेचना चाहते हैं, तो सरकार ने जो सोयाबीन की फसल के लिए मानक तय किए हैं, उन मानकों का विशेष ख्याल रखें. जिससे आप भी अनावश्यक परेशान नहीं होंगे, और वहां से बैरंग भी नहीं लौटना पड़ेगा.