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दुनियाभर में प्रसिद्ध है सीतामढ़ी का हलेश्वर स्थान, लेकिन सरकार और प्रशासन की अनदेखी से हो रहा उपेक्षा का शिकार - baba haleshwar nath mandir - BABA HALESHWAR NATH MANDIR

Baba Haleshwar Sthan: त्रेता युग में बने सीतामढ़ी के हलेश्वर स्थान की पौराणिक मान्यता है. यहां दूर-दराज से लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं लेकिन यह मंदिर उपेक्षा का शिकार हो रहा है. लोगों ने हलेश्वर महाकालेश्वर महादेव मंदिर का जिर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कराने की मांग की है.

बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर
बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 8, 2024, 1:32 PM IST

देखें वीडियो (ETV Bharat)

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर उत्तर फतेहपुर गिरमिशानी गांव में स्थित भगवान शिव का दक्षिण के रामेश्वर से भी प्राचीन व दुर्लभ शिवलिंग है, जिसकी स्थापना मिथिला नरेश राजा जनक द्वारा की गई थी. इस मंदिर की देश-विदेश में पौराणिक मान्यता है, लेकिन आज यह मंदिर सरकार व प्रशासन की अनदेखी के कारण उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

हलेश्वर महादेव उपेक्षा का शिकार: हलेश्वर महादेव में हजारों की संख्या में दर्शन के लिए पर्यटक आते हैं, लेकिन अभी हलेश्वर महादेव को जो स्थान मिलना चाहिए, वह अभी तक नहीं मिला है. हालांकि तत्कालीन डीएम अरुण भूषण प्रसाद ने जब हलेश्वर महादेव पर जल चढ़ाया था और उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई थी, तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था.

राजा जनक ने मंदिर की स्थापना की थी
राजा जनक ने मंदिर की स्थापना की थी (ETV Bharat)

भक्तों के लिए मंदिर में सुविधाओं का अभाव: यहां के स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है. उनका कहना है कि 'हजारों की संख्या में पर्यटक महादेव के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी महादेव पूर्ण करते हैं, लेकिन यहां दर्शनार्थियों के लिए सुविधाओं का घोर अभाव है. कोई भी संबंधित पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते हैं.'

सीतामढ़ी का हलेश्वर स्थान
सीतामढ़ी का हलेश्वर स्थान (ETV Bharat)

क्या है हलेश्वर नाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता ?: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 12 वर्षों तक पूरे मिथिला में अकाल पड़ा था, पानी के लिए लोगों में त्राहिमाम मच गया था तब राजा जनक के राज्य जनकपुर में ऋषि मुनियों के कहने पर अकाल से मुक्ति के लिए हलेश्वरी यज्ञ की थी. यज्ञ शुरू करने से पूर्व राजा जनक जनकपुर से गिरमिशानी गांव पहुंचे और यहां अद्भुत शिवलिंग की स्थापना की. राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके बाद माता सीता का जन्म हुआ और खूब बारिश हुई.

हलेश्वर स्थान मंदिर में पूरी होती है मुरादें
हलेश्वर स्थान मंदिर में पूरी होती है मुरादें (ETV Bharat)

"राजा जनक ने इसी स्थान से हल चलाना शुरु किया और 7 किलोमीटर की दूरी तय कर सीतामढ़ी पुनौरा गांव पहुंचे, जहां हल के सिरे से मां जानकी धरती से प्रकट हुई थी. इसके साथ ही घनघोर बारिश होने लगी और इलाके से अकाल समाप्त हुआ था और खूब बारिश हुई."- पुजारी

हलेश्वर स्थान में पूरी होती है मुरादें: लोगों का कहना है कि बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर जिले में आस्था का केंद्र है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोई सच्चे मन से बाबा हलेश्वर नाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. हजारों की संख्या में पर्यटक जब पुनौरा धाम माता सीता के दर्शन के लिए आते हैं, तो पुनौरा धाम से हलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हलेश्वर स्थान जरूर आते हैं.

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लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शिवालयों में किया जलाभिषेक, बोल बम के नारों से गूंजा शिवालय

जानें क्यों दुनियाभर में मशहूर है सीतामढ़ी का पौराणिक हलेश्वर स्थान मंदिर

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सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर उत्तर फतेहपुर गिरमिशानी गांव में स्थित भगवान शिव का दक्षिण के रामेश्वर से भी प्राचीन व दुर्लभ शिवलिंग है, जिसकी स्थापना मिथिला नरेश राजा जनक द्वारा की गई थी. इस मंदिर की देश-विदेश में पौराणिक मान्यता है, लेकिन आज यह मंदिर सरकार व प्रशासन की अनदेखी के कारण उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

हलेश्वर महादेव उपेक्षा का शिकार: हलेश्वर महादेव में हजारों की संख्या में दर्शन के लिए पर्यटक आते हैं, लेकिन अभी हलेश्वर महादेव को जो स्थान मिलना चाहिए, वह अभी तक नहीं मिला है. हालांकि तत्कालीन डीएम अरुण भूषण प्रसाद ने जब हलेश्वर महादेव पर जल चढ़ाया था और उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई थी, तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था.

राजा जनक ने मंदिर की स्थापना की थी
राजा जनक ने मंदिर की स्थापना की थी (ETV Bharat)

भक्तों के लिए मंदिर में सुविधाओं का अभाव: यहां के स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है. उनका कहना है कि 'हजारों की संख्या में पर्यटक महादेव के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी मनोकामनाएं भी महादेव पूर्ण करते हैं, लेकिन यहां दर्शनार्थियों के लिए सुविधाओं का घोर अभाव है. कोई भी संबंधित पदाधिकारी या जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते हैं.'

सीतामढ़ी का हलेश्वर स्थान
सीतामढ़ी का हलेश्वर स्थान (ETV Bharat)

क्या है हलेश्वर नाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता ?: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 12 वर्षों तक पूरे मिथिला में अकाल पड़ा था, पानी के लिए लोगों में त्राहिमाम मच गया था तब राजा जनक के राज्य जनकपुर में ऋषि मुनियों के कहने पर अकाल से मुक्ति के लिए हलेश्वरी यज्ञ की थी. यज्ञ शुरू करने से पूर्व राजा जनक जनकपुर से गिरमिशानी गांव पहुंचे और यहां अद्भुत शिवलिंग की स्थापना की. राजा जनक की पूजा से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया, जिसके बाद माता सीता का जन्म हुआ और खूब बारिश हुई.

हलेश्वर स्थान मंदिर में पूरी होती है मुरादें
हलेश्वर स्थान मंदिर में पूरी होती है मुरादें (ETV Bharat)

"राजा जनक ने इसी स्थान से हल चलाना शुरु किया और 7 किलोमीटर की दूरी तय कर सीतामढ़ी पुनौरा गांव पहुंचे, जहां हल के सिरे से मां जानकी धरती से प्रकट हुई थी. इसके साथ ही घनघोर बारिश होने लगी और इलाके से अकाल समाप्त हुआ था और खूब बारिश हुई."- पुजारी

हलेश्वर स्थान में पूरी होती है मुरादें: लोगों का कहना है कि बाबा हलेश्वर नाथ मंदिर जिले में आस्था का केंद्र है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोई सच्चे मन से बाबा हलेश्वर नाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाता है, तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. हजारों की संख्या में पर्यटक जब पुनौरा धाम माता सीता के दर्शन के लिए आते हैं, तो पुनौरा धाम से हलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए हलेश्वर स्थान जरूर आते हैं.

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