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200 करोड़ की कमाई वाले शानन प्रोजेक्ट के हक की लड़ाई में हिमाचल को पहली सफलता, SC ने पंजाब सरकार से 8 नवंबर तक मांगा जवाब - Shanan project hearing in SC - SHANAN PROJECT HEARING IN SC

Shannan Project case in SC: मंडी जिला के जोगिंद्र नगर में स्थापित शानन पावर हाउस के स्वामित्व को लेकर पंजाब के साथ कानूनी लड़ाई में हिमाचल को पहली सफलता मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 8 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. डिटेल में पढ़ें खबर...

Shanan project hearing in SC
शानन प्रोजेक्ट के हक की लड़ाई (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 23, 2024, 9:20 PM IST

शिमला: आर्थिक संकट में डूबे हिमाचल के लिए 200 करोड़ रुपये सालाना कमाई की आस जगी है. अंग्रेज हुकूमत के दौर में मंडी जिला के जोगिंद्र नगर में स्थापित शानन पावर हाउस के स्वामित्व को लेकर पंजाब के साथ कानूनी लड़ाई में हिमाचल को पहली सफलता मिली है.

हिमाचल सरकार के आवेदन पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 8 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. इस प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज अवधि मार्च 2024 में पूरी हो चुकी है. ऐसे में लीज समझौते के अनुसार ये परियोजना हिमाचल को वापस मिलनी चाहिए.

वहीं, पंजाब सरकार इस परियोजना को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती. यही कारण है कि पंजाब सरकार ने परियोजना को अपने ही स्वामित्व में रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

उस याचिका की मैंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाते हुए हिमाचल सरकार ने एक आवेदन दाखिल किया था. उसी आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अगुवाई वाली खंडपीठ ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है.

खंडपीठ ने कहा कि अदालत को पहले हिमाचल सरकार के आवेदन को सुनना होगा. अगली सुनवाई अब 8 नवंबर को तय की गई है. उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के स्वामित्व को लेकर पंजाब सरकार ने सीपीसी यानी सिविक प्रोसीजर कोड के तहत सुप्रीम कोर्ट में सूट दाखिल किया हुआ है.

क्या है हिमाचल के आवेदन में

हिमाचल सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि पंजाब सरकार की तरफ से दाखिल सूट कानूनन सही नहीं है और न ही मैंटेनेबल है. ब्रिटिशकाल में ये परियोजना जिस भूमि पर बनी है, वो हिमाचल में है. समझौता दो पार्टियों के बीच हुआ था. लीज अवधि के उस समझौते को चैलेंज नहीं किया जा सकता.

पंजाब सरकार कभी भी भूमि की लीज के समझौते की पार्टी नहीं थी. इस तरह परियोजना की भूमि के वास्तविक मालिक के खिलाफ पंजाब सरकार का ये कानूनी प्रयास सही नहीं है. हिमाचल सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया हिमाचल के आवेदन को सही माना है. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 131 के तहत यदि दो पक्षों के बीच कोई संधि हुई हो तो उसके खिलाफ कानूनन कोई भी मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलाया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि ये समझौता वर्ष 1925 में मंडी को राजा जोगिंद्र सेन व तत्कालीन ब्रिटिश हूकूमत के बीच हुआ था. अब शानन परियोजना 110 मेगावाट की है और इससे सालाना 200 करोड़ रुपये की बिजली पैदा होती है.

हिमाचल का पक्ष इस मामले में कानूनी रूप से मजबूत है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि हिमाचल सरकार अपने हक के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. इस मामले में हिमाचल ने पहले केंद्र सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह भी किया था. पंजाब सरकार भी इस परियोजना को आसानी से छोड़ना नहीं चाहती है. अब हिमाचल की नजर 8 नवंबर की सुनवाई पर होगी.

ये भी पढ़ें: ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट के नाम पर हिमाचल में हो रहा भ्रष्टाचार, पूर्व मंत्री ने सुक्खू सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

शिमला: आर्थिक संकट में डूबे हिमाचल के लिए 200 करोड़ रुपये सालाना कमाई की आस जगी है. अंग्रेज हुकूमत के दौर में मंडी जिला के जोगिंद्र नगर में स्थापित शानन पावर हाउस के स्वामित्व को लेकर पंजाब के साथ कानूनी लड़ाई में हिमाचल को पहली सफलता मिली है.

हिमाचल सरकार के आवेदन पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 8 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा है. इस प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज अवधि मार्च 2024 में पूरी हो चुकी है. ऐसे में लीज समझौते के अनुसार ये परियोजना हिमाचल को वापस मिलनी चाहिए.

वहीं, पंजाब सरकार इस परियोजना को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती. यही कारण है कि पंजाब सरकार ने परियोजना को अपने ही स्वामित्व में रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

उस याचिका की मैंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाते हुए हिमाचल सरकार ने एक आवेदन दाखिल किया था. उसी आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अगुवाई वाली खंडपीठ ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है.

खंडपीठ ने कहा कि अदालत को पहले हिमाचल सरकार के आवेदन को सुनना होगा. अगली सुनवाई अब 8 नवंबर को तय की गई है. उल्लेखनीय है कि इस परियोजना के स्वामित्व को लेकर पंजाब सरकार ने सीपीसी यानी सिविक प्रोसीजर कोड के तहत सुप्रीम कोर्ट में सूट दाखिल किया हुआ है.

क्या है हिमाचल के आवेदन में

हिमाचल सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि पंजाब सरकार की तरफ से दाखिल सूट कानूनन सही नहीं है और न ही मैंटेनेबल है. ब्रिटिशकाल में ये परियोजना जिस भूमि पर बनी है, वो हिमाचल में है. समझौता दो पार्टियों के बीच हुआ था. लीज अवधि के उस समझौते को चैलेंज नहीं किया जा सकता.

पंजाब सरकार कभी भी भूमि की लीज के समझौते की पार्टी नहीं थी. इस तरह परियोजना की भूमि के वास्तविक मालिक के खिलाफ पंजाब सरकार का ये कानूनी प्रयास सही नहीं है. हिमाचल सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया हिमाचल के आवेदन को सही माना है. उन्होंने कहा कि आर्टिकल 131 के तहत यदि दो पक्षों के बीच कोई संधि हुई हो तो उसके खिलाफ कानूनन कोई भी मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में नहीं चलाया जा सकता है.

उल्लेखनीय है कि ये समझौता वर्ष 1925 में मंडी को राजा जोगिंद्र सेन व तत्कालीन ब्रिटिश हूकूमत के बीच हुआ था. अब शानन परियोजना 110 मेगावाट की है और इससे सालाना 200 करोड़ रुपये की बिजली पैदा होती है.

हिमाचल का पक्ष इस मामले में कानूनी रूप से मजबूत है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू कह चुके हैं कि हिमाचल सरकार अपने हक के लिए हरसंभव प्रयास करेगी. इस मामले में हिमाचल ने पहले केंद्र सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह भी किया था. पंजाब सरकार भी इस परियोजना को आसानी से छोड़ना नहीं चाहती है. अब हिमाचल की नजर 8 नवंबर की सुनवाई पर होगी.

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