शहडोल: दिवाली के त्यौहार में अब गिने-चुने दिन ही बचे हैं और बाजारों में इसकी रौनक भी देखने को मिलने लगी है. बाजार में खरीदारी के लिए लोगों का हुजूम उमड़ने लगा है. घरों की साफ-सफाई का दौर भी जारी है. लेकिन दीपावली में इस बार आम लोगों की थाली में महंगाई का तड़का लगेगा, क्योंकि एक बार फिर से आलू, प्याज और लहसुन के बाद हरी सब्जियों के दाम भी बढ़ने शुरू हो चुके हैं. जिससे त्यौहार में लोगों की जेब ढीली हो सकती है.
हरी साब्जियों के बढ़ रहे दाम
हरी सब्जियों के दाम एक बार फिर से आसमान छू रहे हैं. जिससे लोगों की जेब ढीली होना लगभग तय हो गया है. त्यौहार का मौसम चल रहा है. 29 तारीख को धनतेरस है और 31 तारीख को दिवाली है. ऐसे में इस त्योहारी समय में आम लोगों को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी, क्योंकि एक बार फिर से सब्जियों के दाम बढ़ते नजर आ रहे हैं.
सब्जी व्यापारी राम प्रताप साहू बताते हैं कि "फूलगोभी जहां 80 से 100 रु. प्रति किलो के बीच बिक रहा है तो वहीं, टमाटर भी 60 रु. प्रति किलो है. बरबटी 60 रु. प्रति किलो के करीब बिक रहा है. बैगन 40 रु. किलो है. गिलकी 60 रु. किलो है. परवल 80 रु. किलो है. वहीं, धनिया 100 रु. प्रति किलो का आंकड़ा छू चुकी है. अदरक भी 80 रु. किलो है. लौकी 30 रुपए किलो, शिमला मिर्च 120 रुपए किलो और पालक 60 रु. किलो है. एक तरह से देखा जाए तो ज्यादातर सब्जियों की कीमत 50 रु. के ऊपर ही है. आने वाले समय में इसके दाम और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है."
आलू, प्याज, लहसुन पहले से रुला रहे
देखा जाए तो आलू प्याज और लहसुन पिछले कई महीने से लोगों के जेब ढीली कर रहे है. इसके दाम काफी बढ़े हुए हैं. वर्तमान में आलू जहां 35 से 40 रु. किलो की दर से बिक रहा है. इसके बाद भी अभी और इसके दाम बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं, प्याज 60 रु. प्रति किलो तक पहुंच गया है. इतना ही नहीं लहसुन 400 रु. प्रति किलो तक बिक रहा है और इसके दाम बढ़ने की अभी भी उम्मीद की जा रही है. इसका मतलब आलू, प्याज, लहसुन तीनों के सस्ता होने की कोई उम्मीद अभी नहीं है.
ये भी पढ़ें: दीपावली पर नहीं कटेगी आपके घर की बिजली, अभी से कर लें यह काम नहीं तो पछताएं प्रदोष काल की दीवाली बेस्ट या उदया काल की, जान लें लक्ष्मी पूजन का सटीक मुहूर्त |
क्यों बढ़ रहे हरी साब्जियों के दाम?
आखिर हरी सब्जियों के दाम क्यों बढ़ रहे हैं, इसको लेकर 'ईटीवी भारत' की टीम ने कुछ किसानों से बात की. जिसमें करकटी के किसान राम सजीवन बताते हैं कि "किसानों ने जो अपने खेत पर फसल लगाई थी, वो लगभग-लगभग खत्म हो चुकी है और अब ठंडी की फसल किसानों ने लगाना शुरू किया है. चूंकि ठंडी की फसल अभी लगाई जा रही है और जो पुरानी फसल लगी थी, वह लगभग आखिरी चरण में चल रही है, कई लोगों की खत्म हो चुकी है. ऐसे में यह जो गैप होता है, इस समय में सब्जियां महंगी होती ही हैं. अभी जब तक ये नई सब्जियां जो किसानों ने खेतों पर लगाई है, वो तैयार नहीं हो जाती हैं, तब तक सब्जियों के दाम थोड़े बढ़े ही रहेंगे."