समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर जिले के सरायरंजन थाना में हाल के कुछ महीनों में यह चौथा थानाध्यक्ष है, जिसे कार्रवाई का सामना करना पड़ा है. विकास कुमार आलोक, जो वर्तमान में थानाध्यक्ष थे, उन्हें एसपी अशोक मिश्रा ने निलंबित कर दिया है. यह मामला नया नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी इस थाना के कई थानाध्यक्ष निलंबित हो चुके हैं.
पहले भी हो चुका है निलंबन : बीते समय में निवर्तमान एसपी विनय तिवारी ने शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई न करने के कारण थानाध्यक्ष रामचंद्र चौपाल को निलंबित किया था. इसके बाद रविकांत को भी कुछ ही दिनों में निलंबन का सामना करना पड़ा, जब यह सामने आया कि उन्होंने थाने में निजी स्तर पर डाटा एंट्री ऑपरेटर रखा था.
निर्दोष युवक की पिटाई और सिंपी कुमारी का निलंबन : इसके बाद थानाध्यक्ष सिंपी कुमारी का भी निलंबन हुआ. उन्हें महज बीस दिनों में निलंबित किया गया, क्योंकि उनके खिलाफ आरोप थे कि उन्होंने एक निर्दोष युवक को थाने की हाजत में बंद कर बेरहमी से पीटा था. यह मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था.
आदेश का अनुपालन न करना : अब, विकास कुमार आलोक के निलंबन की वजह बनी उनकी लापरवाही. एएसपी संजय कुमार पांडे के अनुसार, पुलिस अधीक्षक ने सभी थाना अध्यक्षों को निर्देश दिया था कि किसी भी महीने में पहली संगीन वारदात के बाद थानाध्यक्ष को खुद केस का जांच अधिकारी (आईओ) बनने का आदेश होगा, ताकि मामले की त्वरित जांच हो सके. हालांकि, सरायरंजन थाना के थानाध्यक्ष ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिससे उन पर यह कार्रवाई हुई.
निलंबन से चर्चा में सरायरंजन : सरायरंजन थाना के थानाध्यक्षों के निलंबन की घटनाएँ अब पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बन गई हैं. महज कुछ महीनों के भीतर चार थानाध्यक्षों के निलंबन से इस थाने की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. अभी तक नए थानाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई है, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा हो रही है कि अधिकारी अब इस थाने में जाने से कतराने लगे हैं.
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