रायसेन: मध्य प्रदेश के आठवें टाइगर रिजर्व रातापानी टाइगर रिजर्व में रेलवे ट्रैक को क्रॉस करने के दौरान कई वन्यजीव हादसे का शिकार हो जाते हैं. जिसमें कई टाइगर और शावक भी शामिल थे. वन्यजीवों की सुरक्षा को देखते हुए अब वन विभाग और रेलवे विभाग ने मिलकर इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नया उपाय ढूंढ निकाला है. रेलवे ट्रैक के पास ओवर पास बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. जिससे कि वन्य जीवो को रेलवे ट्रैक क्रॉस करने के दौरान दुर्घटना का शिकार न होना पड़े.
रातापानी टाइगर रिजर्व में 60 से ज्यादा टाइगर
एमपी में रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसका लोकार्पण किया था. यह टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के तीन जिलों भोपाल, सीहोर और रायसेन की सीमाओं के मध्य बसा हुआ है. जिसका क्षेत्रफल 825.90 स्क्वायर किलोमीटर है. जिसमें 768 स्क्वायर किलोमीटर के कोर एरिया के साथ 507 बफर जोन शामिल है. ज्यादातर हिस्सा इसका रायसेन जिले में आता है. जहां 60 से ऊपर टाइगर उनके शावक हैं.
टाइगरों की सुरक्षा के लिए रातापानी टाइगर रिजर्व के दाहोद परिक्षेत्र में टाइगरों की मॉनिटरिंग के लिए ट्रैकिंग प्वाइंट लगाए गए हैं. जिन्हें EI कहा जाता है. जिसके माध्यम से टाइगर और वन्यजीवों की थर्मल इमेज के माध्यम से मॉनिटरिंग की जाती है. वन विभाग द्वारा टाइगरों की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए गए हैं. फिर भी आए दिन वन्यजीवों की संरक्षित प्रजाति टाइगर व अन्य वन्य जीव का शिकार हो जाता है. जिसके कारण उन्हें शारीरिक अपंगता के साथ मौत का भी सामना करना होता है.
रेलवे ट्रैक क्रास करते वक्त हादसे का शिकार होते वन्यजीव
खासकर तब जब यह वन्य जीव रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन को क्रॉस करते हैं. वन्यजीवों की हो रही दुर्घटना में मौत को देखते हुए वन विभाग और रेलवे विभाग ने इस समस्या का हल निकाला है. रायसेन जिले के रातापानी अभ्यारण्य से गुजरने वाले भोपाल-इटारसी रेलवे ट्रैक पर 6 से अधिक ओवर पास बनाये जाएंगे, यह करीब 22 किलोमीटर के ट्रैक तक बनाया जाएगा. भोपाल-इटारसी ट्रैक पर ट्रेन की गति, कचरा निपटान और बाड़ लगाने जैसे अन्य कार्य भी किए जाएंगे. यह सारा कार्य रेलवे विभाग और वन विभाग द्वारा किया जाएगा.
रेलवे ट्रैक पर बनाए जाएंगे ओवर पास
इस संबंध में जानकारी देते हुए रातापानी टाइगर रिजर्व के अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने बताया कि "पिछले दिनों 3 शावकों की रेलवे ट्रैक पर मौत हुई थी. जिसके बाद हमारे द्वारा अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई थी. घटना के बाद रेलवे विभाग के अधिकारी और हमारे विभाग के अधिकारियों की बैठक की गई थी. जिसमें निर्णय लिया गया कि रातापानी अभ्यारण्य क्षेत्र से गुजरने वाले भोपाल इटारसी रेलवे ट्रैक पर ओवर पास बनाए जाएंगे. जिससे कि वन्यजीवों को हादसे का शिकार न होना पड़े. साथ ही इस क्षेत्र में मॉनिटरिंग के लिए सेंसर और ध्वनि नियंत्रक यंत्र भी लगाए जाएंगे. यहां से गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार भी कम रहेगी और ट्रैक के आसपास प्रदूषण न हो, इसके लिए साफ सफाई का भी ध्यान रखा जाएगा."
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टाइगर रिजर्व का क्यों पड़ा रातापानी नाम
बता दें रातापानी बाघ अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में हुई थी. इसे पहले वन्यजीव संरक्षण के रूप में जाना जाता था, लेकिन बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे अभ्यारण्य का दर्ज मिला. 13 दिसंबर को इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला. इस रिजर्व का नाम रातापानी यानि की यहां की स्थानीय नदी 'राता' के नाम पर पड़ा है, जो यहां से बहती है. रातापानी टाइगर रिजर्व की सीमा राजधानी भोपाल से 15 किलोमीटर से शुरू हो जाती है. यह रायसेन और भोपाल दोनों की सीमा में पड़ता है.