पटना: बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ऑनलाइन सक्षमता परीक्षा लिए जाने का विरोध किया जा रहा है. नियोजित शिक्षक बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा चाहते हैं. बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से शुक्रवार को पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर सत्याग्रह शुरू किया गया है. काफी संख्या में विभिन्न जिलों से आए संघ से जुड़े हुए नियोजित शिक्षक मुंह पर काली पट्टी बांधकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं और एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम कर रहे हैं.
पटना में सक्षमता परीक्षा का विरोध : शिक्षक नेता मिथिलेश कुमार ने कहा कि बार-बार नियोजित शिक्षकों को परीक्षा के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है. पहले टीईटी परीक्षा लिया गया, उसके बाद सक्षमता परीक्षा लिया गया. 60 वर्ष की सेवा के लिए बहाली हुई और अब राज्य कर्मी के लिए सक्षमता परीक्षा देने की बात कही जा रही है. बार-बार शिक्षकों को परीक्षा थोप कर नियोजित शिक्षकों को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है.
'नौकरी छीनने की कोशिश': उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार शिक्षकों की छंटनी की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि 15 से 20 वर्षों से शिक्षक शैक्षिक कार्य विद्यालय में कर रहे हैं. शिक्षकों ने जब पढ़ाई की तब भी कंप्यूटर नहीं देखा और विद्यालय में पढ़ाने लगे तभी कंप्यूटर से सामना नहीं हुआ. और अब ऑनलाइन परीक्षा के नाम पर नियोजित शिक्षकों की नौकरी छीनने की कोशिश की जा रही है. संघ के नेता शिक्षा मंत्री से वार्ता के लिए गए हुए हैं और उसके बाद आगे की रणनीति बनाएंगे.
"मुजफ्फरपुर से आए हुए हैं. बार-बार परीक्षा वह क्यों दें. जगन्नाथ मिश्रा की कालखंड में शिक्षकों को बिना किसी परीक्षा दिये सरकारी कर्मी बनाया गया था. इस सरकार ने भी वादा किया था. लेकिन अब परीक्षा थोपा जा रहा है. कई शिक्षक 15 से 20 वर्षों से शैक्षणिक कार्य करते हुए एक जगह पर स्थिर हो चुके हैं. घर परिवार बसा चुके हैं और ऐसे में वह कहीं और नहीं जाना चाहते."- राजीव रंजन,शिक्षक
सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार: नियोजित शिक्षक उमेश कुमार ने बताया कि वह भोजपुर जिला से आए हुए हैं. बीते 13 फरवरी को भी शिक्षक संगठनों ने प्रदर्शन किया था. वह सभी बार-बार परीक्षा का विरोध कर रहे हैं. वह स्पष्ट करेंगे कि नियोजित शिक्षक किसी परीक्षा से नहीं डरते हैं लेकिन बार-बार गुणवत्ता जांचने के लिए सरकार जिस प्रकार से परीक्षा ले रही हैं. उस समाज में नियोजित शिक्षकों के मान सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव पर रहा है. वह बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा चाहते हैं.
सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई: नियोजित शिक्षक विपिन सिंह ने कहा कि उनकी बहाली जब 60 वर्ष के लिए हुई है तो फिर सक्षमता परीक्षा को बाध्यकारी करके नौकरी से छंटनी की कोशिश कैसे की जा रही है. यह कानून के विरोध में है. ना उन लोगों को पूर्ण कालिक वेतनमान अब तक मिला है ना ही राज्य कर्मी का दर्जा अब तक मिला है. अब सरकार के खिलाफ आर पार की लड़ाई शुरू हो गई है.
"नियोजित शिक्षक किसी परीक्षा से डरते नहीं है लेकिन सक्षमता परीक्षा का बहिष्कार किए हैं, क्योंकि बार-बार परीक्षा के नाम पर सरकार नियोजित शिक्षकों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है. सरकार के लोग समाज में यह गलत बातें फैला रहे हैं कि नियोजित शिक्षकों में गुणवत्ता नहीं है. जबकि प्रथम चरण की शिक्षक बहाली में सभी ने देखा कि नियोजित शिक्षकों ने अधिकांश सीटों पर कब्जा जमा लिया." -विपिन सिंह, नियोजित शिक्षक
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