गोपालगंजः बिहार के गोपालगंज में दो बैल अपने मालिक की गुनाहों की सजा भुगत रहे है. शराब की तस्करी करने वाले इनके मालिक तो भाग गए, लेकिन अब पुलिस इन बैलों को पकड़ कर थाने ले आयी. अब ये दोनों बैल उत्पाद विभाग की कस्टडी में अपनी आजादी का इंतजार कर रहे हैं, और पूछ रहे हैं कि हमारा क्या कसूर?.
उत्पाद विभाग की कस्टडी में कैद 'हीरा और मोती' : यह कहानी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दो बैलों की कथा' (हीरा और मोती) से मिलती जुलती है. मामला 13 फरवरी 2024 का बताया जा रहा है. गोपालगंज उत्पाद विभाग की टीम ने जादोपुर थाना क्षेत्र के पतहरा गंडक नदी के पास एक बैलगाड़ी को रोका था. गाड़ी पर 963 लीटर शराब थी. जैसे ही उत्पाद विभाग ने गाड़ी को रोका शराब तो इस दौरान तस्कर छलांग लगाकर मौके से फरार हो गए. इसके बाद उत्पाद विभाग की पुलिस ने शराब से भरी बैल गाड़ी को लेकर थाने पहुंची और तब से दोनों बैल मालखाने में बंधे हैं.
उत्पाद विभाग के मालखाने में बंधे बैलों का क्या कसूर?: उत्पाद विभाग के मालखाने में जहां दोनों बैल को रखा गया है, वहां उनके लिए चारा-पानी की भी व्यवस्था की गई थी. इसके बाद मद्य निषेध व उत्पाद विभाग की स्पेशल कोर्ट में मामला पहुंचा. जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में दोनों बैल को नीलाम करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जिम्मेनामा बनाकर किसी किसान को सौंप दिया जाए ताकि बैल की देखभाल की जा सके.
'ऐसे पशुओं को भी नीलाम किया जाय' : मामले में जिलाधिकारी को यह अधिकार दिया गया है कि प्रक्रिया पूरी कराते हुए ऐसे पशुओं को भी नीलाम किया जाए. नीलामी की प्रक्रिया पूरी होने तक ये दोनों बैल जिम्मेनामा पर किसी किसान को दिए जाएंगे या गौशाला में रखें जाएंगे. इस संदर्भ में उत्पाद विभाग के थाना प्रभारी पियूष कुमार ने बताया कि ''किसानों की तलाश की जा रही है, जिसे सौंपा जाएगा.'' उत्पाद अधीक्षक ने भी बताया कि ''जब तक बैल का देखभाल करने वाले नहीं मिल जाते तब तक मालखाना में ही रहेगा.''
मालिक की गलती की सजा भुगत रहे हैं दो बैल : इस मामले में उत्पाद विभाग के विशेष लोक अभियोजक रविभूषण श्रीवास्तव ने बताया कि ''बिहार मद्य निषेध कानून धारा-56 में ही जिक्र है कि ऐसे पशु वाहन या पशु जिनका उपयोग शराब की ढुलाई में किया जा रहा है उसे जब्त करना है.''
"पिछले दिनों 107 कार्टन शराब के साथ बैलगाड़ी बरामद किया गया था. दो बैल भी शामिल थे. उनका ईयर टैग लगाकर जिम्मेनामा बनाकर किसी किसान को दिया जाएगा ताकि वे बैलों की देखाभाल कर सके. अब ये दोनों बैल उत्पाद विभाग के मालखाना में हैं. यहां चारा पानी की व्यवस्था है." - अमृतेश झा, उत्पाद अधीक्षक
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