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जन्म देने वाली मां ने किडनी देकर बचाई जिगर के टुकड़े की जान, 35 साल के बेटे को मिला 'पुनर्जन्म' - Mother Donated Kidney In Banka

Mother Donated Kidney To Son: बांका में एक मां ने अपने बेटे को नया जीवन दिया है. एक साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे बेटे का दर्द मां को देखा नहीं गया और उसने बिना एक बार सोचे अपने बेटे को एक किडनी दे दी. आगे पढ़ें पूरी खबर.

MOTHER DONATED KIDNEY IN BANKA
बांका में किडनी ट्रांसप्लांट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 14, 2024, 11:30 AM IST

बांका: बच्चों की जिंदगी पर संकट आता है तो सबसे पहले मां आगे आकर खड़ी हो जाती है, एक मां ही है जो खुद भूखे रहकर बच्चों का पेट पालती है. ऐसा ही कुछ बांका में देखने को मिला है, जहां बाराहाट प्रखंड में एक मां ने किडनी डोनेट कर अपने जिगर के टुकड़े की जान बचा ली है. 35 वर्षीय अपने बेटे को मां ने अपनी एक किडनी डोनेट की है.

डॉक्टरों ने दी किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह: ऐहतसाम रजा की साल 2023 में अचानक तबीयत खराब हो गई. उसने अस्पताल में जांच कराया तो पता चला की किडनी खराब हो गई है. जहां डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी. काफी समय तक इलाज चला लेकिन हालात में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद बेटे की जिंदगी बचाने के लिए उसकी मां यमराज के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई. मां ने अपनी एक किडनी देकर अपने बेटे की जान बचाई, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

मां ने दिया बेटे को नया जीवन: बीते सोमवार को जीवन दान मिलने के बाद बेटे ने बताया कि उसकी किडनी खराब होने के बाद लगा कि अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाएगा. डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने को कहा था. अंत में उसकी हालत खराब होता देखकर मां ने आगे आकर एक नई जिंदगी दी. वहीं मां ने बताया कि एक मां के लिए सब कुछ उसका बच्चा ही होता है.

"मेरी किडनी खराब होने के बाद लगा कि मैं अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाऊंगा। डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने को कहा था। अंत में मेरा हालत खराब होता देखकर मेरी मां ने आगे आकर मुझे एक नई जिंदगी दी है."- ऐहतसाम रजा, बेटा

किडनी डोनेट करने के बाद मिली को खुशी: बता दें कि छोटे से गांव डफरपुर की साहनी खातून ने अपने बेटे को नया जीवन दिया. उनके दो पुत्र 35 वर्षीय ऐहतसाम रजा और 20 वर्षीय चांद हैं. पिछले साल उनके बेटे के लिए डॉक्टर ने स्थाई इलाज किडनी ट्रांसप्लांट बताया था. जिसके बाद बेटे को किडनी देकर मां बहुत खुश है और हार्डवेयर की दुकान चला रही है, दोनों मां बेटे अभी बिल्कुल स्वस्थ हैं.

"एक मां के लिए सब कुछ उसका बच्चा ही होता है. जब मेरा बेटा ही सही सलामत नहीं रहता तो मैं फिर अपने बेटे के बिना नहीं रह सकती थी."-साहनी खातून, मां

पढ़ें-सासू 'मां' हो तो ऐसी : बहू की हो गई थी किडनी फेल, गुर्दा दान कर बचाई जिंदगी - Mothers Day 2024

बांका: बच्चों की जिंदगी पर संकट आता है तो सबसे पहले मां आगे आकर खड़ी हो जाती है, एक मां ही है जो खुद भूखे रहकर बच्चों का पेट पालती है. ऐसा ही कुछ बांका में देखने को मिला है, जहां बाराहाट प्रखंड में एक मां ने किडनी डोनेट कर अपने जिगर के टुकड़े की जान बचा ली है. 35 वर्षीय अपने बेटे को मां ने अपनी एक किडनी डोनेट की है.

डॉक्टरों ने दी किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह: ऐहतसाम रजा की साल 2023 में अचानक तबीयत खराब हो गई. उसने अस्पताल में जांच कराया तो पता चला की किडनी खराब हो गई है. जहां डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी. काफी समय तक इलाज चला लेकिन हालात में सुधार नहीं हुआ. इसके बाद बेटे की जिंदगी बचाने के लिए उसकी मां यमराज के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई. मां ने अपनी एक किडनी देकर अपने बेटे की जान बचाई, जो इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है.

मां ने दिया बेटे को नया जीवन: बीते सोमवार को जीवन दान मिलने के बाद बेटे ने बताया कि उसकी किडनी खराब होने के बाद लगा कि अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाएगा. डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने को कहा था. अंत में उसकी हालत खराब होता देखकर मां ने आगे आकर एक नई जिंदगी दी. वहीं मां ने बताया कि एक मां के लिए सब कुछ उसका बच्चा ही होता है.

"मेरी किडनी खराब होने के बाद लगा कि मैं अब ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाऊंगा। डॉक्टर ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने को कहा था। अंत में मेरा हालत खराब होता देखकर मेरी मां ने आगे आकर मुझे एक नई जिंदगी दी है."- ऐहतसाम रजा, बेटा

किडनी डोनेट करने के बाद मिली को खुशी: बता दें कि छोटे से गांव डफरपुर की साहनी खातून ने अपने बेटे को नया जीवन दिया. उनके दो पुत्र 35 वर्षीय ऐहतसाम रजा और 20 वर्षीय चांद हैं. पिछले साल उनके बेटे के लिए डॉक्टर ने स्थाई इलाज किडनी ट्रांसप्लांट बताया था. जिसके बाद बेटे को किडनी देकर मां बहुत खुश है और हार्डवेयर की दुकान चला रही है, दोनों मां बेटे अभी बिल्कुल स्वस्थ हैं.

"एक मां के लिए सब कुछ उसका बच्चा ही होता है. जब मेरा बेटा ही सही सलामत नहीं रहता तो मैं फिर अपने बेटे के बिना नहीं रह सकती थी."-साहनी खातून, मां

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