ETV Bharat / state

राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने वाले ओम बिरला क्या दोबारा बन पाएंगे स्पीकर ?, तोड़ पाएंगे बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड... जानें क्या बन रहे हैं समीकरण - Who will become the speaker - WHO WILL BECOME THE SPEAKER

कोटा-बूंदी सीट से सांसद चुने गए ओम बिरला नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार में लोक सभा स्पीकर बने थे. ऐसे में क्या इस बार बिरला को दोबारा यह पद मोदी सरकार 3.0 में मिलेगा ? यह एक बड़ी चर्चा का केंद्र बना हुआ है. पढ़िए क्या बनते हैं समीकरण.

WHO WILL BECOME THE SPEAKER
क्या ओम बिरला बनेंगे स्पीकर (Etv bharat GFX Team)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 11, 2024, 11:13 AM IST

कोटा. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की 3.0 सरकार ने शपथ ले ली है. मंत्रियों को उनके विभाग भी बांट दिए गए हैं. इस सरकार में इस बार भी हाड़ौती से कोई मंत्री नहीं बना है. इस बार चर्चा का विषय यह भी है कि पांच बार के सांसद झालावाड़ के दुष्यंत सिंह का मंत्री नहीं बनना लोगों को चौंका रहा है. वहीं, दूसरी तरफ हाड़ौती से ही आने वाले कोटा-बूंदी सीट से सांसद चुने गए ओम बिरला नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार में लोक सभा स्पीकर थे. ऐसे में क्या इस बार बिरला को दोबारा यह पद मोदी सरकार 3.0 में मिलेगा ? यह सवाल गहराता जा रहा है. क्योंकि, TDP एनडीए गठबंधन की सरकार में यह पद मांग रही है. बता दें कि बिरला के लोकसभा अध्यक्ष रहते ही राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हुई थी. इसके अलावा करीब 90 सांसदों को निलंबित भी किया गया था.

इस पर ईटीवी भारत से हुई बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीतेंद्र शर्मा का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले फैसलों को लेकर जाने जाते हैं. इस बार भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को दोबारा बनाया जा सकता है, क्योंकि बिरला की राजनीतिक रूप से नजदीकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से रही है. इसी का फायदा उन्हें साल 2019 में बनी मोदी सरकार में मिला. ऐसे में इस बार भी प्रबल संभावनाएं हैं कि वो दोबारा स्पीकर बने. हाड़ौती क्षेत्र से इस बार भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, इसका भी फायदा उन्हें मिल सकता है. दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार शर्मा का यह भी मानना है कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर पीएम बनने तक के सफर में उनका यही मानना रहा है कि एक व्यक्ति को लंबे समय तक जिम्मेदारी देने से ज्यादा फायदा होता है.

मंत्रिमंडल में रिपीट किए चेहरे से बढ़ती है संभावनाएं : धीतेन्द्र शर्मा का का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2.0 सरकार की तरह ही 3.0 सरकार बनी है, इसमें अधिकांश चेहरे रिपीट किए गए हैं और उन्हीं चेहरों को पुराना दायित्व भी सौंपा गया है. जिनमें ऊपर के टॉप 4 मंत्री भी शामिल है. यहां तक की मंत्रियों के विभागों में भी ज्यादा फेरबदल नहीं किए गए हैं. राजस्थान में भी चार मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें से तीन चेहरे पुराने रिपीट किए गए हैं. वहीं बाड़मेर से चुनाव हारने वाले कैलाश चौधरी की जगह उन्हीं के समुदाय से आने वाले अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को मौका दिया गया है और कैलाश चौधरी का मंत्रालय ही उन्हें सौंपा गया है.

इसे भी पढ़ें : मोदी कैबिनेट 3.0 में हाड़ौती से किस नेता के सिर पर सजेगा ताज? सस्पेंस बरकरार - faces in Modi cabinet from Hadoti

क्या बिरला तोड़ पाएंगे बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड ? : लोकसभा स्पीकर के रूप में लगातार दो टर्म में राजस्थान के ही बलराम जाखड़ रहे हैं, वे साढ़े 9 साल से ज्यादा लोकसभा स्पीकर रहे हैं. जिनमें पहला कार्यकाल 22 जनवरी 1980 से लेकर 15 जनवरी 1985 तक था, इसके बाद वो दोबारा लोकसभा स्पीकर चुने गए और 16 जनवरी 1985 से 18 दिसंबर 1989 तक स्पीकर रहे हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश और अन्य जगहों के राज्यपाल भी वो रहे हैं. इसके पहले नीलम संजीव रेड्डी भी दो बार लोकसभा के स्पीकर रहे है, लेकिन उनके कार्यकाल में बीच में कुछ सालों का अंतर भी रहा है. उनका कार्यकाल भी महज ढाई साल के आसपास रहा है. बिरला 5 साल लोक सभा स्पीकर रह चुके हैं, अब अगर वह रिपीट करते हैं तो बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड भी तोड़ सकते हैं.

कम वोट से जीत पर क्या रहेगी संभावना ? : बिरला पिछले चुनाव में 2.79 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे, लेकिन इस चुनाव में उनका मुकाबला प्रहलाद गुंजल से था और यह काफी टक्कर का मुकाबला रहा. पुराने भाजपाई रहे गुंजल ने कांग्रेस में जाकर बिरला को जमकर टक्कर दी. मुकाबला महज 41,973 वोटों पर ही सिमट गया और बिरला जीत जरूर पाए हैं, लेकिन अंतर काफी कम हो गया है. बिरला इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं. इस पर धीतेंद्र शर्मा का कहना है कि लोगों का मानना है कि बिरला को पद नहीं मिलेगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इस बार पूरे देश में ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के जीत का अंतर कम हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी डेढ़ लाख के आसपास वोटों से ही जीते हैं. ऐसे में यहां पर वह संभावना भी खत्म हो जाती है.

इसे भी पढ़ें : कोटा-बूंदी सीट पर लगी डबल हैट्रिक, ओम बिरला ने जीत तो गुंजल ने लगाई हार की हैट्रिक - Kota Bundi Lok Sabha Result 2024

कार्यकाल की मोदी ने की थी तारीफ : सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद बिरला ने 19 जून 2019 को संवैधानिक पद का कार्यभार संभाला था. बिरला के कार्यकाल की प्रधानमंत्री मोदी ने भी तारीफ की थी. उनके कार्यकाल में ज्यादा बिल पास हुए हैं, साथ ही लोकसभा में काम भी ज्यादा हुआ है और उत्पादकता बढ़ी है. हालांकि डिबेट के दौरान सिटिंग कम हुई है.

चुनाव जीतकर बनाया रिकॉर्ड : लोकसभा स्पीकर बिरला ने दोबारा चुनाव जीत कर एक रिकॉर्ड तो बना ही लिया है. साल 1999 के बाद कोई भी लोकसभा स्पीकर चुनाव नहीं जीत पाया या फिर उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने स्पीकर बिरला को वापस कोटा-बूंदी सीट से चुनावी मैदान में उतारा. यहां तक चुनाव जीतकर उन्होंने इस रिकार्ड को भी ध्वस्त किया है. इसके साथ ही यह भ्रांति भी खत्म हुई है कि लोकसभा स्पीकर अगला चुनाव नहीं जीतते हैं. हालांकि इसके पहले पीए संगमा 1996 से 1998 के बीच लोकसभा स्पीकर रहे और 1998 मेघालय के तुरा सीट से सांसद चुने गए थे.

विवादों में भी रहे ओम बिरला : अपने कार्यकाल में बिरला ने एक ही दिन में विपक्ष के 90 सांसदों का निलंबित कर दिया था. इसके अलावा राहुल गांधी की सदस्यता को भी रद्द किया था. यह कार्रवाई राहुल गांधी को एक आपराधिक मामले में 2 साल की सजा मिलने के बाद हुई थी, जिसमें संसद से सदस्यता भी 24 मार्च 2023 को खत्म कर दी गई थी, हालांकि इसके 136 दिन बाद 4 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद वापस उनकी सदस्यता बहाल हो गई थी. वहीं दिसंबर 2023 को सदन की कार्रवाई में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बढ़ गया था. इस दौरान कार्रवाई में संसद की कार्रवाई में खलल डालने के आरोप पर करीब 90 सांसदों को भी निलंबित किया गया था.

कोटा. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की 3.0 सरकार ने शपथ ले ली है. मंत्रियों को उनके विभाग भी बांट दिए गए हैं. इस सरकार में इस बार भी हाड़ौती से कोई मंत्री नहीं बना है. इस बार चर्चा का विषय यह भी है कि पांच बार के सांसद झालावाड़ के दुष्यंत सिंह का मंत्री नहीं बनना लोगों को चौंका रहा है. वहीं, दूसरी तरफ हाड़ौती से ही आने वाले कोटा-बूंदी सीट से सांसद चुने गए ओम बिरला नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार में लोक सभा स्पीकर थे. ऐसे में क्या इस बार बिरला को दोबारा यह पद मोदी सरकार 3.0 में मिलेगा ? यह सवाल गहराता जा रहा है. क्योंकि, TDP एनडीए गठबंधन की सरकार में यह पद मांग रही है. बता दें कि बिरला के लोकसभा अध्यक्ष रहते ही राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हुई थी. इसके अलावा करीब 90 सांसदों को निलंबित भी किया गया था.

इस पर ईटीवी भारत से हुई बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीतेंद्र शर्मा का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले फैसलों को लेकर जाने जाते हैं. इस बार भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को दोबारा बनाया जा सकता है, क्योंकि बिरला की राजनीतिक रूप से नजदीकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से रही है. इसी का फायदा उन्हें साल 2019 में बनी मोदी सरकार में मिला. ऐसे में इस बार भी प्रबल संभावनाएं हैं कि वो दोबारा स्पीकर बने. हाड़ौती क्षेत्र से इस बार भी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, इसका भी फायदा उन्हें मिल सकता है. दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार शर्मा का यह भी मानना है कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर पीएम बनने तक के सफर में उनका यही मानना रहा है कि एक व्यक्ति को लंबे समय तक जिम्मेदारी देने से ज्यादा फायदा होता है.

मंत्रिमंडल में रिपीट किए चेहरे से बढ़ती है संभावनाएं : धीतेन्द्र शर्मा का का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2.0 सरकार की तरह ही 3.0 सरकार बनी है, इसमें अधिकांश चेहरे रिपीट किए गए हैं और उन्हीं चेहरों को पुराना दायित्व भी सौंपा गया है. जिनमें ऊपर के टॉप 4 मंत्री भी शामिल है. यहां तक की मंत्रियों के विभागों में भी ज्यादा फेरबदल नहीं किए गए हैं. राजस्थान में भी चार मंत्री बनाए गए हैं, जिनमें से तीन चेहरे पुराने रिपीट किए गए हैं. वहीं बाड़मेर से चुनाव हारने वाले कैलाश चौधरी की जगह उन्हीं के समुदाय से आने वाले अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी को मौका दिया गया है और कैलाश चौधरी का मंत्रालय ही उन्हें सौंपा गया है.

इसे भी पढ़ें : मोदी कैबिनेट 3.0 में हाड़ौती से किस नेता के सिर पर सजेगा ताज? सस्पेंस बरकरार - faces in Modi cabinet from Hadoti

क्या बिरला तोड़ पाएंगे बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड ? : लोकसभा स्पीकर के रूप में लगातार दो टर्म में राजस्थान के ही बलराम जाखड़ रहे हैं, वे साढ़े 9 साल से ज्यादा लोकसभा स्पीकर रहे हैं. जिनमें पहला कार्यकाल 22 जनवरी 1980 से लेकर 15 जनवरी 1985 तक था, इसके बाद वो दोबारा लोकसभा स्पीकर चुने गए और 16 जनवरी 1985 से 18 दिसंबर 1989 तक स्पीकर रहे हैं. इसके बाद मध्य प्रदेश और अन्य जगहों के राज्यपाल भी वो रहे हैं. इसके पहले नीलम संजीव रेड्डी भी दो बार लोकसभा के स्पीकर रहे है, लेकिन उनके कार्यकाल में बीच में कुछ सालों का अंतर भी रहा है. उनका कार्यकाल भी महज ढाई साल के आसपास रहा है. बिरला 5 साल लोक सभा स्पीकर रह चुके हैं, अब अगर वह रिपीट करते हैं तो बलराम जाखड़ का रिकॉर्ड भी तोड़ सकते हैं.

कम वोट से जीत पर क्या रहेगी संभावना ? : बिरला पिछले चुनाव में 2.79 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे, लेकिन इस चुनाव में उनका मुकाबला प्रहलाद गुंजल से था और यह काफी टक्कर का मुकाबला रहा. पुराने भाजपाई रहे गुंजल ने कांग्रेस में जाकर बिरला को जमकर टक्कर दी. मुकाबला महज 41,973 वोटों पर ही सिमट गया और बिरला जीत जरूर पाए हैं, लेकिन अंतर काफी कम हो गया है. बिरला इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते हैं. इस पर धीतेंद्र शर्मा का कहना है कि लोगों का मानना है कि बिरला को पद नहीं मिलेगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इस बार पूरे देश में ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के जीत का अंतर कम हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी डेढ़ लाख के आसपास वोटों से ही जीते हैं. ऐसे में यहां पर वह संभावना भी खत्म हो जाती है.

इसे भी पढ़ें : कोटा-बूंदी सीट पर लगी डबल हैट्रिक, ओम बिरला ने जीत तो गुंजल ने लगाई हार की हैट्रिक - Kota Bundi Lok Sabha Result 2024

कार्यकाल की मोदी ने की थी तारीफ : सर्वसम्मति से लोकसभा स्पीकर चुने जाने के बाद बिरला ने 19 जून 2019 को संवैधानिक पद का कार्यभार संभाला था. बिरला के कार्यकाल की प्रधानमंत्री मोदी ने भी तारीफ की थी. उनके कार्यकाल में ज्यादा बिल पास हुए हैं, साथ ही लोकसभा में काम भी ज्यादा हुआ है और उत्पादकता बढ़ी है. हालांकि डिबेट के दौरान सिटिंग कम हुई है.

चुनाव जीतकर बनाया रिकॉर्ड : लोकसभा स्पीकर बिरला ने दोबारा चुनाव जीत कर एक रिकॉर्ड तो बना ही लिया है. साल 1999 के बाद कोई भी लोकसभा स्पीकर चुनाव नहीं जीत पाया या फिर उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने स्पीकर बिरला को वापस कोटा-बूंदी सीट से चुनावी मैदान में उतारा. यहां तक चुनाव जीतकर उन्होंने इस रिकार्ड को भी ध्वस्त किया है. इसके साथ ही यह भ्रांति भी खत्म हुई है कि लोकसभा स्पीकर अगला चुनाव नहीं जीतते हैं. हालांकि इसके पहले पीए संगमा 1996 से 1998 के बीच लोकसभा स्पीकर रहे और 1998 मेघालय के तुरा सीट से सांसद चुने गए थे.

विवादों में भी रहे ओम बिरला : अपने कार्यकाल में बिरला ने एक ही दिन में विपक्ष के 90 सांसदों का निलंबित कर दिया था. इसके अलावा राहुल गांधी की सदस्यता को भी रद्द किया था. यह कार्रवाई राहुल गांधी को एक आपराधिक मामले में 2 साल की सजा मिलने के बाद हुई थी, जिसमें संसद से सदस्यता भी 24 मार्च 2023 को खत्म कर दी गई थी, हालांकि इसके 136 दिन बाद 4 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद वापस उनकी सदस्यता बहाल हो गई थी. वहीं दिसंबर 2023 को सदन की कार्रवाई में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बढ़ गया था. इस दौरान कार्रवाई में संसद की कार्रवाई में खलल डालने के आरोप पर करीब 90 सांसदों को भी निलंबित किया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.