लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत मार्च 2020 को पिंक बूथ सर्विस की शुरुआत की गई थी. जिसका उद्देश्य स्कूल कॉलेज, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, प्रमुख बाजार, बस अड्डे और रेलवे स्टेशन के आस-पास आने जाने वाली महिलाओं की मदद, उनकी सुरक्षा और उनके साथ होने वाले स्ट्रीट क्राइम होने पर तत्काल राहत पहुंचाने का था. इसमें पिंक बूथ सफल भी हुए थे, लेकिन अब ये पिंक बूथ बदहाल की कगार पर है.
लखनऊ में 99 पिंक बूथ बनाए गए थे, जिसे बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम और मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिला पुलिस की थी. पिंक बूथ के रखरखाव के लिए हर महीने 10 हजार रुपये का खर्च आता है, जो अब बीते छह माह से पिंक बूथ को नहीं मिल पा रहा है, जिससे वो बदहाल हो चुके है.
न वायरलेस सेट न इंटरनेट कैसे होगा संपर्क: राजधानी के दस पिंक बूथ का निरीक्षण करने पर सामने आया कि नियमता पिंक बूथ पर वायरलेस सेट के साथ इंटरनेट की सुविधा होनी चाहिए, लेकिन इनमें वायरलेस सेट ही नहीं है. इसके अलावा जहां इंटरनेट लगा था, लेकिन वहां अब खाली तार व इंटरनेट बाक्स टंगे हुए है. इसके अलावा पिंक बूथ में साफ सफाई तो दूर, कूड़े का अंबार लगा हुआ है.
थाने से मिल रही है थोड़ी मदद: शहर के पिंक बूथ को दिए जाने वाला दस हजार रुपये माह बाजार थाना प्रभारी को सौंपा जाता है, लेकिन बीते छह माह से बजट न मिलने पर थाने से जरूरत के सामान भेज कर बूथ संचालित किया जा रहा है.
इंटरनेट के मासिक किराए का बजट
- बिजली खर्च - 1500 रुपये
- पानी व सीवर - 100 रुपये
- इंटरनेट व कंप्यूटर - 1000 रुपये
- जनरल स्टेशनरी - 2000 रुपये
- एमडीटी (रिचार्ज) - 500 रुपये
- बूथ क्लीनिंग - 1500 रुपये
- रिफ्रेशमेंट फॉर विक्टिम - 2400 रुपये
- बूथ मेंटीनेंस - 1000 रुपये
इस तरह होती है ड्यूटी
- बूथ पर एक लेडी हेड कांस्टेबल व दो लेडी कांस्टेबल की ड्यूटी होती है, जो दो शिप्ट में आती है.
- पहली सुबह 7 से 3 बजे और दूसरी 3 बजे से रात 11 बजे तक होती है.
- पिंक बूथ पर पिंक स्कूटी मौजूद रहती है.
- पिंक बूथ पर महिला कांस्टेबल की ड्यूटी 6 माह तक की होगी.
- पिंक बूथ में तैनात महिला कर्मचारियों की किसी अन्य कार्यक्रम में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी.
क्या कहते है अफसर?
पिंक बूथ प्रभारी डीसीपी कमलेश दीक्षित कहते है कि, पिंक बूथ पर तैनात कर्मचारियों की मॉनीटरिंग के साथ दिशा निर्देश दिए जाते है. वहां पर तैनात कर्मी जो समस्या बताती है, उन्हें पूरा करने का भी प्रयास किया जाता है. पिंक बूथ के बजट में देर हो सकती है, लेकिन जारी जरूर होता है.
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