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जीनंगर समाज ने निभाई 250 वर्ष पुरानी परंपरा, जानिए क्या है मोरिया और जेले - Sheetala Saptami

अजमेर में शीतला सप्तमी के दिन जीनंगर समाज का गणगौर जेले का महोत्सव काफी प्रसिद्ध है. इस महोत्सव का खास आकर्षण शोभायात्रा है. 250 वर्षों से जीनंगर समाज अपनी परंपरा को जीवंत रखे हुए हैं. इसी क्रम में पारंपरिक वेशभूषा में गणगौर जेले की शोभायात्रा निकलने की पारंपरा सोमवार को निभाई गई.

Sheetala Saptami in Ajmer
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 1, 2024, 9:15 PM IST

Updated : Apr 1, 2024, 9:30 PM IST

गणगौर जेले का महोत्सव

अजमेर. शीतला सप्तमी के अवसर पर 250 वर्ष पुरानी जीनंगर समाज की गणगौर जेले की विशाल शोभायात्रा निकालने की परंपरा सोमवार देर शाम को निभाई गई. नगर निगम से शोभायात्रा का आगाज हुआ. शहर के विभिन्न बैंड वादकों ने शोभायात्रा के दौरान अपना शानदार प्रदर्शन किया. मोरिया और जेले के दर्शनों के लिए भी लोग उत्साहित नजर आए.

समाज के पदाधिकारी हीरा लाल जीनंगर ने बताया कि 250 वर्ष पहले यह गणगौर जेले की शोभायात्रा निकालने की पारंपरा समाज के लोगों ने शुरू की थी. इस परंपरा को हर साल हर्षोउल्लास और सबके सहयोग से भव्य रूप से निर्वहन किया जाता रहा है. शोभायात्रा में मनमोहक झांकियां लोगों के लिए आकर्षण रही हैं. इनमें भगवान श्रीराम की झांकी काफी मनमोहक थी. शोभायात्रा में अलग-अलग बैंडों की स्वर लहरियां भी माहौल को धार्मिक और आनंदित कर रही थी. नगर निगम से शुरू हुई शोभायात्रा मदार गेट होते हुए नला बाजार से होकर घसीटी स्थित हिंदू मोची मोहल्ला पहुंची. यहां समाज के लोगों ने सामूहिक महाआरती का आयोजन किया. शोभायात्रा में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से विधायक अनीता भदेल, बीजेपी के पार्षद और पदाधिकारी भी भी मौजूद रहे.

पढ़ें. ढोल नगाड़ों वाली शव यात्रा : शीतला सप्तमी पर यहां निकलती है जिंदा आदमी की अर्थी

मोरया और जेले को सिर पर उठाए चली महिलाएं : शोभायात्रा में आगे की ओर 3 महिलाएं मोरिया अपने सिर पर उठा कर चलती हैं. हीरालाल जीनंगर बताते हैं कि यह मोरिया भगवान गजानंद के प्रतीक होते हैं. वहीं, शोभायात्रा में पीछे तीन और महिलाएं सिर पर गणगौर जेले लेकर चलती हैं. यह जेले भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी पार्वती के रूप में हैं. शोभायात्रा मार्ग में श्रद्धा भाव से लोग इनका दर्शन करते हैं और फूल बरसाकर स्वागत करते हैं. खास बात यह है कि शोभायात्रा के दौरान जगह जगह पर विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से शोभायात्रा का स्वागत फूल बरसाकर किया जाता रहा है.

गणगौर जेले का महोत्सव

अजमेर. शीतला सप्तमी के अवसर पर 250 वर्ष पुरानी जीनंगर समाज की गणगौर जेले की विशाल शोभायात्रा निकालने की परंपरा सोमवार देर शाम को निभाई गई. नगर निगम से शोभायात्रा का आगाज हुआ. शहर के विभिन्न बैंड वादकों ने शोभायात्रा के दौरान अपना शानदार प्रदर्शन किया. मोरिया और जेले के दर्शनों के लिए भी लोग उत्साहित नजर आए.

समाज के पदाधिकारी हीरा लाल जीनंगर ने बताया कि 250 वर्ष पहले यह गणगौर जेले की शोभायात्रा निकालने की पारंपरा समाज के लोगों ने शुरू की थी. इस परंपरा को हर साल हर्षोउल्लास और सबके सहयोग से भव्य रूप से निर्वहन किया जाता रहा है. शोभायात्रा में मनमोहक झांकियां लोगों के लिए आकर्षण रही हैं. इनमें भगवान श्रीराम की झांकी काफी मनमोहक थी. शोभायात्रा में अलग-अलग बैंडों की स्वर लहरियां भी माहौल को धार्मिक और आनंदित कर रही थी. नगर निगम से शुरू हुई शोभायात्रा मदार गेट होते हुए नला बाजार से होकर घसीटी स्थित हिंदू मोची मोहल्ला पहुंची. यहां समाज के लोगों ने सामूहिक महाआरती का आयोजन किया. शोभायात्रा में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण से विधायक अनीता भदेल, बीजेपी के पार्षद और पदाधिकारी भी भी मौजूद रहे.

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मोरया और जेले को सिर पर उठाए चली महिलाएं : शोभायात्रा में आगे की ओर 3 महिलाएं मोरिया अपने सिर पर उठा कर चलती हैं. हीरालाल जीनंगर बताते हैं कि यह मोरिया भगवान गजानंद के प्रतीक होते हैं. वहीं, शोभायात्रा में पीछे तीन और महिलाएं सिर पर गणगौर जेले लेकर चलती हैं. यह जेले भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी पार्वती के रूप में हैं. शोभायात्रा मार्ग में श्रद्धा भाव से लोग इनका दर्शन करते हैं और फूल बरसाकर स्वागत करते हैं. खास बात यह है कि शोभायात्रा के दौरान जगह जगह पर विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से शोभायात्रा का स्वागत फूल बरसाकर किया जाता रहा है.

Last Updated : Apr 1, 2024, 9:30 PM IST
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