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काम की बात: पौधों के लिए जीवनदायी है पेड़ों का कचरा व नारियल के छिलके - Tree waste is vital for plants

आप यकीन नहीं करेंगे, लेकिन घरों और खेतों में पेड़ों से निकला कचरा आपकी फसलों के लिए उपयोगी है. बरगद संरक्षण फाउंडेशन संस्था ने इस कचरे को रिसाइकिल कर खाद बनाने की दिशा में पहल की है, जिसके अच्छ परिणाम आए हैं. अब फाउंडेशन लोगों को इस बारे में जागरूक करने का काम कर रहा है.

Tree waste is vital for plants
कचरे की रिसाइक्लिंग करते हुए (photo etv bharat kuchamancity)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 22, 2024, 1:44 PM IST

पौधों के लिए जीवनदायी है पेड़ों का कचरा व नारियल के छिलके (video etv bharat kuchamancity)

कुचामनसिटी. घर या खेतों में उगे पेड़-पौधे का कचरा (सूखी पत्तियां) या नारियल के छिलके को हम बेकार समझकर फेंक देते या जला देते हैं, लेकिन यह 'वेस्ट कचरा' नहीं बल्कि 'बेस्ट कचरा'है. यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सत्य है. पेड़- पौधों का कचरा भी पेड़-पौधों के लिए जीवनदायी बन सकता है.

इसी सन्दर्भ में शहर के निकटवर्ती ग्राम खारिया में स्थापित बरगद संरक्षण फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने एक पहल की है. इस पहल के तहत जहां भी खेतों या सार्वजनिक जगहों पर पेड़-पौधों का कचरा होने की सूचना मिल जाती है, उनकी टीम उस कचरे को लेने के लिए पहुंच जाती है.

बरगद संरक्षण फाउंडेशन के संचालक राजेश कुमावत ने बताया कि पेड़ पौधों और फसलों से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ को एनएरोबिक डाइजेशन करवाकर पौधों के लिए खाद के रूप में काम में ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के लिए इन्हीं के कचरे से अधिक कोई अच्छा खाद नहीं है. पतझड़ ऋतु में लगभग सभी पौधों के पत्ते गिरते हैं. अक्सर यह देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग इन पत्तियों को जला देते हैं. इससे प्रदूषण तो होता ही है. साथ में इन पत्तियां के गुणों का सदुपयोग भी नहीं हो पाता.

पढ़ें: पथरीली जमीन पर सेब बागान : चित्तौड़गढ़ में युवा किसान का कारनामा...पथरीली जमीन पर उगाए सेब, जिला कलेक्टर ने किया दौरा

जल की खपत रोकता यह कचरा: फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि स्कूलों के विद्यार्थियों को भी इसकी महत्ता बताई जा रही है. पेड़ों का कचरा व कृषि अवशेष को जमा करके बरगद गार्डन में पौधों के लिए काम में लिया जा रहा है. बरगद सरंक्षण फाउंडेशन के संचालक राजेश कुमावत ने बताया कि खारिया गांव में बरगद सहित अन्य पेड़ों लगाए गए हैं. यहां हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं. इन सभी पौधों के गोल आकार में कोको रिंग पिट्स बनाई गई है. कोको रिंग पिट्स में इन कचरे का बारीक कचरा बनाकर डाल देते हैं, उसके बाद ऊपर से मिट्टी डाल देते हैं. पेड़-पौधों के लिए यह कचरा एक प्रकार से खाद का काम तो करता ही है, साथ ही वाष्पीकरण से होने वाली जल की हानि को भी यह कचरा रोकता है. नीम की पत्तियां दीमक रोकने में काफी कारगर साबित होती है. इसके साथ ही पौधों की जड़ों में नमी कई दिनों तक बनी रहेगी. इससे पौधों को पानी की आवश्यकता घटकर आधी रह जाती है.

पौधों के लिए जीवनदायी है पेड़ों का कचरा व नारियल के छिलके (video etv bharat kuchamancity)

कुचामनसिटी. घर या खेतों में उगे पेड़-पौधे का कचरा (सूखी पत्तियां) या नारियल के छिलके को हम बेकार समझकर फेंक देते या जला देते हैं, लेकिन यह 'वेस्ट कचरा' नहीं बल्कि 'बेस्ट कचरा'है. यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह सत्य है. पेड़- पौधों का कचरा भी पेड़-पौधों के लिए जीवनदायी बन सकता है.

इसी सन्दर्भ में शहर के निकटवर्ती ग्राम खारिया में स्थापित बरगद संरक्षण फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने एक पहल की है. इस पहल के तहत जहां भी खेतों या सार्वजनिक जगहों पर पेड़-पौधों का कचरा होने की सूचना मिल जाती है, उनकी टीम उस कचरे को लेने के लिए पहुंच जाती है.

बरगद संरक्षण फाउंडेशन के संचालक राजेश कुमावत ने बताया कि पेड़ पौधों और फसलों से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ को एनएरोबिक डाइजेशन करवाकर पौधों के लिए खाद के रूप में काम में ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों के लिए इन्हीं के कचरे से अधिक कोई अच्छा खाद नहीं है. पतझड़ ऋतु में लगभग सभी पौधों के पत्ते गिरते हैं. अक्सर यह देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग इन पत्तियों को जला देते हैं. इससे प्रदूषण तो होता ही है. साथ में इन पत्तियां के गुणों का सदुपयोग भी नहीं हो पाता.

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जल की खपत रोकता यह कचरा: फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि स्कूलों के विद्यार्थियों को भी इसकी महत्ता बताई जा रही है. पेड़ों का कचरा व कृषि अवशेष को जमा करके बरगद गार्डन में पौधों के लिए काम में लिया जा रहा है. बरगद सरंक्षण फाउंडेशन के संचालक राजेश कुमावत ने बताया कि खारिया गांव में बरगद सहित अन्य पेड़ों लगाए गए हैं. यहां हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं. इन सभी पौधों के गोल आकार में कोको रिंग पिट्स बनाई गई है. कोको रिंग पिट्स में इन कचरे का बारीक कचरा बनाकर डाल देते हैं, उसके बाद ऊपर से मिट्टी डाल देते हैं. पेड़-पौधों के लिए यह कचरा एक प्रकार से खाद का काम तो करता ही है, साथ ही वाष्पीकरण से होने वाली जल की हानि को भी यह कचरा रोकता है. नीम की पत्तियां दीमक रोकने में काफी कारगर साबित होती है. इसके साथ ही पौधों की जड़ों में नमी कई दिनों तक बनी रहेगी. इससे पौधों को पानी की आवश्यकता घटकर आधी रह जाती है.

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