भरतपुर : किन्नर दूसरों की खुशियों में शामिल होने उनके दरवाजों पर जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद, दुआ देते हैं, लेकिन भरतपुर की किन्नर नीतू मौसी बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से मातृत्व और सांप्रदायिक सौहार्द्र की एक अनूठी मिसाल पेश कर रही हैं. ये खुद मां नहीं बन पाई, लेकिन हर साल दस कन्याओं का विवाह और निकाह कराकर एक मां का धर्म निभाती हैं. नीतू मौसी ने बीते 13 साल में 130 कन्याओं का कन्यादान कर विवाह, निकाह करा चुकी हैं. नीतू मौसी का कहना है कि बेटा-बेटी को एक समान मानकर परवरिश करें, ताकि प्रकृति और समाज का संतुलन बना रहे.
एक मंडप में निकाह व मंत्र : नीतू मौसी ने शनिवार को हर वर्ष की भांति 10 कन्याओं का सामूहिक विवाह संपन्न कराया. इनमें 8 हिन्दू बेटियां और 2 मुस्लिम बेटियां शामिल थीं. विवाह सम्मेलन की खास बात यह थी कि एक ही विवाह मंडप में वैदिक मंत्र और निकाह की आयतें एक साथ पढ़ी गईं. शनिवार सुबह गाजे बाजे के साथ दूल्हे बारात लेकर पहुंचे. दुल्हनों के साथ परिजन भी समारोह में मौजूद रहे. खुद नीतू मौसी ने कन्यादान कर मां का फर्ज अदा किया. विवाह में नीतू मौसी ने कन्याओं के लिए सोने और चांदी के जेवरात, फर्नीचर, बर्तन और अन्य जरूरी सामान भी समान रूप से भेंट किए.
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नीतू मौसी ने बताया कि वो हर शुभ अवसर पर लोगों के घर जाती थीं. इसी दौरान उन्होंने कई बार गरीब घर की बेटियों और उनके घरों के हालात देखे. कई लोग गरीब बेटियों का विवाह बड़ी मुश्किल से कर पाते थे. गरीब बेटियों और उनके माता-पिता की स्थिति देखकर दिल पसीज जाता था. ऐसे में वर्ष 2012 से उन्होंने गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह कराने का कार्य शुरू किया. इसमें हम हर वर्ष 10 गरीब हिन्दू, मुस्लिम कन्याओं का चयन कर उनके विवाह का पूरा खर्चा वहन करते हैं. नीतू मौसी ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि लोग बेटा और बेटियों को समान मानते हुए उनकी परवरिश करें, उनको पढ़ाएं और उनका विवाह करें, ताकि समाज का संतुलन बना रहे.