जोधपुर : आईआईटी जोधपुर 2 अगस्त को अपना 16वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. सोलह साल की यात्रा के दौरान संस्थान कई उतार चढ़ाव देखते हुए यहां तक पहुंचा है. इस दौरान कई बड़ी रिसर्च यहां हुई. लगातार पाठ्यक्रम बढ़ाए गए. देश में हिंदी में इंजीनियरिग की शिक्षा का विकल्प देने वाला भी जोधपुर आईआईटी पहला संस्थान बन गया है. फिलहाल आईआईटी जोधपुर देश के भर के चिहिृत 100 इंजीनियरिंग संस्थानों में लगातर दो साल से तीसवें पायदान पर है. यह रैकिंग नेशनल इंस्टीट्यूशनल रेंकिंग फ्रेमवर्क जारी करता है.
हालांकि, आईआईटी जोधपुर के समकक्ष शुरू हुए कई संस्थान इससे बेहतर पायदान पर है, लेकिन इसके बावजूद आईआईटी जोधपुर छात्रों के लिए बेहतर पसंद बना हुआ है, क्योंकि यहां पर नई शिक्षा नीति के तहत एक साथ दो डिग्री के लिए इंटीग्रेटेड कोर्सेज शुरू हो चुके है. स्टूडेंट माइनर और मेजर कोर्सेज एक साथ कर सकते हैं. इतना ही नहीं कैजुअल स्टूडेंट्स के लिए भी यहां जगह है. हाल ही में नियुक्त हुए के नए निदेशक प्रो अविनाश अग्रवाल इंजीनियरिंग के अन्य फील्ड के साथ-साथ खास तौर से रक्षा क्षेत्र के सहयोग के लिए काम करने की इच्छा जता चुके हैं. संभवत: नए सत्र में इस पर काम होगा, लेकिन नए निदेशक पर रैकिंग सुधारने का प्रेशर भी बना रहेगा.
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25 से 30 पर पहुंचा संस्थान : आईआईटी जोधपुर 2008-09 में शुरू हुआ था. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रेंकिंग फ्रेमवर्क ने 2016 से रैकिंग देनी शुरू की थी. 2016 में इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की सूची में आईआईटी जोधपुर का स्थान 25वां था. आज तीसवें स्थान पर है, लेकिन इस बीच कई बार रैकिंग ने गोता भी लगाया. संस्थान को 2017 में 65वीं रैंक मिली. इसके बाद लगातार सुधार हुआ. 2018 में 54, 2019 में 50, 2020 में 53, 2021 में 43 और 2022 में मिली 30वी रैंक 2023 में भी बनी रही. 2024 की रैकिंग अब जल्द जारी होगी.
समकक्ष आईआईटी निकले आगे : 2008 व 2009 में जोधपुर के साथ-साथ रोपड़, गांधीनगर, हैदाराबाद, पटना, इंदौर व मंडी में आईआईटी खुले थे. वर्तमान की रैकिंग में आईआईटी हैदराबाद 8वीं, इंदौर 14, गांधीनगर 18, रोपड़ 22वीं रैंक पर हैं. जोधपुर आईआईटी के पिछड़ने के कई कारण हैं, इनमें खास तौर से बेहतर एअर कनेक्टिविटी का अभाव भी है. यहां साल में छह से सात माह ही रेगूलर फ्लाइट्स बड़े शहरों से मिलती हैं, जिसके चलते शुरूआत में तो आईआईटी केा फैकल्टी जुटाने में ही काफी जोर आया था.
रिसर्च में अभी टॉप 50 से दूर : आईआईटी जोधपुर में लगातार रिसर्च पर काम हो रहा है. यहां के शिक्षक वैज्ञानिक नई खोज के साथ-साथ जनमानस की समस्याओं का समाधान करने के लिए अध्ययन कर रहे हैं. कई बड़ी रिसर्च भी यहां हुई हैं, लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की देश में हर साल जारी होने वाली टॉप 50 रिसर्च इंस्टीट्यूट की रैकिंग में जोधपुर आईआईटी तीन साल में अपनी जगह नहीं बना पाया है, जबकि इसके समकक्ष खुले दूसरे आईआईटी हैदराबाद, इंदौर सहित अन्य इसमें जगह बना चुके हैं, जबकि यहां दावा किया जाता रहा है कि यहां रिसर्च के साथ साथ पेटेंट भी करवाए जा रहे हैं.