सिरमौर: हिमाचल प्रदेश सहित जिला सिरमौर में किसान मौसम पूर्वानुमान ही अनुसार सब्जी उत्पादन से संबंधित कार्य करें. चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर प्रसार शिक्षा निदेशालय ने जनवरी 2025 के प्रथम पखवाड़े में किए जाने वाले सब्जी उत्पादन से संबंधित कार्यों की एडवाइजरी जारी की है, जो किसानों के लिए लाभप्रद साबित होगी.
कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) के प्रभारी, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को सलाह दी है कि मध्यवर्ती क्षेत्रों में आलू की बुआई के लिए सुधरी किस्मों जैसे कुफरी ज्योति, कुफरी गिरिराज, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी हिमालिनी इत्यादि का चयन करें. बुआई के लिए स्वस्थ, रोग रहित, साबुत या कटे हुए कंद, वजन लगभग 30 ग्राम, जिनमें कम से कम 2-3 आंखें हो, का प्रयोग करें. बुआई से पहले कंदों को डाईथेन एम-45 (25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी) के घोल में 20 मिनट तक उपचारित करें. कंद को छाया में सुखाने के बाद अच्छी तरह से तैयार खेतों में 45-60 सेंटीमीटर पंक्तियों की दूरी एवं 15-20 सेंटीमीटर के अंतर पर पंक्ति में मेढ़े बनाकर बीजे.
छिड़काव करते समय खेत में होनी चाहिए नमी
आलू बिजाई से पहले 20 क्विंटल गोबर की खाद के अतिरिक्त 20 किलोग्राम इफको (12:32:16) मिश्रण खाद और 5 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा अंतिम जुताई के समय खेतों में डालें. आलू की रोपाई के एक सप्ताह बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए ऑक्सीफ्लुरफेन 6 ग्राम या 3 से 4 सप्ताह बाद मेट्रीब्यूजीन 30 ग्राम प्रति 30 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. छिड़काव करते समय खेत में नमी होनी चाहिए. इसके अलावा आलू के 5 प्रतिशत अंकुरण होने पर खरपतवार नियंत्रण के लिए ग्रामेक्सॉन या पैराक्वेट 90 मिलीलीटर प्रति 30 लीटर पानी का छिड़काव किया जा सकता है.
प्याज और अन्य सब्जियों के लिए सलाह
प्रदेश के निचले व मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में प्याज की पौध की रोपाई 15-20 सेंटीमीटर पंक्तियों और 5-7 सेंटीमीटर पौध से पौध की दूरी रखते हुए करें. रोपाई के समय 200-250 क्विंटल गोबर की खाद के अतिरिक्त 235 किलोग्राम 12ः32ः16 मिश्रण खाद, 105 किलोग्राम यूरिया और 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हैक्टेयर खेतों में डालें. रोपाई के तुरंत बाद फुहारे से हल्की सिंचाई करें. इसके अतिरिक्त खेतों में लगी हुई सभी प्रकार की सब्जियों जैसे फुलगोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, ब्रॉकली, चाईनीज बंदगोभी, पालक, मेथी, मटर व लहसुन इत्यादि में निराई-गुड़ाई करें और नत्रजन 40-50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर खेतों में प्रयोग करें. साथ ही आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें.
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