शिमला: रिटायरमेंट बेनिफिट्स की बकाया रकम का भुगतान समय से न करना हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भारी पड़ा है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृति लाभ की बकाया राशि का भुगतान समय पर न करने पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पर 25 हजार की कॉस्ट लगाई है. कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि कॉस्ट की राशि का भुगतान करने के बाद यह राशि दोषी अधिकारियों अथवा कर्मचारियों से वसूली जाए.
2 महीने में जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के ऑर्डर
कोर्ट ने इस संबंध में उक्त सचिव को जांच करने के बाद जिम्मेदारी तय करने का आदेश दिया. साथ ही जांच रिपोर्ट दो महीने की अवधि के भीतर हाईकोर्ट में पेश करने के आदेश दिए. हिमाचल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रार्थी पुष्पा ठाकुर द्वारा दायर अनुपालना याचिका का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश जारी किए.
कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं किया भुगतान
कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादियों ने 28 अक्टूबर, 2024 के जो निर्देश रिकॉर्ड पर रखे हैं, वो यह दर्शाते हैं कि अब याचिकाकर्ता के खाते में 6,54,019 रुपये का भुगतान करने के लिए ट्रेजरी में बिल जमा कर दिए गए हैं. वहीं, 10 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह के भीतर इस राशि का भुगतान करने के आदेश जारी किए थे. इन आदेशों के बावजूद निर्धारित समय के भीतर इस राशि का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए कोर्ट ने इसे कॉस्ट के लिए उपयुक्त मामला बताया.
क्या है रिटायरमेंट बेनिफिट्स का पूरा मामला?
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की 30 जून 2011 को सेवानिवृत्ति हुई थी. याचिकाकर्ता को 01 जनवरी 2006 से 30 जून 2011 तक के सेवानिवृत्ति लाभ उन्हें 01 जनवरी 2006 के वेतनमान संशोधन के बजाय 01 जनवरी 1996 के वेतनमान संशोधन के अनुसार जारी किए गए थे. प्रतिवादियों ने खुद ही प्रार्थी के प्रतिवेदन को हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 27 सितंबर 2022 को विस्तृत आदेश जारी करते हुए माना था कि प्रार्थी 1 जनवरी 2006 के संशोधित वेतनमान के अनुसार सेवानिवृत्ति लाभ पाने की हकदार है.
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