गोरखपुर : शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि से पहले इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट (आईटीएम) गीडा की छात्राओं ने वूमेन सेफ्टी पर्स तैयार किया है. यह महिलाओं-युवतियों की सुरक्षा में काफी कारगर साबित होगा. इसे वूमेन सेफ्टी गन नाम दिया गया है. इमरजेंसी में यह पुलिस-परिवार को लोकेशन शेयर करने के साथ ही मनचलों पर फायर भी करेगा.
बटन दबाते ही गोलियों की बौछार : आईटीएम की 4 छात्राओं श्रेया मिश्रा, रिया त्रिपाठी, किरन और अंशिका ने अपने कॉलेज के इन्नोवेशन लैब टीम के साथ मिलकर इस पर्स गन को तैयार किया है. रिया त्रिपाठी ने बताया दिखने में तो ये आम पर्स ही नजर आता है लेकिन जरूरत पड़ने पर यह मनचलों पर गोलियों की बौछार भी कर सकता हैं. इस पर्स सें निकली गोली बॉडी से टकराते ही तेज ज्वलनशील पदार्थ में बदल जाती है. यह मनचलो को भारी पड़ेगा. श्रेया ने बताया कि इस पर्स गन की मदद सें लड़कियां मुसीबत में अपनों को लोकेशन भेजकर मदद मांग सकती हैं. ये पर्स लड़कियों के ऊपर गलत नजर डालने वालों के होश ठिकाने लगा सकता है.
पर्सनुमा सेफ्टी गन में लगता है एक सिमकार्ड : छात्राओं ने बताया कि ये न केवल पुलिस -परिवार को लोकेशन शेयर करेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर गोली की आवाज भी निकालेगा. बस मुसीबत के वक्त इनमें लगे विशेष बटन को दबाना होगा. छात्रा अंशिका और उनकी टीम ने बताया कि इस पर्स को एंटी ईवटीजिंग लाइव पर्स गन भी कहा जा सकता है. किरन कुमारी ने बताया कि इस पर्स गन में एक सिम कार्ड लगाया जाता है. इस सिम की मदद सें हम अपनों और पुलिस को लोकेशन सेंड कर सकते हैं. लोकेशन भेजने के साथ ये पर्स अपने लोगों के साथ लाइव भी हो सकता है.
वॉइस रिकॉर्डिंग की भी है सुविधा : यह घटना स्थान पर मनचलों को सतर्क कर देगा कि लड़की के साथ किसी भी तरह की छेड़खानी की तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. रिया ने बताया ये पर्स गन, टू-वे टेक्नोलॉजी बेस है. मतलब इसे बिना मोबाइल के भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्लूटूथ के माध्यम से भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है. पर्स गन के 1 बुलेट की कीमत लगभग 15 रुपये है. इसके सूटिंग रेंज की हम बात करें तो लगभग 50 मीटर होगी. इसे बनाने में 1 महीने का समय लगा है. 2500 रुपये का खर्च आया है. इसमें वॉइस रिकॉर्डिंग सिस्टम भी हैं. इसका डेटा सेट किए गए नंबर पर सेव होगा.इसकी मदद सें असामाजिक तत्वों को पर कार्रवाई करने में पुलिस को मदद मिलेगी.
इन उपकरणों का किया गया इस्तेमाल : इस प्रोजेक्ट को बनाने में मेटल पर्स, 10 एमएम बैरल, 3 इंच की मेटल पाइप, जीपीएस चिप, जीएसएम, मॉडुल, रेड स्विच, ब्लूटूथ मॉडुल, इत्यादि उपकरणों का प्रयोग किया गया है. संस्थान के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने छात्राओं की प्रशंसा की. असिस्टेंट प्रोफेसर विनीत राय ने कहा कि इस पर्स में कुल 5 मोबाइल नंबर को सेव किया जा सकता है. इस पर मुसीबत के समय संदेश भेजा जा सकता है. इस प्रयास पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलियां, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया,संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने छात्राओं की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है.
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