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'कोबरा देखा.. पकड़ा.. भून कर खा लिया', मिलिए पटना के मुरारी मोहन शर्मा से, इनके शौक भी अजीब हैं - bihar SNAKE EATER

Bihar Snake Eater: सांप का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर समा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें जहरीले से जहरीले सांपों को पकड़ना और उसे पकाकर खाने में आनंद आता है. ऐसे ही अनोखे शौक को पालने वाले व्यक्ति हैं बिहार सरकार के रिटायर्ड अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा.

सांप खाने वाला व्यक्ति
सांप खाने वाला व्यक्ति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 8, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Jul 8, 2024, 5:09 PM IST

सांप खा चुके हैं रिटायर्ड अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा (ETV Bharat)

पटना: बिहार के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा ने कोबरा और करैत को कई बार पकड़ा है और 20 से अधिक सांपों को पकाकर खा भी चुके हैं. हालांकि उम्र के साथ-साथ शरीर की फुर्ती कम हुई है और अब सांपों को पकड़ने का एडवेंचर छोड़ दिया है. आसपास में यदि कोई बड़ा सांप दिखता है तो वह उसे पकड़ने के लिए जाते हैं. रेस्क्यू करके सांप को सुरक्षित छोड़ देते हैं.

कोबरा-करैत खा चुके हैं मुरारी मोहन : मुरारी मोहन शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सांप पकड़ने का एडवेंचर लगभग 10 सालों तक किया है. साल 1972 में मैट्रिक के बाद उन्होंने सांप पकड़ना शुरू किया और 1981 तक उन्होंने सांपों को पकड़ा है. फिर उनकी नौकरी लग गई और वह बिहार सरकार की सेवा में जुड़ गए फिर यह सब छोड़ दिया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"बचपन में गंगा किनारे केकड़ा पकड़ने जाता था. एक दिन गलती से सांप पकड़ लिया. उसने कई बार काटा, लेकिन कुछ नहीं हुआ, क्योंकि सांप जहरीला नहीं था. उस दिन से मेरा मनोबल बढ़ गया और सांपों के बारे में जानने की इच्छा होने लगी. 22 प्रकार के 150 से अधिक सांप पकड़ चुका हूं." - मुरारी मोहन शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी

डिब्बे में रखे कई प्रिजर्व सांपों को कर चुके हैं डोनेट : मुरारी मोहन शर्मा बताते हैं कि उन्होंने 22 प्रकार के सांप को पकड़ा है और 150 से अधिक बार उन्होंने सांप को पकड़ा है. पहले वह सांप को पकड़ के फॉर्मलीन और ग्लिसरीन के सोल्यूशन में प्रिजर्व करके रखते थे. लेकिन 20 वर्ष पहले उन्होंने सभी डब्बे में रखे सांपों को स्कूल कॉलेजों को डोनेट कर दिया. कुछ को साइंस कॉलेज को दे दिया तो कुछ को अन्य कॉलेजों को डोनेट कर दिया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

8 महीने पहले आखिरी बार पकड़ा था रसल वाइपर : उन्होंने बताया कि बिहार में करैत प्रजाति के 5-6 प्रकार के सांप है और तीन प्रकार के कोबरा हैं. यही जहरीले होते हैं. इसके अलावा बाढ़ के दिनों में मध्य प्रदेश के तरफ से आने वाली नदियों से कई बार रसल वाइपर भी आ जाते हैं जो बहुत ही खतरनाक होते हैं. लेकिन यह मूल रूप से यहां नहीं मिलते हैं. उन्होंने लगभग 8 महीने पहले पटना में लॉ कॉलेज के किनारे एक रसल वाइपर को पकड़ा था और यह अभी उनका आखिरी सांप है जिसे उन्होंने पकड़ा है.

150 से अधिक सांपों को पकड़ा.. 20 खाए : मुरारी मोहन बताते हैं कि बचपन में जब उन्हें सांपों के प्रति रुचि जगी तो वह उससे जुड़ी जानकारियां और उससे जुड़ी पुस्तकों को खूब पढ़ते थे. उनके चाचा चिकित्सक थे और लंदन से छापने वाली एक मैगजीन को प्रत्येक महीने वह मंगवाते थे. इस मैगजीन को वह भी पढ़ते थे जिसमें एक लेखक सांपों पर खूब लिखा करते थे. विभिन्न जगहों पर लोग जहां सांप खाते हैं उसके बारे में भी लिखा जाता था. इसके बाद उन्हें भी सांप खाने की इच्छा जागी और उन्होंने लगभग 20 बार कोबरा और करैत सांप को पकड़ कर खाया है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

'चाचा डॉक्टर थे इसलिए सांप खाने की हुई हिम्मत': मुरारी मोहन बताते हैं कि जब वह 15 वर्ष के थे तो उन्हें अलकतरा में फंसा हुआ एक कोबरा दिखा था. पहली बार उन्हें सांप खाने की इच्छा हुई और मैगजीन में पढ़ते थे कि सांप कैसे खाया जाता है. घर में उनके चाचा जी डॉक्टर थे, ऐसे में सोचा कि यदि कुछ होता है, तबीयत बिगड़ी है तो उनके चाचा जी संभाल लेंगे. इसके बाद उन्होंने मैगजीन में लिखी बात स्टेप बाय स्टेप फॉलो किया. सबसे पहले मिट्टी का तेल डालकर कोबरा का रेस्क्यू किया और फिर उसे भून कर खा गए. उसका स्वाद उन्हें अच्छा लगा.

सांप का स्वाद चिकेन जैसा : उन्होंने बताया कि जहरीले सांप के माथे पर पीछे में गर्दन के पास एक ग्रंथि होती है जिसमें सांप का वेनम होता है जो विषैला दांत से जुड़ी होती है. इसके 6 इंच नीचे से सांप को काटना होता है और उसके बाद इसे पका कर खाया जाता है. खाने में यह चिकेन के नेक जैसा लगता है.

'काट चुका है करैत' : मुरारी मोहन ने बताया कि जो जहरीले सांप होते हैं उनको विशेष सावधानी से पकड़ना होता है ताकि उनका शरीर कहीं जख्मी ना हो. यदि शरीर जख्मी हुआ तो विष का इन्फेक्शन शरीर के अंदर फैल सकता है और यह खतरनाक हो सकता है. उन्होंने बताया कि वह जब सांप पकड़ा करते थे तो कोई स्नेक कैचर उपकरण नहीं होता था और हाथों से ही सांप को पकड़ा करते थे. एक बार करैत को पकड़ने में हाथों में करैत ने काट लिया था. जो जहरीला दांत होता है इसका थोड़ा ही हिस्सा उंगलियों में गया तब तक उन्होंने सांप को पकड़ कर फेंक दिया. इसके बाद पीएमसीएच में जाकर उन्होंने एंटी वेनम लिया था. चिकित्सकों ने 10 घंटे उनकी निगरानी की थी.

सांपों को कैसे करते थे प्रिजर्व : मुरारी मोहन बताते हैं कि जब वह मेडिकल की तैयारी करते थे तो उनके कमरे में एक कोबरा सांप आ गया था. सांप लगभग 25 से 30 वर्ष का होगा क्योंकि वह काफी लंबा और मोटा था. इस सांप को पकड़ने के बाद उन्होंने केओएच के सोल्यूशन में उसे ब्वायल करके उसके चमड़े को अलग किया और हड्डियों को अलग किया.

संभाल के रखे हैं सांप के दांत और हड्डियां : उन्होंने आगे बताया कि सांप के जहरीले दांत को उन्होंने संभाल कर रखा हुआ है और जो रीबकेस की हड्डियां थी, सभी आज तक उनके पास सुरक्षित हैं. इसके अलावा एक बार लगभग 20 साल के करैत को पकड़ा था, उसे भी सॉल्यूशन में उबालकर के उसके हड्डियों को निकाल कर धागे में पिरोकर सुरक्षित रखा है.

सीएम के जनता दरबार में बतौर मजिस्ट्रेट रह चुके हैं कार्यरत : बीपीएससी अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा ने अपने सरकारी सेवा के 10 वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में बतौर मजिस्ट्रेट कार्य किया है. वर्तमान में वह तैराकी करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्विमर हैं. इसके साथ ही पतंग बाजी महोत्सव में गुजरात जाकर बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

'छोड़ चुके हैं सांप खाना' : मुरारी मोहन बताते हैं कि सांप पकड़ने का कला उन्होंने बचपन में जो सीखा वह आज भी जानते हैं. लेकिन 1982 में सरकारी सेवा में आने के बाद से सांपों को लेकर अपना एडवेंचर छोड़ दिया. सांप खाना भी छोड़ दिया और कभी सांप पकड़ा भी तो उसे रेस्क्यू करके किसी अन्य जगह छोड़ दिया.

सांप के बारे में कुछ रोचक जानकारियां : मुरारी मोहन बताते हैं कि सांप बहुत ही अद्भुत प्रकार के जीव होते हैं. अधिकांश तौर पर मेल और फीमेल सांप आसपास ही रहते हैं. मादा सांप एक बार में 20 अंडे देती है और साल में 3 बार बच्चे जन्म देती है. लेकिन जो नर सांप होता है वह उन बच्चों को खा जाता है और जो दो-चार बच्चे छूट जाते हैं वही बड़े होते हैं.

''सांप की खूबी है कि वह अपना बिल नहीं बनाता है और चूहा अथवा केकड़ा के बिल में घुसता है और उसे खा लेता है. सांप अपने भोजन को निगलता है, चबाने की उसमें क्षमता नहीं होती है. ऐसे में सांप यदि कोई बड़ा चूहा खाकर बिल में चला जाता है तो 4 से 5 महीने तक भी वह उसी बिल में दुबक कर रह सकता है, जब तक की उसे दोबारा भूख ना लगे.'' मुरारी मोहन शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी

कितनी हो सकती है सजा?: किंग कोबरा (Cobra Snake), मोनोकल्ड कोबरा, स्पेक्टेकल्ड कोबरा और रसेल वाइपर जैसे जहरीले सांपों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के शेड्यूल II के तहत कानून द्वारा संरक्षित किया गया है. सांप की इन प्रजातियों को मारने पर अधिकतम सजा 3 से 7 साल की कैद या 1000 रुपये का जुर्माना का प्रावधान है.

डिस्क्लेमर: सांपों को पर्यावरण का मित्र माना जाता है. सांपों को मारना, पकड़ना या कैद में रखना कानून जुर्म है. यह खबर व्यक्ति के व्यक्तिगत विचार हैं.

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पटना: बिहार के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा ने कोबरा और करैत को कई बार पकड़ा है और 20 से अधिक सांपों को पकाकर खा भी चुके हैं. हालांकि उम्र के साथ-साथ शरीर की फुर्ती कम हुई है और अब सांपों को पकड़ने का एडवेंचर छोड़ दिया है. आसपास में यदि कोई बड़ा सांप दिखता है तो वह उसे पकड़ने के लिए जाते हैं. रेस्क्यू करके सांप को सुरक्षित छोड़ देते हैं.

कोबरा-करैत खा चुके हैं मुरारी मोहन : मुरारी मोहन शर्मा बताते हैं कि उन्होंने सांप पकड़ने का एडवेंचर लगभग 10 सालों तक किया है. साल 1972 में मैट्रिक के बाद उन्होंने सांप पकड़ना शुरू किया और 1981 तक उन्होंने सांपों को पकड़ा है. फिर उनकी नौकरी लग गई और वह बिहार सरकार की सेवा में जुड़ गए फिर यह सब छोड़ दिया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

"बचपन में गंगा किनारे केकड़ा पकड़ने जाता था. एक दिन गलती से सांप पकड़ लिया. उसने कई बार काटा, लेकिन कुछ नहीं हुआ, क्योंकि सांप जहरीला नहीं था. उस दिन से मेरा मनोबल बढ़ गया और सांपों के बारे में जानने की इच्छा होने लगी. 22 प्रकार के 150 से अधिक सांप पकड़ चुका हूं." - मुरारी मोहन शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी

डिब्बे में रखे कई प्रिजर्व सांपों को कर चुके हैं डोनेट : मुरारी मोहन शर्मा बताते हैं कि उन्होंने 22 प्रकार के सांप को पकड़ा है और 150 से अधिक बार उन्होंने सांप को पकड़ा है. पहले वह सांप को पकड़ के फॉर्मलीन और ग्लिसरीन के सोल्यूशन में प्रिजर्व करके रखते थे. लेकिन 20 वर्ष पहले उन्होंने सभी डब्बे में रखे सांपों को स्कूल कॉलेजों को डोनेट कर दिया. कुछ को साइंस कॉलेज को दे दिया तो कुछ को अन्य कॉलेजों को डोनेट कर दिया.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

8 महीने पहले आखिरी बार पकड़ा था रसल वाइपर : उन्होंने बताया कि बिहार में करैत प्रजाति के 5-6 प्रकार के सांप है और तीन प्रकार के कोबरा हैं. यही जहरीले होते हैं. इसके अलावा बाढ़ के दिनों में मध्य प्रदेश के तरफ से आने वाली नदियों से कई बार रसल वाइपर भी आ जाते हैं जो बहुत ही खतरनाक होते हैं. लेकिन यह मूल रूप से यहां नहीं मिलते हैं. उन्होंने लगभग 8 महीने पहले पटना में लॉ कॉलेज के किनारे एक रसल वाइपर को पकड़ा था और यह अभी उनका आखिरी सांप है जिसे उन्होंने पकड़ा है.

150 से अधिक सांपों को पकड़ा.. 20 खाए : मुरारी मोहन बताते हैं कि बचपन में जब उन्हें सांपों के प्रति रुचि जगी तो वह उससे जुड़ी जानकारियां और उससे जुड़ी पुस्तकों को खूब पढ़ते थे. उनके चाचा चिकित्सक थे और लंदन से छापने वाली एक मैगजीन को प्रत्येक महीने वह मंगवाते थे. इस मैगजीन को वह भी पढ़ते थे जिसमें एक लेखक सांपों पर खूब लिखा करते थे. विभिन्न जगहों पर लोग जहां सांप खाते हैं उसके बारे में भी लिखा जाता था. इसके बाद उन्हें भी सांप खाने की इच्छा जागी और उन्होंने लगभग 20 बार कोबरा और करैत सांप को पकड़ कर खाया है.

ईटीवी भारत GFX
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'चाचा डॉक्टर थे इसलिए सांप खाने की हुई हिम्मत': मुरारी मोहन बताते हैं कि जब वह 15 वर्ष के थे तो उन्हें अलकतरा में फंसा हुआ एक कोबरा दिखा था. पहली बार उन्हें सांप खाने की इच्छा हुई और मैगजीन में पढ़ते थे कि सांप कैसे खाया जाता है. घर में उनके चाचा जी डॉक्टर थे, ऐसे में सोचा कि यदि कुछ होता है, तबीयत बिगड़ी है तो उनके चाचा जी संभाल लेंगे. इसके बाद उन्होंने मैगजीन में लिखी बात स्टेप बाय स्टेप फॉलो किया. सबसे पहले मिट्टी का तेल डालकर कोबरा का रेस्क्यू किया और फिर उसे भून कर खा गए. उसका स्वाद उन्हें अच्छा लगा.

सांप का स्वाद चिकेन जैसा : उन्होंने बताया कि जहरीले सांप के माथे पर पीछे में गर्दन के पास एक ग्रंथि होती है जिसमें सांप का वेनम होता है जो विषैला दांत से जुड़ी होती है. इसके 6 इंच नीचे से सांप को काटना होता है और उसके बाद इसे पका कर खाया जाता है. खाने में यह चिकेन के नेक जैसा लगता है.

'काट चुका है करैत' : मुरारी मोहन ने बताया कि जो जहरीले सांप होते हैं उनको विशेष सावधानी से पकड़ना होता है ताकि उनका शरीर कहीं जख्मी ना हो. यदि शरीर जख्मी हुआ तो विष का इन्फेक्शन शरीर के अंदर फैल सकता है और यह खतरनाक हो सकता है. उन्होंने बताया कि वह जब सांप पकड़ा करते थे तो कोई स्नेक कैचर उपकरण नहीं होता था और हाथों से ही सांप को पकड़ा करते थे. एक बार करैत को पकड़ने में हाथों में करैत ने काट लिया था. जो जहरीला दांत होता है इसका थोड़ा ही हिस्सा उंगलियों में गया तब तक उन्होंने सांप को पकड़ कर फेंक दिया. इसके बाद पीएमसीएच में जाकर उन्होंने एंटी वेनम लिया था. चिकित्सकों ने 10 घंटे उनकी निगरानी की थी.

सांपों को कैसे करते थे प्रिजर्व : मुरारी मोहन बताते हैं कि जब वह मेडिकल की तैयारी करते थे तो उनके कमरे में एक कोबरा सांप आ गया था. सांप लगभग 25 से 30 वर्ष का होगा क्योंकि वह काफी लंबा और मोटा था. इस सांप को पकड़ने के बाद उन्होंने केओएच के सोल्यूशन में उसे ब्वायल करके उसके चमड़े को अलग किया और हड्डियों को अलग किया.

संभाल के रखे हैं सांप के दांत और हड्डियां : उन्होंने आगे बताया कि सांप के जहरीले दांत को उन्होंने संभाल कर रखा हुआ है और जो रीबकेस की हड्डियां थी, सभी आज तक उनके पास सुरक्षित हैं. इसके अलावा एक बार लगभग 20 साल के करैत को पकड़ा था, उसे भी सॉल्यूशन में उबालकर के उसके हड्डियों को निकाल कर धागे में पिरोकर सुरक्षित रखा है.

सीएम के जनता दरबार में बतौर मजिस्ट्रेट रह चुके हैं कार्यरत : बीपीएससी अधिकारी मुरारी मोहन शर्मा ने अपने सरकारी सेवा के 10 वर्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में बतौर मजिस्ट्रेट कार्य किया है. वर्तमान में वह तैराकी करते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्विमर हैं. इसके साथ ही पतंग बाजी महोत्सव में गुजरात जाकर बिहार का प्रतिनिधित्व करते हैं.

'छोड़ चुके हैं सांप खाना' : मुरारी मोहन बताते हैं कि सांप पकड़ने का कला उन्होंने बचपन में जो सीखा वह आज भी जानते हैं. लेकिन 1982 में सरकारी सेवा में आने के बाद से सांपों को लेकर अपना एडवेंचर छोड़ दिया. सांप खाना भी छोड़ दिया और कभी सांप पकड़ा भी तो उसे रेस्क्यू करके किसी अन्य जगह छोड़ दिया.

सांप के बारे में कुछ रोचक जानकारियां : मुरारी मोहन बताते हैं कि सांप बहुत ही अद्भुत प्रकार के जीव होते हैं. अधिकांश तौर पर मेल और फीमेल सांप आसपास ही रहते हैं. मादा सांप एक बार में 20 अंडे देती है और साल में 3 बार बच्चे जन्म देती है. लेकिन जो नर सांप होता है वह उन बच्चों को खा जाता है और जो दो-चार बच्चे छूट जाते हैं वही बड़े होते हैं.

''सांप की खूबी है कि वह अपना बिल नहीं बनाता है और चूहा अथवा केकड़ा के बिल में घुसता है और उसे खा लेता है. सांप अपने भोजन को निगलता है, चबाने की उसमें क्षमता नहीं होती है. ऐसे में सांप यदि कोई बड़ा चूहा खाकर बिल में चला जाता है तो 4 से 5 महीने तक भी वह उसी बिल में दुबक कर रह सकता है, जब तक की उसे दोबारा भूख ना लगे.'' मुरारी मोहन शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी

कितनी हो सकती है सजा?: किंग कोबरा (Cobra Snake), मोनोकल्ड कोबरा, स्पेक्टेकल्ड कोबरा और रसेल वाइपर जैसे जहरीले सांपों को वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, 1972 के शेड्यूल II के तहत कानून द्वारा संरक्षित किया गया है. सांप की इन प्रजातियों को मारने पर अधिकतम सजा 3 से 7 साल की कैद या 1000 रुपये का जुर्माना का प्रावधान है.

डिस्क्लेमर: सांपों को पर्यावरण का मित्र माना जाता है. सांपों को मारना, पकड़ना या कैद में रखना कानून जुर्म है. यह खबर व्यक्ति के व्यक्तिगत विचार हैं.

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Last Updated : Jul 8, 2024, 5:09 PM IST
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