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ETV BHARAT AMRIT: 2024 का पहला सूर्य ग्रहण आज , आप करेंगे ये काम तो होगा ये लाभ - solar eclipse - SOLAR ECLIPSE

सनातन धर्म शास्त्र में ग्रहण को दो रूपों में परिभाषित किया गया है, जिसमें एक चंद्रग्रहण और दूसरा सूर्य ग्रहण होता है. अमावस्या के दिन होने वाले ग्रहण को सूर्य ग्रहण और पूर्णिमा के दिन होने वाले ग्रहण को चंद्र ग्रहण कहा जाता है. साल 2024 में पहला सूर्य ग्रहण आज यानी सोमवार को होगा. भारत यह सूर्य ग्रहण साल 2023 के पहले सूर्य ग्रहण की तरह भारत में नहीं दिखाई देगा.

पहला सूर्य ग्रहण सोमवार को
पहला सूर्य ग्रहण सोमवार को
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 6, 2024, 12:33 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 6:23 AM IST

बीकानेर. साल 2024 में पहला सूर्य ग्रहण आज सोमवार को होगा. कैलेंडर साल 2024 का पहला ग्रहण चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने वाला है, हालांकि हिंदू वर्ष अनुसार यह साल का आखिरी ग्रहण होगा.

जानिए ग्रहण और सूतक काल : सूर्यग्रहण आज रात्रि में 09 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा. सूर्यग्रहण का खग्रास 10 बजकर 10 मिनट से होगा. सूर्यग्रहण मध्य रात में 11 बजकर 47 मिनट पर रहेगा. खग्रास मध्य रात्रि 01 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण रात में 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. सूर्यग्रहण की अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी. ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व यानि सुबह 9 बजे से शुरू होगा.

भारत में नहीं आएगा नजर : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि साल का पहला सूर्यग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. संपूर्ण अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, सहित कुछ उत्तरी भागों में आयरलैंड, इंग्लैंड के कुछ उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों और कनाडा में पूर्ण सूर्यग्रहण प्रभावी होगा. साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण सबसे पहले मैक्सिको में दिखाई देगा.

पढ़ें: शनि प्रदोष : संतान की मनोकामना पूर्ति के लिए करें व्रत, जानिए व्रत की कथा - Shani Pradosh Vrat

ग्रहण और सूतक काल में करें ये काम : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि ग्रहण में पूजा पाठ करना चाहिए और ग्रहण के बाद अपनी यथा सामर्थ्य के अनुसार खाद्यान्न का दान करना चाहिए. इसके साथ ही रोग से मुक्ति और शारीरिक कष्ट झेल रहे लोगों को घी का दान करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह ग्रहण भारत में अदृश्य (दिखाई न देने वाला ) यानि खग्रास सूर्यग्रहण है. यह विश्व के अनेक भागों में खग्रासरूप में दिखाई देगा. उन्होंने बताया कि ग्रहण के सूतक काल में नित्य कर्म में पूजा पाठ करने वाले लोग बिना किसी चिंता के पूजा पाठ कर सकते हैं. इस दौरान हवन, पाठ, पूजा नित्यक्रम करने पर ग्रहण दौरान कोई रोक-टोक शास्त्रों में नहीं है और बल्कि इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव कम होते हैं. इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए.

होता दुष्प्रभाव का असर: किराडू ने बताया कि ग्रहण का दुष्प्रभाव होता है. कई राशियों पर ग्रहण के कुछ ज्यादा ही दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. इससे राहु- केतु जैसे अशुभ ग्रहों का पृथ्वी- प्रकृति पर प्रभाव बढ़ता है जिसकी वजह से दुर्घटनाएं, अराजकता, अशांति की घटनाएं देखने को मिलती है.

बीकानेर. साल 2024 में पहला सूर्य ग्रहण आज सोमवार को होगा. कैलेंडर साल 2024 का पहला ग्रहण चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने वाला है, हालांकि हिंदू वर्ष अनुसार यह साल का आखिरी ग्रहण होगा.

जानिए ग्रहण और सूतक काल : सूर्यग्रहण आज रात्रि में 09 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा. सूर्यग्रहण का खग्रास 10 बजकर 10 मिनट से होगा. सूर्यग्रहण मध्य रात में 11 बजकर 47 मिनट पर रहेगा. खग्रास मध्य रात्रि 01 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण रात में 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. सूर्यग्रहण की अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी. ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व यानि सुबह 9 बजे से शुरू होगा.

भारत में नहीं आएगा नजर : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि साल का पहला सूर्यग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा. संपूर्ण अमेरिका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, सहित कुछ उत्तरी भागों में आयरलैंड, इंग्लैंड के कुछ उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों और कनाडा में पूर्ण सूर्यग्रहण प्रभावी होगा. साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण सबसे पहले मैक्सिको में दिखाई देगा.

पढ़ें: शनि प्रदोष : संतान की मनोकामना पूर्ति के लिए करें व्रत, जानिए व्रत की कथा - Shani Pradosh Vrat

ग्रहण और सूतक काल में करें ये काम : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि ग्रहण में पूजा पाठ करना चाहिए और ग्रहण के बाद अपनी यथा सामर्थ्य के अनुसार खाद्यान्न का दान करना चाहिए. इसके साथ ही रोग से मुक्ति और शारीरिक कष्ट झेल रहे लोगों को घी का दान करना चाहिए. उन्होंने बताया कि यह ग्रहण भारत में अदृश्य (दिखाई न देने वाला ) यानि खग्रास सूर्यग्रहण है. यह विश्व के अनेक भागों में खग्रासरूप में दिखाई देगा. उन्होंने बताया कि ग्रहण के सूतक काल में नित्य कर्म में पूजा पाठ करने वाले लोग बिना किसी चिंता के पूजा पाठ कर सकते हैं. इस दौरान हवन, पाठ, पूजा नित्यक्रम करने पर ग्रहण दौरान कोई रोक-टोक शास्त्रों में नहीं है और बल्कि इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव कम होते हैं. इस दौरान ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए.

होता दुष्प्रभाव का असर: किराडू ने बताया कि ग्रहण का दुष्प्रभाव होता है. कई राशियों पर ग्रहण के कुछ ज्यादा ही दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. इससे राहु- केतु जैसे अशुभ ग्रहों का पृथ्वी- प्रकृति पर प्रभाव बढ़ता है जिसकी वजह से दुर्घटनाएं, अराजकता, अशांति की घटनाएं देखने को मिलती है.

Last Updated : Apr 8, 2024, 6:23 AM IST
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