जबलपुर. अधारताल थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली एक महिला ने भरण-पोषण के लिए पति के खिलाफ कुटुम्ब न्यायालय (family court jabalpur) में आदेवन दायर किया था. फैमिली कोर्ट ने तमाम साक्ष्यों को देखने और विस्तृत सुनवाई के बाद इस मामले को खारिज कर दिया. कोर्ट ने मामले में पाया कि महिला अपनी इच्छा से ससुराल छोड़कर मायके में रहने लगी थी.
अपनी मर्जी से मायके में रहने लगी थी पत्नी
जबलपुर में फैमिली कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि पत्नी खुद पति के साथ नहीं रहना चाहती थी, ऐसी स्थिति में वह किसी भी तरह के भरण-पोषण या ऐसे भत्ते की हकदार नहीं है. अनावेदक पति सचिन की ओर से न्यायालय में बताया गया कि उसकी पत्नी 15 दिसंबर, 2020 को ससुराल छोड़कर अपनी मर्जी से मायके जाकर रहने लगी थी.
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पति ने की पहल तो दहेज प्रताड़ना का केस किया
फैमिली कोर्ट में अनावेदक पति ने यह भी बताया कि पत्नी के मायके चले जाने के बाद वैवाहिक संबंध की पुन: स्थापना के लिए उसने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत न्यायालय में आवेदन दायर किया था. लेकिन इसके उलट पत्नी ने उसके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला और 12 लाख रु के चेक बाउंस का प्रकरण भी दर्ज करवा दिया. कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने और साक्ष्यों को देखते हुए आवेदक पत्नी को भरण-पोषण के लिए अपात्र मानते हुए आवेदन खारिज कर दिया. न्यायालय ने पाया कि महिला ने अपने बयान में स्वयं कहा है कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती.