जोधपुर : अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत से भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे. इतना ही नहीं ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने और उनकी नीतियों से जोधपुर की हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के पुर्नजीवित होने की आस जगी है. ट्रम्प की अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत विजन को ग्रोथ देने व इंडस्ट्री के लिए सुविधाजनक माहौल बनाने का संकल्प लिया था. इसका फायदा जोधपुर सहित देश के सभी एक्सपोर्टर्स को मिल सकेगा.
राजसिको के पूर्व निदेशक एवं हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर डॉ. अजय शर्मा का कहना है कि ट्रम्प की जीत एक शुभ संकेत हैं. उनकी 'एंटी चाइना पॉलिसी' का फायदा भारत को मिलेगा. इसके अलावा जो युद्ध चल रहे हैं वे उनके विरोध में हैं. अगर वे युद्ध रोकने में कामयाब होंगे तो हैंडीक्राफ्ट क्षेत्र को फिर से नई उर्जा मिलेगी. विगत तीन सालों में यह क्षेत्र रसातल में चला गया था, जिसके अब फिर से उबरने की आस बंधी है.
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जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स का मानना है कि आने वाले समय में अमेरिका में जोधपुर से हैंडीक्राफ्ट का निर्यात बढ़ने की पूरी संभावना है. जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स की सबसे बड़ी प्रतिस्पर्द्धा चीन से है, लेकिन ट्रम्प ने अपने चुनावी घोषणाओं में स्पष्ट किया था वे चाइना से आयात होने वाले माल पर इंपोर्ट ड्यूटी 200 प्रतिशत तक बढ़ा देंगे. इससे चीन से अमेरिका जाने वाले उत्पाद महंगे होंगे. ऐसे में भारतीयों को मौका फिर से मिलने लगेगा.
60 फीसदी एक्सपोर्ट अमेरिका से : जोधपुर से कुल एक्सपोर्ट का करीब 60 प्रतिशत एक्सपोर्ट अमेरिकी देशों में होता है, जो करीब 2500 करोड़ का होता है. इसके लिए जोधपुर से प्रतिवर्ष करीब 30 हजार कंटेनर्स अमेरिका जाते हैं. इसके बाद यूरोपीय देशों से कारोबार होता है. अमेरिका तक कंटनेर पहुंचाने में कोविड के बाद से ही परेशानी आ रही थी. इसमें हूति विद्रोही भी एक बड़ी वजह हैं. अगर ट्रम्प के हस्तक्षेप से रूस यूक्रेन युद्ध रुक हो जाता है तो व्यापार बढ़ने की संभावाएं होंगी.
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ट्रम्प की चेतावनी से हो सकता है समाधान : भारत से अरब और यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका के पूर्वी तट पर लालसागर और स्वेज नहर के रास्ते ही सामान भेजा जाता था. पिछले दिनों यमन में हूती विद्रोहियों की ओर से किए गए हमलों के कारण परेशानियां बढ़ गईं. भारत का करीब एक तिहाई कंटेनर एक्सपोर्ट और कुल निर्यात का 15% लालसागर के रास्ते होता है. जोधपुर से होने वाले हैंडीक्राफ्ट निर्यात का यह एक प्रमुख मार्ग है. इस मार्ग के अव्यवस्थित होने से जोधपुर का निर्यात प्रभावित हुआ है. अब यूरोप को निर्यात होने वाले कंटेनरों को अफ्रीका महाद्वीप से घुमाकर ले जाया जा रहा है, जिससे 20 दिनों का समय अधिक लग रहा है और इसकी वजह से शिपिंग कंपनियों ने मालभाड़ा 200 प्रतिशत बढ़ा दिया. ट्रम्प की चेतावनी के बाद यह संकट समाप्त हो सकता है.
जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट उद्योग एक नजर : जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट की 700 से ज्यादा इकाइयां कोविड के पहले थीं, जो अब घटकर 500 के अंदर रह गई हैं. इसकी बड़ी वजह अमेरिका व यूरोप में हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट में आई मंदी थी, जिसके चलते छोटे उत्पादक समाप्त हो गए. तीन साल पहले तक यहां से हर माह 2500 कंटेनर जाते थे. यह भी कम हो गए हैं. समुद्री रास्ता बदलने, किराया ज्यादा लगने से माल की कीमतें बढ़ गई, जिसका नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. इस उद्योग से जोधपुर में करीब तीन लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं, जिनको भी परेशानी उठानी पड़ रही है.