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सावधान ! अगर आपका बच्चा देर तक देखता है टीवी और मोबाइल, तो हो सकती है ये बीमारी, लगातार बढ़ रहे हैं मरीज - myopia disease

लगातार टीवी और मोबाइल की लत के कारण लगातार मायोपिया बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण लगातार स्क्रीन टाइम माना जा रहा है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नगेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि मायोपिया बीमारी में व्यक्ति को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है, यानि उसकी नजर कमजोर होने लगती है.

बच्चों में मायोपिया बीमारी
बच्चों में मायोपिया बीमारी (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 14, 2024, 10:10 PM IST

Updated : Jun 14, 2024, 11:03 PM IST

जयपुर. ये खबर आपके बच्चों की हेल्थ से जुड़ी हुई है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपके घर में मोबाइल और टीवी स्क्रीन पर लगातार समय बिताने वाले छोटे बच्चे और बड़े लोग मायोपिया नाम की बीमारी की जद में आ सकते हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें, तो हर दिन लगभग सौ से अधिक मरीज इस बीमारी की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नगेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि मायोपिया बीमारी में व्यक्ति को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है, यानि उसकी नजर कमजोर होने लगती है. हालांकि, बढ़ती उम्र के बाद व्यक्ति में यह बीमारी सामान्य बात है, लेकिन बच्चे इस बीमारी की चपेट में बहुत जल्दी आ रहे हैं. इसका मुख्य कारण माना जा रहा है लगातार स्क्रीन टाइम. बच्चों में मोबाइल की लत और लगातार टीवी देखते रहने के कारण बच्चे इस बीमारी की जद में आ रहे हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 2050 तक दुनिया भर में आधी आबादी मायोपिया या निकट दृष्टिदोष से प्रभावित होगी.

एसएमएस में बढ़ रहे मरीज : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें तो मायोपिया बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हर रोज औसतन 100 से अधिक मरीज अस्पताल पहुच रहे हैं, जिनमें अधिकतर संख्या बच्चों की है. इनकी उम्र 20-22 वर्ष तक की है. इसकी सबसे बड़ी वजह डिजिटलीकरण और स्क्रीन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल है. इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, आईबॉल की लंबाई बढ़ना, कॉर्निया का बेहद सुडौल हो जाना, नशा करना, पढ़ते या स्क्रीन पर कुछ देखते समय दूरी का ध्यान ना रखने के कारण भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ जाता है. इसके अलावा माता-पिता इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो बच्चों में इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं. यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है.

इसे भी पढ़ें-आप रहना चाहते हैं स्वस्थ तो आज से ही खानपान में इन्हें कर लें शामिल, ताकत के साथ मिलेगी भरपूर ऊर्जा - Health Tips

मायोपिया के लक्षण

  1. चीजें धुंधली दिखाई देना.
  2. बार-बार पलक झपकना.
  3. स्क्रीन के बेहद करीब बैठना.
  4. सिर दर्द होना.
  5. साफ देखने के लिए आखों को तिरछा या बंद करना.

मायोपिया का इलाज : मायोपिया का इलाज नॉन सर्जिकल और सर्जिकल दोनों तरह से किया जाता है. नॉन सर्जिकल इलाज में चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, सर्जिकल इलाज में लेजर की मदद से आंखों की सतहों को नया आकार दिया जाता है. दूसरी तरफ बच्चों में मायोपिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि समय समय पर आंखों की जांच करवानी चाहिए और मोबाइल-टीवी से दूरी बनाना जरूरी है.

जयपुर. ये खबर आपके बच्चों की हेल्थ से जुड़ी हुई है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपके घर में मोबाइल और टीवी स्क्रीन पर लगातार समय बिताने वाले छोटे बच्चे और बड़े लोग मायोपिया नाम की बीमारी की जद में आ सकते हैं. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें, तो हर दिन लगभग सौ से अधिक मरीज इस बीमारी की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. एसएमएस अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नगेन्द्र सिंह शेखावत का कहना है कि मायोपिया बीमारी में व्यक्ति को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है, यानि उसकी नजर कमजोर होने लगती है. हालांकि, बढ़ती उम्र के बाद व्यक्ति में यह बीमारी सामान्य बात है, लेकिन बच्चे इस बीमारी की चपेट में बहुत जल्दी आ रहे हैं. इसका मुख्य कारण माना जा रहा है लगातार स्क्रीन टाइम. बच्चों में मोबाइल की लत और लगातार टीवी देखते रहने के कारण बच्चे इस बीमारी की जद में आ रहे हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 2050 तक दुनिया भर में आधी आबादी मायोपिया या निकट दृष्टिदोष से प्रभावित होगी.

एसएमएस में बढ़ रहे मरीज : जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें तो मायोपिया बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हर रोज औसतन 100 से अधिक मरीज अस्पताल पहुच रहे हैं, जिनमें अधिकतर संख्या बच्चों की है. इनकी उम्र 20-22 वर्ष तक की है. इसकी सबसे बड़ी वजह डिजिटलीकरण और स्क्रीन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल है. इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, आईबॉल की लंबाई बढ़ना, कॉर्निया का बेहद सुडौल हो जाना, नशा करना, पढ़ते या स्क्रीन पर कुछ देखते समय दूरी का ध्यान ना रखने के कारण भी व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आ जाता है. इसके अलावा माता-पिता इस बीमारी से पीड़ित हैं, तो बच्चों में इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं. यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है.

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मायोपिया के लक्षण

  1. चीजें धुंधली दिखाई देना.
  2. बार-बार पलक झपकना.
  3. स्क्रीन के बेहद करीब बैठना.
  4. सिर दर्द होना.
  5. साफ देखने के लिए आखों को तिरछा या बंद करना.

मायोपिया का इलाज : मायोपिया का इलाज नॉन सर्जिकल और सर्जिकल दोनों तरह से किया जाता है. नॉन सर्जिकल इलाज में चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, सर्जिकल इलाज में लेजर की मदद से आंखों की सतहों को नया आकार दिया जाता है. दूसरी तरफ बच्चों में मायोपिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि समय समय पर आंखों की जांच करवानी चाहिए और मोबाइल-टीवी से दूरी बनाना जरूरी है.

Last Updated : Jun 14, 2024, 11:03 PM IST
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