भरतपुर: कृष्ण की धरती बृज क्षेत्र के भरतपुर जिले का वन क्षेत्र लगातार घट रहा है और इसके साथ ही जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन पर खतरा गहराता जा रहा है. वन स्थिति रिपोर्ट 2023 के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, जो बताते हैं कि जिले में वन क्षेत्र का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कोसों दूर है. इतना ही नहीं, जिले में बीते 5 साल में वन क्षेत्र में 16 वर्ग किमी की गिरावट दर्ज हुई है.
बावजूद इसके, वन क्षेत्र में इस गिरावट को रोकने के लिए न तो सरकार की ओर से ठोस कदम उठाए गए हैं और न ही स्थानीय प्रशासन ने पर्याप्त प्रयास किए हैं. घटते खुले वन क्षेत्र और जंगल में आग की बढ़ती घटनाओं ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर पर्यावरण संरक्षण की योजनाएं कहां हैं और उनका क्रियान्वयन कौन कर रहा है.
डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार खुला वन क्षेत्र में गिरावट हुई है, लेकिन विभाग लगातार कई वर्षों से बड़े पैमाने पर जिले में पौधारोपण कार्यक्रम संचालित कर रहा है. इसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. लोगों को भी पौधारोपण और पेड़ों को बचाने के लिए जागरूक किया जाता है.
वहीं, पर्यावरणविद डॉ. केपी सिंह ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा जारी राज्य वन स्थिति रिपोर्ट 2023 ने भरतपुर जिले में वनक्षेत्र की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है. भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान की इस रिपोर्ट का हर दो वर्ष बाद प्रकाशन होता है. रिपोर्ट में जहां राजस्थान को वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि के मामले में चौथे स्थान पर रखा गया है. वहीं भरतपुर जिले का प्रदर्शन निराशाजनक है.
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी (बीआरडीएस) के तुलनात्मक विश्लेषण के अनुसार भरतपुर का कुल वनक्षेत्र केवल 4.23% दर्ज हुआ है, जो राष्ट्रीय वन नीति 1988 द्वारा निर्धारित 33% लक्ष्य से काफी कम है.
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5 साल में 16 वर्ग किमी की गिरावट : डॉ. केपी सिंह ने बताया कि भरतपुर का कुल क्षेत्रफल 5066.97 वर्ग किमी है, जिसमें 2023 में वनक्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 214.28 वर्ग किमी दर्ज हुआ. 2019 की रिपोर्ट में यह 230.27 वर्ग किमी और 2021 में 221.06 वर्ग किमी था. इस तरह से पांच वर्षों में वनक्षेत्र में 16 वर्ग किमी की कमी आई है.
खुला वन क्षेत्र घटा : भरतपुर में मध्यम घने जंगल और झाड़ीदार क्षेत्रों में वृद्धि देखी गई है. मध्यम घना जंगल 2019 में 22.00 वर्ग किमी, 2021 में 26.33 वर्ग किमी और 2023 में 47.11 वर्ग किमी था. झाड़ीदार क्षेत्र 2019 में 77.93 वर्ग किमी, 2021 में 77.15 वर्ग किमी और 2023 में 87.93 वर्ग किमी था. हालांकि, खुले वनक्षेत्र में गिरावट चिंताजनक है. 2019 में 208.27 वर्ग किमी से घटकर यह 2023 में मात्र 167.17 वर्ग किमी रह गया है. पांच वर्षों में 41.10 वर्ग किमी की कमी गंभीर चिंता का विषय है.
जिले में वनक्षेत्र का वितरण : भरतपुर जिले की तहसीलों में वनक्षेत्र का वितरण असमान है. वैर और बयाना तहसीलों में मध्यम घना व खुला वन क्षेत्र है. केवलादेव नेशनल पार्क खुला वनक्षेत्र है, जबकि डीग, कुम्हेर और कामां तहसीलों में मामूली वन क्षेत्र दर्ज है.
जंगल में आग की घटनाएं : पर्यावरणविद डॉ. केपी सिंह ने बताया कि भरतपुर में अत्यंत घने वन का अभाव जैव विविधता के लिए जोखिम पैदा कर रहा है. खुले वनक्षेत्र की कमी इस संकट को और गहरा सकती है. 2022-23 में जंगल में आग की 11 घटनाएं और 2023-24 में 13 घटनाएं दर्ज हुई हैं, जो वनक्षेत्र की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है.