छिन्दवाड़ा : नए साल के मौके पर पार्टी, आउटिंग और एडवेंचर ट्रिप का प्लान कर रहे हैं, तो छिंदवाड़ा का तामिया और पातालकोट जरूर जाएं. 28 दिसम्बर से छिंदवाड़ा के पातालकोट और तामिया में तामिया एडवेंचर फेस्टिवल होने जा रहा है. कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने बताया कि तामिया एडवेंचर फेस्ट का आयोजन 28 दिसंबर 2024 से 02 जनवरी 2025 तक किया जाएगा. यह फेस्टिवल बेस केम्प रातेड़ में होगा, जहां र पैरामोटर, हॉट एयर बेलून, पैरासेलिंग, जिप लाईन, एटीवी बाइक, रॉक क्लाईम्बिंग, स्टार गेंजिग, रोप ऑपस्टिकल, कमांडोनेट, रायफल शूटिंग, बुल राईड समेत कई एडवेंचर स्पोर्ट्स और एक्टिविटीज होंगी.
जिला प्रशासन, जिला पुरातत्व, पर्यटन व संस्कृति परिषद और मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त प्रयासों से हो रहे इस आयोजन का उद्देश्य छिंदवाड़ा में पर्यटन को बढ़ावा देना है और छिंदवाड़ा के पर्यटन स्थलों को प्रदेश व देश के सामने लाना है.
पातालकोट की अनोखी दुनिया जानने का मौका
छिन्दवाड़ा के तामिया के पातालकोट में भारिया जनजाति के लोग रहते हैं. यहां के पातालकोट की पहचान दुनिया भर में है लेकिन पर्यटन के रूप में भी इसकी पहचान अलग हो सके इसके लिए एडवेंचर फेस्टिवल आयेजित किया जा रहा है. 6 साल पहले भी जिला प्रशासन ने ऐसा आयोजन किया था. पातालकोट में रहने वाली भारिया जनजाति विशेष पिछड़ी जातियों में सम्मिलित है. यहां की संस्कृति से देश और दुनिया को रूबरू कराने और जनजातियों को समझने के लिए जहां प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार विलुप्त होती पिछड़ी जनजातियों को सहेजने के लिए काम कर रही हैं, जिसमें प्रमुख रूप से बैगा सहरिया भारिया जैसी कई जातियां शामिल हैं.
क्यों कहते हैं पातालकोट?
जैसा की नाम से पता चलता है कि यह पाताल में बसा हुआ है. पातालकोट 12 गांवों का समूह है, जो प्रकृति की गोद में बसा है. यह पाताललोक सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच करीब 3000 फीट ऊंची पर्वतों से तीनों ओर तरफ से घिरा हुआ है. यहां तीन गांव ऐसे भी हैं, जहां आज भी जाना नामुमकिन है और वहां सूरज की रोशनी तक नहीं पहुंचती.
मेघनाथ ने की थी यहां तपस्या
पैराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थान है, जहां से मेघनाथ भगवान शिव की आराधना कर पाताल लोक में प्रवेश कर गया था. यही नहीं, यहां के स्थानीय लोग आज भी शहर की चकाचौंध से दूर हैं. पातालकोट में ऐसी बेहतरीन जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं, जिससे कई जानलेवा बीमारियों का आसानी से इलाज होता है. यहां के स्थानीय लोग इन्हीं जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते हैं।
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