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ETV BHARAT AMRIT : चौथे दिन करें देवी कुष्मांडा की पूजा, देवी को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम - Chaitra Navratri 2024

चैत्र नवरात्र में चौथे दिन मां दुर्गा के देवी कुष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है. शास्त्र अनुसार ब्रह्मांड की उत्पति देवी कुष्मांडा के उदर से हुई है. शाब्दिक अर्थ व्याख्या के अनुसार ही इनका नाम कुष्मांडा हुआ.

WORSHIP OF GODDESS KUSHMANDA
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 12, 2024, 6:40 AM IST

बीकानेर. सनातन धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. इन नौ दिनों को देवी की उपासना का महापर्व कहते हैं. माता के मंत्रों की सिद्धि के लिए षोडशोपचार पूजन का इन दिनों में विशेष महत्व है. नवरात्र के 9 दिनों तक देवी उपासक, मां दुर्गा की आराधना कर उनको प्रसन्न करते हैं. नवरात्र में चौथे दिन मां कुष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है.

शांत स्वभाव की देवी है मां कुष्मांडा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि आमतौर पर समझा जाता है कि सभी देवियों का स्वरूप उग्र होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. हमारे शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि देवी मां कुष्मांडा का स्वरूप शांत है. साधक को देवी भागवत, नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. मां कुष्मांडा मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी हैं.

इसे भी पढ़ें- ETV BHARAT AMRIT: चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, कार्य सिद्धि की कामना होती है पूरी - Chaitra Navratri 2024

षोडशोपचार के साथ मां की करें आराधना : उन्होंने बताया कि षोडशोपचार पूजा विधि से साधक को मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इससे, मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. चौथे दिन देवी कुष्मांडा देवी की आराधना करते वक्त कुंद के पुष्प अर्पित करना श्रेष्ठ बतलाया गया है. उन्होंने बताया कि देवी कुष्मांडा को प्रिय कुंद के पुष्प अर्पित कर आराधना करते हुए लक्षार्चन करना चाहिए. पूजन में ऋतु फल के साथ ही मिठाई के रूप में देवी कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए. वैसे तो नौ दिनों तक पूजन करने वाले साधक अपने भक्ति भाव से जो सात्विक भोग और पूजन सामग्री अर्पण करते हैं, वो देवी को स्वीकार्य है.

बीकानेर. सनातन धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. इन नौ दिनों को देवी की उपासना का महापर्व कहते हैं. माता के मंत्रों की सिद्धि के लिए षोडशोपचार पूजन का इन दिनों में विशेष महत्व है. नवरात्र के 9 दिनों तक देवी उपासक, मां दुर्गा की आराधना कर उनको प्रसन्न करते हैं. नवरात्र में चौथे दिन मां कुष्मांडा स्वरूप की पूजा होती है.

शांत स्वभाव की देवी है मां कुष्मांडा : पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बताते हैं कि आमतौर पर समझा जाता है कि सभी देवियों का स्वरूप उग्र होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. हमारे शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है कि देवी मां कुष्मांडा का स्वरूप शांत है. साधक को देवी भागवत, नवाहन परायण, देवी अथर्वशीर्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. मां कुष्मांडा मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी हैं.

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षोडशोपचार के साथ मां की करें आराधना : उन्होंने बताया कि षोडशोपचार पूजा विधि से साधक को मां कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इससे, मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. चौथे दिन देवी कुष्मांडा देवी की आराधना करते वक्त कुंद के पुष्प अर्पित करना श्रेष्ठ बतलाया गया है. उन्होंने बताया कि देवी कुष्मांडा को प्रिय कुंद के पुष्प अर्पित कर आराधना करते हुए लक्षार्चन करना चाहिए. पूजन में ऋतु फल के साथ ही मिठाई के रूप में देवी कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए. वैसे तो नौ दिनों तक पूजन करने वाले साधक अपने भक्ति भाव से जो सात्विक भोग और पूजन सामग्री अर्पण करते हैं, वो देवी को स्वीकार्य है.

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