कुल्लू: मंगलवार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो रही है. इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरूआत भी होती है. अगले 9 दिन तक मां दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा होती है, जिसकी शुरुआत पहले दिन कलश स्थापना के साथ होती है. कलश स्थापना के वक्त क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? आइये जानते हैं.
कलश स्थापना का मुहूर्त
मां दुर्गा के नवरात्रों की शुरुआत 9 अप्रैल को कलश स्थापना के साथ होगी. कलश स्थापना से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. कलश की स्थापना के साथ ही नवरात्र का शुभारंभ होता है. कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त मंगलवार 9 अप्रैल को सुबह 6:02 बजे से लेकर 10:16 बजे तक है. भक्त इस समय अवधि के दौरान कलश की स्थापना कर लें.
अगर आप किसी कारण इस दौरान कलश की स्थापना नहीं कर पाते हैं. तो अभिजीत मुहूर्त में भी कलश की स्थापना कर सकते हैं. 9 अप्रैल को ही अभिजीत मुहूर्त है, जो सुबह 11:57 बजे से लेकर दोपहर 12:48 बजे तक रहेगा. करीब 51 मिनट के इस मुहूर्त में भी कलश की स्थापना करके नवरात्र की पूजा शुरू की जा सकती है.
ऐसे करें कलश स्थापना
आचार्य दीप कुमार का कहना है कि कलश के लिए मिट्टी का बर्तन, सात प्रकार यानी सात स्थानों की साफ मिट्टी, सात प्रकार के अनाज, जौ के दाने, पानी, नारियल, आम के पत्ते, सुपारी, मौली, रोली, चावल, दीपक, अगरबत्ती, फल, मिठाई रख लें.
- कलश स्थापना से पहले पूजा घर की अच्छे से सफाई करें.
- कलश में साफ मिट्टी भरें और जौ के दाने बोकर उस पर थोड़ा पानी छिड़क दें.
- कलश को पूजा घर की चौकी पर स्थापित करें.
- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें.
- कलश में रोली, चावल, सात प्रकार के अनाज, सात प्रकार की मिट्टी, पंचरत्न, फूल आदि डालें.
- कलश में जल डाल दें और मां दुर्गा के मंत्र का जाप करें.
इन बातों का रखे ध्यान
आचार्य दीपराज ने बताया कि कलश स्थापना करते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. दरअसल कलश को देवी मां का प्रतीक माना जाता है, इसकी स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. इसलिये नवरात्र के दौरान रोजाना स्नान के बाद कलश की पूजा करें और माता के मंत्रों का जाप करें. कलश स्थापना के बाद उपवास रखना और मां दुर्गा की भक्ति करना शुभ माना गया है. 9 दिनों तक कलश स्थापना कर मां दुर्गा का विधिपूर्वक पूजन करने से भक्तों को देवी का आशीर्वाद मिलता है. नवरात्र खत्म होने पर कलश और अन्य पूजा सामग्री का पवित्र नदियों या कुंडों में विसर्जन किया जाता है.
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